यूनीवर्सिटी कम्युनिटी फ़ॉर डेमोक्रेसी एण्ड इक्वैलिटी के नेतृत्व में प्रो. हातेकर के अन्यायपूर्ण निलम्बन के ख़िलाफ़ सफल छात्र आन्दोलन

मुम्बई विश्वविद्यालय के इकोनोमेट्रिक्स के प्रतिष्ठित शिक्षक प्रो. नीरज हातेकर को मुम्बई विश्वविद्यालय प्रशासन ने 4 जनवरी को निलम्बित कर दिया था। प्रो. हातेकर का कसूर सिर्फ़ इतना था कि उन्होंने मुम्बई विश्वविद्यालय के कुलपति की नियुक्ति में व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट किया था और साथ ही वह मुम्बई विश्वविद्यालय में जारी तमाम कुप्रबन्ध और अनियमितताओं के ख़िलाफ़ संघर्ष कर रहे थे। उन्होंने प्रेस कान्फ्रेंस करके अपने तमाम आरोपों के प्रमाण भी मीडिया के समक्ष रखे थे।

मुम्बई विश्वविद्यालय में प्रो. हातेकर के निलम्बन के ख़िलाफ़ यूसीडीई के नेतृत्व में चला छात्र आन्दोलन

मुम्बई विश्वविद्यालय में प्रो. हातेकर के निलम्बन के ख़िलाफ़ यूसीडीई के नेतृत्व में चला छात्र आन्दोलन

उनके निलम्बन को लेकर छात्रों में और विशेष तौर पर अर्थशास्त्र विभाग के छात्रों में ख़ासा असन्तोष था। नतीजतन, यूसीडीई (यूनीवर्सिटी कम्युनिटी फ़ॉर डेमोक्रेसी एण्ड इक्वैलिटी) ने प्रो. हातेकर के निलम्बन के विरोध में 6 जनवरी को कलीना कैम्पस, मुम्बई विश्वविद्यालय का गेट जाम करके प्रदर्शन किया, जिसमें बड़ी संख्या में छात्रों ने भाग लिया। इसके बाद 8 जनवरी को एक बड़ा विरोध जुलूस निकाला गया जिसमें सैकड़ों छात्रों ने भागीदारी की। इस जुलूस का आह्वान भी यूसीडीई ने किया था। इसके बाद यूसीडीई ने विश्वविद्यालय के कन्वोकेशन समारोह के दिन 12 जनवरी को मुँह पर काली पट्टियाँ बाँधकर विरोध प्रदर्शन भी किया। इस दौरान विश्वविद्यालय प्रशासन पर आन्दोलन का दबाव लगातार बढ़ता रहा। इसके बाद आगे का रास्ता तय करने के लिए यूसीडीई ने 15 जनवरी को यूसीडीई की जनरल बॉडी की बैठक बुलायी। इस बैठक में भूख हड़ताल शुरू करने का निर्णय लिया गया। तारीख़ 20 जनवरी तय की गयी। लेकिन इस भूख हड़ताल के शुरू होने के एक दिन पहले ही विश्वविद्यालय ने बढ़ते आन्दोलन को देखकर प्रो. हातेकर का निलम्बन वापस ले लिया। इसके बाद 20 जनवरी को यूसीडीई के नेतृत्व में एक विजय मार्च का आयोजन किया गया।

IMG_20140112_104330लेकिन इसके बाद भी यूसीडीई ने उन मुद्दों पर अपना आन्दोलन जारी रखा, जिन मुद्दों पर आवाज़ उठाने के कारण प्रो. हातेकर को निलम्बित किया गया था। छात्रों का एक 8-सूत्रीय माँगपत्रक तैयार किया गया और उसे लेकर कक्षाओं में जाकर हस्ताक्षर अभियान चलाया गया। 21 फ़रवरी को यह माँगपत्रक सैकड़ों हस्ताक्षरों के साथ विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंपा गया। एक छात्र प्रतिनिधि मण्डल ने यही माँगपत्रक कुलाधिपति और शिक्षा मन्त्री से मिलकर उन्हें भी सौंपे। इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि परीक्षाओं के बाद नये सत्र में इन माँगों पर कार्रवाई न होने की सूरत में आन्दोलन फिर से शुरू किया जायेगा।

 

मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, जनवरी-अप्रैल 2014

 

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