शहीद भगतसिंह विचार मंच’ द्वारा इलाहाबाद में साइकिल यात्रा

आह्वान संवाददाता, इलाहाबाद

23 मार्च, इलाहाबाद। ‘शहीद भगतसिंह विचार मंच’ के कार्यकर्ताओं ने मार्च माह की क्रान्तिकारी विरासत को याद करते हुए साइकिल यात्रा निकाली। इस साइकिल यात्रा का मकसद शहीदों की शिक्षाओं के क्रान्तिकारी सार को लोगों तक पहुँचाना था। क्योंकि अपनी लाख कोशिशों के बाद भी जब शासक वर्ग शहीदों की स्मृतियों को धूल-राख के नीचे दबा पाने में असफल रहा तो वह और जनहितैषी का चोला पहने उसके प्रतिनिधि तथा अनेक संगठन उनके असली विचारों को धूमिल कर, उनको देव प्रतिमाओं का रूप देकर, उनके संघर्षों को केवल अंग्रेज़ों को भगाने के संघर्ष के रूप में प्रस्तुत कर रस्मअदायगी बना देने के प्रयासों में जुटा पड़ा है। जबकि भगतसिंह समाजवादी समाज के निर्माण में यकीन करते थे। और उनका कहना था कि हमारी लड़ाई का मकसद गोरों की जगह भूरे साहबों को सत्ता में लाना नहीं है। हमारी लड़ाई साम्राज्यवाद व पूंजीवाद के खिलाफ़ है।

इस साइकिल यात्रा के दौरान करीब 12 सभाएँ हुईं। इन सभाओं में वक्ताओं ने इस बात पर बहुत ज़ोर दिया कि मार्च महीने की एक बेहद युगान्तरकारी महत्व की विरासत को इतिहास के पन्नों में दबा कर रख दिया गया है। 18 मार्च 1871 की पेरिस कम्यून की विरासत ऐसी ही विरासत है। इसी दिन पेरिस के मेहनतकशों ने दुनिया के उत्पीड़ित वर्ग के सामने न्याय और समानता पर आधारित समाज का एक व्यवहारिक विकल्प रखा। यद्यपि 72 दिनों के बाद वर्साय के धनिक कसाइयों ने विदेशी मदद से इसे ख़ून के दलदल में डुबो दिया। पर कुछ हारें ऐसी होती हैं जो भविष्य की महान जीतों का मार्ग प्रशस्त करती हैं। ऐसा ही हुआ। पेरिस कम्यून की प्रेरणा व कमियों से सबक लेते हुए रूस व चीन में क्रान्तियाँ सम्पन्न हुई। भगतसिंह भी भारतीय समाज के पुनर्गठन का व्यवहारिक विकल्प यहीं से ग्रहण करते थे। उसी प्रकार, 8 मार्च अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस को उसके ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य से काटकर प्रस्तुत किया जाता है। इस दिन रूस में मज़दूर महिलाएँ ज़ार के बर्बर शासन द्वारा स्त्रियों का उत्पीड़न बन्द करने, युद्ध बन्द करने व रोटी के नारे के साथ सड़कों पर उतरी थीं। रूस पहला देश था जिसने क्रान्ति के बाद इस दिन को महिला दिवस के रूप में रेखांकित किया और कालान्तर में यह पूरे विश्व में मनाया जाने लगा। रूस में स्त्रियों को आज़ादी प्राप्त हुई थी उसने इसको स्थापित किया कि स्त्रियों के साथ के बिना मेहनतकश वर्ग व मेहनतकशों के साथ के बिना स्त्रियाँ मुक्ति हासिल नहीं कर सकती। सभाओं के दौरान मार्च माह के शहीद कलम के सिपाही गणेशशंकर विद्यार्थी को याद किया गया। और यह बात रखी गयी कि आज की सड़ी-गली पत्रकारिता को देखते हुए विद्यार्थी जी की प्रासंगिकता अत्यन्त बढ़ गयी है।

पूरी साइकिल यात्रा के दौरान करीब 2 हज़ार पर्चे बाँटे गये। और छात्रों-युवाओं से यह अपील की गयी कि इन शहीदों के सपनों को पूरा करने के लिए छात्र-युवा आगे आयें, यही इन शहीदों को सबसे सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

 

मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, मई-जून 2012

 

'आह्वान' की सदस्‍यता लें!

 

ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीआर्डर के लिए पताः बी-100, मुकुन्द विहार, करावल नगर, दिल्ली बैंक खाते का विवरणः प्रति – muktikami chhatron ka aahwan Bank of Baroda, Badli New Delhi Saving Account 21360100010629 IFSC Code: BARB0TRDBAD

आर्थिक सहयोग भी करें!

 

दोस्तों, “आह्वान” सारे देश में चल रहे वैकल्पिक मीडिया के प्रयासों की एक कड़ी है। हम सत्ता प्रतिष्ठानों, फ़ण्डिंग एजेंसियों, पूँजीवादी घरानों एवं चुनावी राजनीतिक दलों से किसी भी रूप में आर्थिक सहयोग लेना घोर अनर्थकारी मानते हैं। हमारी दृढ़ मान्यता है कि जनता का वैकल्पिक मीडिया सिर्फ जन संसाधनों के बूते खड़ा किया जाना चाहिए। एक लम्बे समय से बिना किसी किस्म का समझौता किये “आह्वान” सतत प्रचारित-प्रकाशित हो रही है। आपको मालूम हो कि विगत कई अंकों से पत्रिका आर्थिक संकट का सामना कर रही है। ऐसे में “आह्वान” अपने तमाम पाठकों, सहयोगियों से सहयोग की अपेक्षा करती है। हम आप सभी सहयोगियों, शुभचिन्तकों से अपील करते हैं कि वे अपनी ओर से अधिकतम सम्भव आर्थिक सहयोग भेजकर परिवर्तन के इस हथियार को मज़बूती प्रदान करें। सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग करने के लिए नीचे दिये गए Donate बटन पर क्लिक करें।