जमाल ख़शोज़ी की मौत पर साम्राज्यवादियों के आँसू परन्तु यमन के नरसंहार पर चुप्पी!
सऊदी अरब के खुफिया एजेंटों ने सऊदी अरब मूल के अमरीकन पत्रकार जमाल ख़शोजी को तुर्की के सऊदी अरब के कॉन्सुलेट में मार दिया और उसके शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दरिया में बहा दिया। इसपर पश्चिमी जगत की मुख्यधारा मीडिया हाय तौबा करने में लगा हुआ है। यह बात समझ लेनी होगी कि ख़शोजी कोई जनपक्षधर पत्रकार नहींं था। कुछ समय पहले तक वह सऊदी अरब की सत्ता के घोर प्रतिक्रियावादी विचारों का समर्थक था। अमरीका में रहते हुए उसने अमरीका के ‘प्रगतिशील’ विचारों का प्रचार करना शुरू किया और पश्चिमी देशों के सरीखे ‘जनवाद’ को सऊदी अरब में लागू करने की बात कह रहा था। वह सऊदी अरब की राजशाही को मध्यकालीन रिवाजों को त्यागने की नसीहत ‘वाशिंगटन पोस्ट’ के जरिये दे रहा था। हालाँकि उसे इसलिए मारा गया क्योंकि वह बहुत कुछ जानता था और सऊदी अरब की सत्ता का पिट्ठू न रहकर राजशाही की मन्द आलोचना कर रहा था। वह दरबार के अन्दर ना होते हुए भी दरबार के बारे में बहुत कुछ जानता था।