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विष्णु खरे : अपनी राह खुद बनाने वाला विद्रोही प्रयोगधर्मी कवि

9 फरवरी 1940 को छिंदवाड़ा (म.प्र.) में जन्मे विष्णु खरे ने मस्तिष्काघात के बाद विगत 19 सितम्बर, 2018 को दिल्ली में निधन से पहले एक लम्बा सर्जनात्मक और प्रयोग-संकुल जीवन बिताया, फिर भी वो लगातार इतना कुछ नया कर रहे थे कि सहज ही ये सोचने को जी चाहता है कि अभी उन्हें जाना नहीं था, अभी तो उन्हें काफी कुछ करना था। उनका सर्जनात्मक जीवन आधे सदी से भी अधिक लम्बा रहा। कविताएँ वे 1956 से, यानी 16 वर्ष की आयु से लिखने लगे थे। 1960 में टी.एस.एलियट की कविताओं का उनका अनुवाद ‘मरु प्रदेश और अन्य कविताएँ’ नाम से प्रकाशित हुआ।