मेक्सिको के जुझारू छात्रों-युवाओं को क्रान्तिकारी सलाम!

आनन्द

mexico_city_protestमेक्सिको ऐतिहासिक रूप से छात्रों-युवाओं के जुझारू एवं प्रेरणादायी आन्दोलनों का केन्द्र रहा है। इन दिनों लड़ाकू छात्र-युवा आन्दोलनों की गर्मी से एक बार फिर मेक्सिको उबाल पर है। गत 26 सितम्बर की रात को मेक्सिको के दक्षिण-पूर्वी प्रान्त गुर्रेरो के अयोत्‍ज़िनापा स्थित ग्रामीण शिक्षक कॉलेज के 6 छात्रों की स्थानीय पुलिस के हाथों निर्मम मौत और 43 के लापता होने के बाद से शुरू हुआ आन्दोलन जंगल की आग की तरह मेक्सिको के विभिन्न क्षेत्रें और विश्वविद्यालयों तक फैलता जा रहा है। छात्रों-युवाओं के अलावा अब इस आन्दोलन में आम नागरिक भी बढ़चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। मेक्सिको की राजधानी मेक्सिको सिटी, गुर्रेरो प्रान्त की राजधानी चिलपैंसिंगो सहित तमाम शहरों में उग्र प्रदर्शन हो रहे हैं जिनमें लाखों लोग हिस्सा ले रहे हैं। प्रदर्शनकारियों ने कई स्थानों पर सरकारी इमारतों को अपने गुस्से का निशाना बनाया है। 12 नवम्बर को प्रदर्शनकारियों ने राज्य विधानसभा को आग के हवाले कर दिया। इंसाफ़ की गुहार लगाते हुए 43 लापता छात्रों के परिजन गाड़ियों का कारवाँ बनाकर पूरे देश में भ्रमण कर रहे हैं और उन्हें आम जनता का ज़बर्दस्त समर्थन मिल रहा है। मेक्सिको के अटार्नी जनरल ने लापता छात्रों के सन्दर्भ में कई संवेदनहीन और अन्तरविरोधी बयान दिये हैं जिसकी वजह से लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। लापता छात्रों को खोज पाने में सरकार की नाकामी से तंग आकर आन्दोलनकारी अब राष्ट्रपति पेन्या नीटो के इस्तीफ़े की माँग कर रहे हैं। स्पष्ट है कि मेक्सिको की पूँजीवादी सत्ता हाल के वर्षों के अपने गम्भीरतम संकट से गुज़र रही है।

26 सितम्बर को अयोत्‍ज़िनापा के ग्रामीण शिक्षक कॉलेज के छात्र गुर्रेरो के इगुवाला शहर में 1968 के नरसंहार की बरसी के कार्यक्रम के लिए फ़ण्ड इकट्ठा करने गये हुए थे, जब नगरपालिका पुलिस के जवानों ने उन पर हमला बोला। इस हमले में 6 छात्रों की मौत हो गयी और 25 छात्र ज़ख़्मी हो गये। इसके बाद पुलिस ने 43 अन्य छात्रों का अपहरण कर उन्हें ‘गुर्रेरोज़ यूनीदोस’ नामक ड्रग कार्टेल के हाथों सौंप दिया। तब से लेकर अब तक उन छात्रों का कोई अता-पता नहीं है।

