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आतंकवाद के बारे में: विभ्रम और यथार्थ

आतंकवाद अपने क्रान्तिकारी और प्रतिक्रियावादी दोनों ही रूपों में, मुख्यतः – साम्राज्यवाद और पूँजीवाद की दमनकारी राज्यसत्ताओं की, राजकीय आतंकवाद की प्रतिक्रिया है। आतंकवाद पुनरुत्थान, विपर्यय और प्रतिक्रान्ति के अँधेरे में दिशाहीन विद्रोह और निराशा के माहौल की एक अभिव्यक्ति है। आतंकवाद जनक्रान्ति की नेतृत्वकारी मनोगत शक्तियों की अनुपस्थिति या कमज़ोरी या विफलता की भी एक अभिव्यक्ति और परिणति है। यह कल्पनावादी, रोमानी, विद्रोही मध्यवर्ग की अपने बूते आनन–फ़ानन में क्रान्ति कर लेने की उद्विग्नता और मेहनतकश जनसमुदाय की संगठित शक्ति एवं सृजनशीलता में उसकी अनास्था की अभिव्यक्ति और परिणाम है। आतंकवादी भटकाव को भलीभाँति समझना और उसके विरुद्ध अनथक विचारधारात्मक संघर्ष चलाना नये सिरे से जनक्रान्ति की तैयारी के इस दौर का एक अनिवार्यतः आवश्यक कार्यभार है।