इण्टरनेट की बुरी लत
एक इण्टरनेट छुड़ाओ केन्द्र में इलाज़ करा रहा 21 वर्षीय नौजवान बताता है कि: “मैं महसूस करता हूँ कि यह तकनीक मेरी ज़िन्दगी में बहुत खुशियाँ लेकर आयी है और कोई भी काम मुझे इतना उत्तेजित नहीं करता और आराम नहीं देता जितना कि यह तकनीक देती है। जब मैं उदास होता हूँ तो मैं खुद को अकेला करने और दुबारा खुश होने के लिये इस तकनीक का इस्तेमाल करता हूँ। जो नौजवान वर्ग ‘नये’ जैसे प्यारे शब्द को जिन्दा रखता है, जिनके पास नये कल के सपने, नये संकल्प, नयी इच्छाएँ, नया प्यार और नये विश्वास होते हैं वही नौजवान आज बेगानगी और अकेलेपन से दुखी होकर आभासी यथार्थ की राहों पर चल रहे हैं जिसका अन्त अत्यन्त बेगानगी में होता है।