पाठ्यक्रम में बदलाव : फ़ासीवादी सरकार द्वारा नयी पीढ़ी को कूपमण्डूक और प्रतिक्रियावादी बनाने की साज़िश
एक फ़ासीवादी सत्ता ऐसे ही काम करती है। वह पहले पूरे इतिहास का मिथ्याकरण करती है, फ़िर अपनी पूरी शक्ति से उसे स्थापित करने की कोशिश में लग जाती है। एक झूठे इतिहास का महिमामण्डन कर के लोगों को किसी “रामराज्य” के ख़्वाब दिखाती है, जिसका सच्चाई से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं है।