APTOPIX Mexico Violenceइस घटना ने मेक्सिको में राजनेताओं, पुलिस अधिकारियों तथा प्रशासनिक अधिकारियों एवं ड्रग्स के व्यापारियों के बीच के नापाक रिश्तों को पूरी तरह से उजागर कर दिया है। घटना में इगुवाला के महापौर की संलिप्तता बतायी जा रही है। ग़ौरतलब है कि महापौर की पत्नी का भाई ‘गुर्रेरोज़ यूनीदोस’ नामक ड्रग कार्टेल का सरगना है। नगरपालिका से लेकर केन्द्रीय स्तर तक मेक्सिको की बुर्जुआ राजनीति और ड्रग व्यवसायियों के बीच इतना घनिष्ठ सम्बन्ध है कि यह बताना बेहद मुश्किल है कि राजनीति में ड्रग व्यवसायी घुसे हैं या ड्रग व्यवसाय में राजनीतिज्ञ घुसे हैं। जो भी हो इतना तो तय है कि मेक्सिको का समूचा शासन और प्रशासन अपराधी गिरोहों के क़ब्जे में है। मेक्सिको की राजनीति एवं अर्थव्यवस्था में ड्रग सरगनाओं के दबदबे की वजह से वहाँ एक विशेष क़िस्म के पूँजीवाद ने जन्म लिया है, जिसे नार्को-पूँजीवाद की संज्ञा दी जाती है। पिछले कुछ दशकों में नव-उदारवादी नीतियों ने मेक्सिको की नार्को-पूँजीवादी अर्थव्यवस्था की परजीविता को बढ़ाने का काम किया है। अमेरिका और मेक्सिको के बीव मुक्त व्यापार के समझौते नाफ्टा (नॉर्थ अमेरिका फ्री ट्रेड एग्रीमेण्ट) की वजह से मेक्सिको की अर्थव्यवस्था तबाह हो चुकी है और ग़रीबी, महँगाई, बेरोज़गारी, आर्थिक एवं क्षेत्रीय असमानता चरम पर है।

ड्रग अपराधी गिरोहों के ख़ात्मे के मक़सद से 2006 से जारी तथाकथित ड्रग युद्ध मेक्सिको में ड्रग माफ़ियाओं का तो बाल भी बाँका न कर सका, लेकिन इस युद्ध की आड़ में मेक्सिको के नार्को-पूँजीवादी राज्य ने अपनी सैन्य ताक़त में ज़बर्दस्त इज़ाफ़ा किया है जिसका इस्तेमाल वह जनान्दोलनों को बर्बर तरीक़े से कुचलने के लिए करता रहा है। ग़ौरतलब है कि यह तथाकथित ड्रग युद्ध अमेरिका की शह पर छेड़ा गया है। 2006 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश द्वारा शुरू की गयी ‘मेरिडा पहल’ नामक सुरक्षा समझौते के तहत अमेरिका मेक्सिको को ड्रग तस्करों और संगठित अपराधों से निपटने के लिए सैन्य सहायता देता है। इस पहल के तहत अमेरिका अब तक 3 अरब डॉलर की सैन्य सहायता दे चुका है जिसका असली मक़सद मेक्सिको में नव-उदारवादी नीतियों के खि़लाफ़ उठ रहे जुझारू जनान्दोलनों को कुचलने के लिए मेक्सिको के राज्य को मज़बूत बनाना है। जहाँ तक ड्रग माफ़िया का सवाल है, अमेरिका द्वारा दी गयी इस सैन्य सहायता के बाद उनकी ताक़त कम होने की बजाय बढ़ी ही है। ड्रग युद्ध में अब तक 70,000 लोगों की जानें जा चुकी हैं और 27,000 लोग लापता हैं। अभी हाल ही में कई सामूहिक क़ब्रें पायी गयी हैं।

