एकसमान सार्वभौमिक और निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधा के लिए ‘जन स्वास्थ्य अधिकार मुहिम’
आह्वान डेस्क
कोरोना महामारी और फ़ासीवादी सत्ता की आपराधिक लापरवाही का खामियाजा देश की आम आबादी को चुकाना पड़ रहा है। अप्रैल और मई के महीने में जब कोरोना महामारी की दूसरी लहर उफान पर थी तब देश के हुक्मरान कुम्भ, विधानसभा और पंचायत चुनाव करवाकर लोगों को मौत के मुँह में धकेल रहे थे। फासिस्टों के इस आपराधिक कुकृत्यों का नतीजा यह है कि पूरे देश में मौत का तांडव पसरा हुआ है। सरकार के द्वारा आँकड़ों के छुपाने की लाख कोशिश के बावजूद शमशान पर जलती लाशें, कब्रिस्तान में पहुंचने वाले जनाज़े इस भयानक स्थिति की सच्चाई को चीख-चीख कर बयान कर रही थी और अब बरसात के वजह से नदियों के तटों से बालू की पहली परत हटते ही दफ़्न की गई लाशें फासिस्टों की बेहयाई को उजागर कर रही हैं। कोरोना से ज्यादा लोगों की मौतें बदहाल चिकित्सा व्यवस्था और हत्यारी फ़ासीवादी सरकार की उदासीनता, बदइन्तज़ामी और लापरवाही हुईं। यदि लोगों को सही समय पर अस्पताल, बेड, ऑक्सीजन और सही इलाज मिल गया होता तो इनमें से बहुत सारे लोगों को बचाया जा सकता था। ये मौत नहीं है बल्कि इस मनुाफ़ाखोर-आदमखोर पूँजीवादी व्यवस्था और बेशर्म फ़ासिस्ट मोदी सरकार के हाथों होने वाली हत्याएँ हैं।
इस पूरी स्थिति के मद्देनजर दिशा छात्र संगठन, नौजवान भारत सभा, स्त्री मुक्ति लीग, भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी सहित अन्य प्रगतिशील संगठनों की ओर से देशभर में ‘जन स्वास्थ्य अधिकार मुहिम’ चलायी जा रही है। इस मुहिम के तहत लोगों को इन माँगो पर संगठित किया जा रहा है।
1. पूरे देश में समूची स्वास्थ्य व्यवस्था का तत्काल राष्ट्रीकरण करो! सभी को एक समान सार्वभौमिक और निशुल्क स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करो और स्वास्थ्य के अधिकार को मूलभूत अधिकार घोषित करो!
2. सभी निजी अस्पतालों, नर्सिंग होमों, पैथोलॉजी लैबों, दवा कम्पनियों, कोरोना वैक्सीन फैक्टरियों और चिकित्सा-सामग्री निर्माण उद्योगों का राष्ट्रीकरण करो! कोरोना वैक्सीन को पेटेण्ट से मुक्त करो!
3. आबादी के अनुपात में व्यापक पैमाने पर डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों की तत्काल पक्की भर्ती करो!
4. मज़दूरों की तत्काल भर्ती कर नए ऑक्सीजन प्लांट चालू करो!
5. सभी नागरिकों को मास्क, दस्तानों व सैनेटाइज़र का निशुल्क वितरण किया जाये! तुरन्त प्रभाव से सभी ज़रूरतमन्दों तक ऑक्सीजन और जीवनरक्षक दवाएँ निशुल्क पहुँचायी जायें!
6. ऑक्सीजन और दवाओं की कालाबाज़ारी करने वालों पर फ़ास्ट ट्रैक कोर्टों के माध्यम से कठोर से कठोर कार्यवाई की जाये!
7. सभी स्टेडियमों, बैंक्वेट हॉलों, होटलों और खाली सरकारी इमारतों को सरकारी कोविड सेण्टरों में तब्दील करो!
8. देश के प्रत्येक नागरिक तक सार्वभौमिक राशन वितरण प्रणाली से भोजन की आपूर्ति की जाये!
9. मज़दूरों-कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से सुरक्षा की व्यवस्था की जाये तथा सक्रंमितों को सवैतनिक अवकाश दिया जाये!
