सबरीमाला के निहितार्थ
भाजपा को एक तरफ जहाँ मुस्लिम महिलाओं के तीन तलाक मुद्दे में महिला सशक्तिकरण नज़र आ रहा था वहीं अब उसको हिन्दू महिलाओं के मन्दिर में प्रवेश जैसे मुद्दे पर धर्म और परम्पराओं में हस्तक्षेप लगता है। इस पूरे मामले में यह भी पूरी तरह स्पष्ट होता है कि असल में बीजेपी सरकार को न तो स्त्रियों से कुछ लेना देना है न ही महिला सशक्तिकरण से, उनका लक्ष्य केवल और केवल धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति करके सत्ता हासिल करना है। बीजेपी-आरएसएस की “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते” संस्कृति पर अगर लिखा जाए तो कई किताबें लिखनी पड़ सकती हैं, आगे हम इसके कुछ उदाहरण भी रखेंगे, फिलहाल हम अपना ध्यान सबरीमाला के मुद्दे पर केन्द्रित करते हैं।