Acapulco protestsमेक्सिको की तीनों प्रमुख राजनीतिक दलों – इंस्टीट्यूशनल रिवोल्यूशनरी पार्टी (पीआरआई), डेमोक्रैटिक रिवोल्यूशनरी पार्टी (पीआरडी), नेशनल एक्शन पार्टी (पैन) की नव-उदारवादी नीतियों पर आम सहमति है। वर्तमान राष्ट्रपति पेन्या नीटो अमेरिकी साम्राज्यवादियों का चहेता है। अमेरिका की प्रसिद्ध ‘टाइम’ पत्रिका के हाल के एक अंक की कवर स्टोरी पेन्या नीटो पर ही केन्द्रित थी जिसमें उसके द्वारा लागू किये गये नव-उदारवादी सुधारों की तारीफों के पुल बाँधे गये थे और यह सन्तोष प्रकट किया गया था कि वह मेक्सिको को स्थिरता की ओर ले जा रहा है। वर्तमान संकट से ठीक पहले पेन्या नीटो की सरकार निजी कम्पनियों द्वारा तेल और गैस के उत्पादन के लिए बड़े पैमाने पर ज़मीन अधिग्रहण की योजना बना रही थी जिसके खि़लाफ़ वहाँ की जनता में ज़बर्दस्त असन्तोष था। गर्रेरो में 43 छात्रों के लापता होने के बाद उठ खड़े हुए छात्र-युवा आन्दोलन के अलावा हाल ही में वहाँ नेशनल पॉलीटेक्निक इंस्टीट्यूट (आईपीएन) के छात्रों का एक विशाल और जुझारू आन्दोलन चला जिसमें लाखों छात्रों ने हिस्सा लिया जिसमें प्रसिद्ध यूनाम और यूआम विश्वविद्यालय के छात्र भी शामिल थे। पॉलीटेक्निक छात्रों का यह आन्दोलन पेन्या नीटो सरकार के नव-उदारवादी एजेण्डे के तहत लाये जाने वाले शिक्षा सुधारों के खि़लाफ़ था जिसमें पाठ्यक्रम में बदलाव करके छात्रों को पूँजीवादी बाज़ार के लिए सस्ते श्रम के स्रोत तक सीमित करने की योजना थी। आन्दोलन को मिले व्यापक सहयोग की वजह से फ़िलहाल प्रशासन को छात्रों के आगे झुकना पड़ा है। पॉलीटेक्निक छात्रों के इस आन्दोलन ने 43 लापता छात्रों के लापता होने के बाद उठ खड़े हुए आन्दोलन को अपना समर्थन देने का फ़ैसला किया है।

43 लापता छात्र अयोत्‍ज़िनापा के जिस ग्रामीण शिक्षक स्कूल के थे वह 1911-1929 की मेक्सिको की क्रान्ति के दौरान अस्तित्व में आये क्रान्तिकारी जनसंस्थाओं में से एक है। इस तरह के शिक्षक स्कूलों में ग़रीब किसानों के बच्चे शिक्षक बनने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए दाखि़ला लेते हैं। यहाँ से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद वे ग्रामीण सामुदायिक विद्यालयों में बच्चों को पढ़ाने के लिए जाते हैं। ग्रामीण शिक्षक स्कूल में थियरी के अलावा प्रशिक्षुओं को खेती, पशुपालन, मुर्गीपालन, बत्तख पालन, मछली पालन आदि जैसी उत्पादक गतिविधियों में भी शामिल किया जाता है। इसके अतिरिक्त गीत-संगीत, कला-साहित्य, नाटक आदि का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। इस तरह के ग्रामीण शिक्षक स्कूल परम्परागत रूप से मेक्सिको में रैडिकल वामपन्थियों और क्रान्तिकारियों को तैयार करने की नर्सरी का काम करते रहे हैं। अयोत्‍ज़िनापा के जिस ग्रामीण शिक्षक स्कूल में लापता 43 छात्र पढ़ते थे, उसमें मार्क्स, एंगेल्स, लेनिन और चे ग्वेरा जैसे क्रान्तिकारियों एवं मेक्सिको की क्रान्ति के शानदार म्यूरल बने हैं। इस तरह के ग्रामीण शिक्षक स्कूलों से निकले शिक्षक पूँजीवादी लूट-खसोट के खि़लाफ़ लोगों को एकजुट करते आये हैं जिसकी वजह से ये लम्बे अरसे से सत्ताधरियों की आँखों की किरकिरी बने हुए हैं। 26 सितम्बर को इस स्कूल के छात्रों पर पुलिसिया हमला और फिर 43 छात्रों को पुलिस द्वारा ड्रग माफ़िया को सुपुर्द करने की घटना को इस परिदृश्य में आसानी से समझा जा सकता है।