10. बिना किसी तैयारी के थोपे जा रहे अनियोजित लॉकडाउन को तत्काल रोका जाये। लॉकडाउन की काबिल डॉक्टरों-वैज्ञानिकों के बहुलांश द्वारा सस्तुतिं स्तुति करने पर भी इसे तभी लागू किया जाये जब सरकार प्रत्येक नागरिक तक खाद्य सामग्री पहुँचाया जाना सुनिश्चित करे और प्रत्येक नागरिक को सीधे न्यूनतम आमदनी मुहैया कराये।
अगर अब भी लोग मुनाफ़ाखोर पूँजीवादी व्यवस्था और मोदी सरकार की आपराधिक लापरवाहियों को चुपचाप बर्दाश्त करते रहे तो कल को बहुत देर हो जायेगी। आज पुरज़ोर तरीक़े से यह माँग उठानी होगी कि देश की समूची स्वास्थ्य व्यवस्था का राष्ट्रीकरण करके उसे सरकारी नियन्त्रण में लाया जाये। जब तक स्वास्थ्य सेवाएँ निजी हाथों में रहेंगी तब तक हम इसी तरह अपने परिजनों को अपनी आँखों के सामने दम तोड़ते हुए देखते रहेंगे। कोरोना महामारी के इस भीषण दौर में जनता की जीवन रक्षा के लिए सरकार को इसी वक़्त सभी निजी अस्पतालों, नर्सिंग होमों व पैथोलॉजी लैबों का राष्ट्रीकरण कर अपने नियन्त्रण में लेना चाहिए। हर प्रकार के ज्ञान का उदभव् पूरे समाज के मेहनतकशों के श्रम से ही चलता है इसलिए ज्ञान पर किसी भी तरह का पेटेण्ट नहीं होना चाहिए। कोरोना वैक्सीन को भी हर तरह के पेटेण्ट से मुक्त करके इसके उत्पादन को भरसक बढ़ाया जाना चाहिए।
उत्तर प्रदेश के लखनऊ, इलाहाबाद, गोरखपुर, अम्बेडकरनगर, चित्रकूट, मऊ, ग़ाज़ीपुर, नोएडा आदि जिलों में इस अभियान के तहत घर-घर सम्पर्क अभियान चलाकर, सभाएं कर व्यापक पैमाने पर पर्चा वितरित किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश कोरोना महामारी के पहली और दूसरी दोनों लहर के दौरान सबसे प्रभावित राज्यों में रहा है। ऊपर से देश के सबसे निरंकुश योगी सरकार द्वारा किये जाने वाले पुलिसिया दमन इस संकट को और भी गंभीर बना दी है। जब पूरा प्रदेश ऑक्सीजन, दवाएं, अस्पताल बेड की भयंकर कमी से जूझ रहा था और लोगों तिल-तिल कर मर रहे थें, तब योगी सरकार इसके खिलाफ़ बोलने वाले हर आवाज़ को दबाने के लिए सम्पति जब्त करने, रासुका और यूएपीए जैसे काले कानूनों में फंसा देने की धमकी दे रही थी। संघी सच से इतना डरते हैं कि महामारी के दौर में लोगों को जागरूक करने की मुहिम भी उनसे बर्दाशत नहीं होती। इस मुहिम के दौरान देश की कई जगहों पर अन्धभक्तों और संघी
कार्यकर्ताओं से बहसें-झड़पें हुई। लखनऊ में तो संघियों ने नौजवान भारत सभा और स्त्री मुक्ति लीग के कार्यकर्ताओं पर हमला कर दिया। 17 मई को नौभास के अविनाश व अनुपम और स्त्री मुक्ति लीग की रूपा डालीगंज इलाक़े में ‘जन स्वास्थ्य अधिकार मुहिम’ के तहत लोगों से सम्पर्क कर रहे थे, तो पहले से घात लगाये बैठे संघियों ने उन पर ऐसे बेहूदे आरोप लगाने शुरू कर दिये कि “तुम तो नक्सली हो”, “तुम यहाँ कोरोना फैलाने आये हो”, “दिल्ली की ही तरह यहाँ भी बवाल करने आये हो”, “हिन्दू-मस्लिुम को लड़वाने आये हो” और साथ ही गन्दी गालियाँ देने लगे। यह देखकर कि मोहल्ले के लोग उनकी बातों में नहीं आ रहे हैं और कार्यकर्ताओ का ही साथ दे रहे हैं, ये संघी और भी ज़्यादा बौखला उठे और मारपीट की कोशिश करने लगे। पुलिस ने