अर्नब गोस्वामी के रिपब्लिक टीवी के ख़िलाफ़ दिशा का विरोध प्रदर्शन
खुद को पत्रकारिता का ठेकेदार समझने वाले अर्नब गोस्वामी के नये समाचार चैनल रिपब्लिक टीवी (जिसमेंं सबसे ज्यादा पैसा भाजपा के एम.पी. राजीव चंद्रशेखर ने लगाया है) ने दिल्ली विश्वविद्यालय में दिशा छात्र संगठन द्वारा लगाये गये पोस्टरों को आई.एस.आई.एस. जैसे आतंकवादी समूह का समर्थक बताते हुए 28 मई 2017 को ख़बर प्रसारित की। इस ख़बर में रिपब्लिक टीवी ने बेहद ही ग़ैरजिम्मेदाराना तरीके से दिशा के पोस्टर, जिन पर ‘भगत सिंह के सपनो को साकार करने’, ‘शिक्षा है सब का अधिकार, बन्द करो इसका व्यापार’, ‘दिशा का रास्ता, भगत सिंह का रास्ता’ लिखा था की तस्वीरें अपने टीवी चैनल पर दिखाते हुए उन्हें आई.एस.आई.एस. का बताया। पत्रकारिता के आड़ में संघ के फ़ासीवादी राजनीतिक प्रचार प्रसार के उपक्रम रिपब्लिक टीवी ने अनैतिक पत्रिकारिता के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए बेशर्मी के साथ इन पोस्टरों को आंतकी समूह के समर्थन में लगे हुए पोस्टर बताया। दिशा छात्र संगठन द्वारा रिपब्लिक टीवी को इस ख़बर को वापिस लेने और इस तरह की झूठी अफ़वाह फैलाने के लिये माफ़ीनामा जारी करने हेतु एक पत्र भी भेजा गया लेकिन रिपब्लिक टीवी ने उसका कोई जवाब नहीं दिया।
30 मई 2017 को दिशा छात्र संगठन ने दिल्ली विश्वविद्यालय की आर्ट्स फैकल्टी में रिपब्लिक टीवी द्वारा भगतसिंह के नारों को लेकर लिखे गये छात्र संगठन के पोस्टरों को आतंकवादी समूह आई.एस.आई.एस. समर्थित बताने के ख़िलाफ़ प्रदर्शन भी किया। जिसमें विभिन्न कॉलेजों के छात्रों ने शिरकत की।
रिपब्लिक टीवी द्वारा भगत सिंह और शिक्षा के अधिकार को लेकर दिशा के पोस्टरों को आतंकवादी समूह आई.एस.आई.एस. समर्थित बताना न सिर्फ अनैतिक पत्रकारिता का उदाहरण है बल्कि इससे यह बात भी साबित होती है कि अर्नब गोस्वामी द्वारा जे.एन.यू, एफ़.टी.आयी.आयी., और नॉन-नेट फ़ेलोशिप बन्द करने के ख़िलाफ़ चले आन्दोलनों के समय से लगातार फासीवादी प्रचार मुहिम चलायी जा रही है। मोदी सरकार के आने के बाद छात्र आंदोलनों का जितना दमन हुआ है उतना शायद ही कभी हुआ हो। अपने अधिकारों की बात करने वाले को ‘देशद्रोही’ और ‘आतंकवादी’ बता दिया जाता है वहीं दूसरी ओर एक जानवर के नाम पर अफवाहें फैलाकर आये दिन सैकड़ों लोगों की जान लेने वाले, धर्म, जाति और भाषा के नाम पर लोगों को लड़ाने वाले खुलेआम घूम रहे हैं। दिशा के पोस्टरों को आयी.एस.आयी.एस. से जोड़ कर पेश करना कोई अलग थलग या अकेली घटना नहीं है, यह एक बड़े फ़ासीवादी षड्यंत्र का हिस्सा है जिसके तहत इस तरह की झूठी अफ़वाहों से विश्वविद्यालय के भीतर मौजूद जनवादी ताकतों पर हमला किया जा सके जो इस फ़ासीवादी सरकार और संघ के असली मंसूबों को जनता के सामने उजागर करते हैं। संघ और भाजपा की राजनीति का भंडाफोड़ करने के साथ-साथ उनके द्वारा किये जा रहे दमन और शोषण के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने वाली ताकतों पर भी हमला किया जा रहा है। चाहे फिर वह दिशा के पोस्टर का मसला हो या फिर आयी.आयी.टी. मद्रास के छात्रों द्वारा केंद्र सरकार के व्यापार के लिये पशु वध पर प्रतिबन्ध लगाने के फैसले के ख़िलाफ़ आयोजित बीफ फेस्ट को वजह बता कर आयी.आयी.टी. के शोधकर्ता सूरज के साथ संघी गुण्डों द्वारा की गयी मारपीट हो, यह सभी घटनाएँ एक ही तरफ इशारा करती है कि संघ के निशाने पर हर वह व्यक्ति, संगठन या समूह है जो जनवादी अधिकारों के लिये आवाज़ उठाते हुए उनकी फ़ासीवादी राजनीति के प्रसार की राह में अवरोध पैदा करते है। रिपब्लिक टीवी का यह कृत्य जनवादी अधिकारों पर हमला है और इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना बेहद ज़रूरी है। फासीवादी हमलों के खिलाफ़ लड़नेवाली जनता की ताकतों को चुप कराने के लिये संघी सरकार हर तरह के हथकंडे आजमा रही है। विश्वविद्यालय में जनवादी अधिकारों और छात्रों के हक़ में बोलनेवाले छात्र संगठनों पर लगातार हमले तेज़ कर दिये गये हैं।
मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान,जुलाई-अगस्त 2017
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