मेक्सिको के छात्रों और युवाओं ने अपने लड़ाकूपन से वहाँ के सत्ताधरियों की नींद हराम कर दी है। जिस तरीक़े से मेक्सिको के छात्र और युवा इस आन्दोलन को पूरे देश में फैला रहे हैं और जिस तरीक़े से वे मेक्सिको के आम नागरिकों सहित दुनिया-भर के इंसाफ़पसन्द लोगों को परम्परागत और आधुनिक माध्यमों का इस्तेमाल करके इस आन्दोलन से जोड़ रहे हैं, वह वाकई प्रेरणादायी है। साथ ही साथ यह भी कहना होगा कि यह बेहद अफ़सोस की बात है कि इतने जुझारू छात्र-युवा आन्दोलन की मौजूदगी के बावजूद मेक्सिको के सर्वहारा वर्ग की संगठित ताक़तें इतनी कमज़ोर हैं कि वे इस परिस्थिति का लाभ उठाकर इस देशव्यापी आन्दोलन को सर्वहारा क्रान्ति की ओर अग्रसर करने में नितान्त असमर्थ हैं। 1911-1929 की मेक्सिको की क्रान्ति के शानदार इतिहास को देखते हुए यह निश्चय ही चिन्ता का सबब है कि सर्वहारा वर्ग की ताक़तें उस देश में आज इतनी कमज़ोर हैं।

मेक्सिको की क्रान्ति के बाद वहाँ की सत्ता पर क़ाबिज़ हुई इंस्टीट्यूशनल रिवोल्यूशनरी पार्टी (पीआरआई) ने जनान्दोलनों के दबाव में शुरुआत में कुछ लोकप्रिय और जनपक्षधर क़दम उठाये थे, परन्तु कालान्तर में यह पार्टी किसी भी अन्य बुर्जुआ पार्टी की ही तरह महाभ्रष्ट हो गयी। मेक्सिको में 1968 में छात्रों के नरसंहार के बाद एक शानदार आन्दोलन उठ खड़ा हुआ था जिसे बर्बरतापूर्वक कुचल दिया गया था। 1980 और 1990 के दशक में भी मेक्सिको के सुदूर ग्रामीण इलाक़ों में सबकमाण्डेण्ट मारकोस के नेतृत्व में ज़पातिस्ता नामक एक जुझारू किसान आन्दोलन उभरा था, लेकिन अपने लड़ाकूपन के बावजूद विचारधारात्मक कमज़ोरी की वजह से यह आन्दोलन कमज़ोर पड़ गया। आज यह आन्दोलन ‘देशी समुदायों’ और ‘अग्रजों’ से अनालोचनात्मक रूप से सीखने के नाम पर क्रान्ति की विचारधारा और रास्ते से और भी दूर जा चुका है और राज्य के प्रश्न और देशव्यापी क्रान्ति की सोच से किनारा कर रहा है। मेक्सिको के जुझारू आन्दोलनों की सबसे बड़ी कमज़ोरी यह है कि उनका मेक्सिको की विशाल सर्वहारा आबादी के बीच कोई आधार नहीं है। मेक्सिको की सर्वहारा आबादी का एक बड़ा हिस्सा अमेरिकी सर्वहारा की मदद से वैध और अवैध तरीक़े से अमेरिका में जाकर काम करता है। अगर इस सर्वहारा आबादी के बीच मेक्सिको की क्रान्तिकारी ताक़तें अपना आधार बनातीं और जुझारू छात्र-युवा आन्दोलनों एवं नव-उदारवादी नीतियों की वजह से पनप रहे जनअसन्तोष को विश्व पूँजीवाद के चौधरी अमेरिका के पिछवाड़े के आँगन में सर्वहारा क्रान्ति की ओर मोड़ना मुमकिन होता। अमेरिका के मिसौरी प्रान्त के फ़र्ग्यूसन शहर में एक अफ्रीकी-अमेरिकी किशोर की पुलिस द्वारा हत्या के बाद से वहाँ भी पिछले कुछ महीनों से आन्दोलन का माहौल है। ऐसे में सर्वहारा वर्ग के हितों की नुमाइन्दगी करने वाली ताक़तों को दोनों ही देशों की सर्वहारा आबादी के बीच इन तमाम मुद्दों के आधार पर एकजुट और लामबन्द करने की ज़रूरत है। यदि भविष्य में ऐसा हो सकेगा तभी मेक्सिको के छात्रों-युवाओं के शानदार संघर्ष को उसकी तार्किक परिणति पर पहुँचाया जा सकता है।

 

मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, सितम्‍बर-दिसम्‍बर 2014

 

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