मारपीट करने वाले संघियों पर कोई कार्रवाई करने के बजाय मुहिम के साथियों पर ही महामारी एक्ट की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कर लिया और मुहिम के साथियों का एफ़आईआर दर्ज करने से ही इनकार कर दिया। अब अदालत के ज़रिए एफ़आईआर दर्ज करने का आदेश हो चुका है। यह पूरी घटना पुलिस-अफ़सर-संघी और सत्ता सबकी मिलीभगत को अच्छे से उजागर कर दी है। इलाके में फिर से यह अभियान जोर शोर से चलाया जा रहा है।
दिल्ली के मज़दूर बहुल इलाकों में इस अभियान के तहत नौजवान भारत सभा और भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी की ओर से मोहल्ला कमेटियों का गठन किया जा रहा है। दिल्ली के ये मज़दूर इलाके कोरोना महामारी से भयंकर रूप से प्रभावित थे, लेकिन इन इलाकों में न तो अस्पताल है, न ही कॉरेन्टीन होने की कोई सुविधा और न ही सरकार की दृष्टि इन मज़दूर बस्तियों की तरफ कभी जाती है। यह पूरी स्थित हज़ारों मेहनतकशों के मौत का कारण बनी। स्थिति के भयानकता का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने इन बस्तियों के किनारे शमशान घाट तक बनवा डाला। भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी ने बस्ती में बने इस शमशान घाट के खिलाफ लोगों को संगठित किया। ऊपर से लॉकडाउन में राशनिंग की समुचित व्यवस्था न होने की वजह से इन बस्तियों में भुखमरी की स्थिति भी पैदा होने लगी है। इन सब समस्याओं को धयान में रखते हुए बनाई गई कमेटी रोजमर्रा की दिक्कतों- परेशानियों जैसे- साफ पीने का पानी या साफ-सफाई की उचित व्यवस्था का न होना इत्यादि के साथ साथ कई अन्य महत्वपूर्ण समस्याओं जैसे बेरोजगारी, तय न्यूनतम वेतन से बहुत कम वेतन मिलना तथा शिक्षा-स्वास्थ्य-आवास इत्यादि मसले पर लोगों को संगठित करने का काम कर रही है।
इन कमेटियों की मीटिंग में निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किए:
1. घर-घर जाकर एक सर्वे किया जाएगा जिसमें मुख्यत: निम्नलिखित जानकारी जुटाई जाएगी:
i. बेरोजगारों की संख्या
ii. वेतन व काम के घण्टों की स्थिति
iii. घर में स्कूल जाने लायक बच्चे तथा स्कूल में उनके एडमिशन की स्थिति
iv. बच्चों की ऑनलाइन कक्षा ले पाने में समर्थता की स्थिति और अगर वे असमर्थ हैं तो उसके कारण
v. सप्लाई के पानी की गुणवत्ता के बारे में लोगों की राय
vi. खरीद कर पानी पीने वाले घरों की संख्या
vii. इलाके की सफाई व्यवस्था के बारे में लोगों की राय
viii. लोगों के राशन कार्ड बने होने की स्थिति और राशन व्यवस्था के बारे में लोगों की राय
ix. आधार कार्ड व वोटर कार्ड बने होने की स्थिति
2. राशन कार्ड से संबंधित समस्याओं के निवारण के लिए तत्काल ही संबंधित विधायक तथा अधिकारियों पर अपनी एकजुटता से दबाव बनाकर सभी लोगों को राशन कार्ड उपलब्ध करवाया जाये।
3. एक रात्रि पाठशाला की शुरुआत की जाए जिसमें गली में रहने वाले निरक्षर मजदूरों को अक्षर ज्ञान से परिचित कराया जाये।
इसके अलावा यह अभियान बिहार, हरियाणा, महाराष्ट्र, पंजाब आदि प्रदेशों में जोर-शोर से चलाया जा रहा है।
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