नौजवान भारत सभा द्वारा सफ़ाई एवं स्वास्थ्‍य के मुद्दे पर संघर्ष की शुरुआत

आह्वान संवाददाता, लखनऊ

आह्वान के पिछले अंक में हमने जो रिपोर्ट दी थी। वह यह थी कि लखनऊ के खदरा क्षेत्र में डेंगू, मलेरिया, मियादी बुखार, महामारी ने पूरे क्षेत्र को अपने खूंखार पंजों में जकड़ लिया था, तब नौजवान भारत सभा द्वारा अक्टूबर माह में तीन दिवसीय निःशुल्क मेडिकल कैम्प लगाया गया था। लगभग एक महीने की अवधि में 70 से ऊपर लोग मारे गये थे। नौजवान भारत सभा द्वारा लगाये गये मेडिकल कैम्प के बाद प्रशासन हरकत में आया और अस्थायी मेडिकल कैम्प लगाया जो बहुत प्रभावी नहीं था। उसी समय प्रदेश के माया राज के नुमाइन्दों द्वारा और विपक्षी पार्टी के नेताओं द्वारा बड़े-बड़े वायदे किये गये। सरकार ने इस क्षेत्र के लिए 100 सफ़ाई कर्मचारी नियुक्त किये जाने की बात कही। कूडे़दान भी रखवाने की बात की, परन्तु रिपोर्ट लिखने तक महज़ इतना हुआ कि एक प्राइवेट कम्पनी को घर-घर से कूड़ा उठाने का ठेका दे दिया गया। और कभी-कभार सफ़ाई की खानापूर्ति कर दी गयी। बी.जे.पी. के एक नेता ने अपनी सांसद निधि से 10 फ़ॉगिंग मशीन व एक एम्बुलेंस क्षेत्र में उपलब्ध कराने की बात कही, लेकिन वह वायदे भर ही थे जिसे कभी पूरा नहीं होना था और न ही हुआ। इनकी हक़ीकत लोग जानते थे पर जिसे भ्रम था कि हमारे “जनप्रतिनिधि” कुछ करेंगे, वह भी दूर हो गया। नौजवान भारत सभा द्वारा इलाक़े की जाँच-पड़ताल की गयी, लोगों से बातचीत की गयी, जिससे प्रमुख समस्याएँ चिह्नित हो रही थीं। इस जाँच-पड़ताल को और अधिक पुख्ता करने के लिए नौजवान भारत सभा द्वारा 5 दिसम्बर को एक जनसभा का आयोजन किया गया। जनसभा इसलिए भी बुलायी गयी थी कि लोग इन समस्याओं पर क्या सोचते हैं और कुछ करने के इच्छुक हैं कि नहीं। अन्यथा यह कहावत ही चरितार्थ होती कि मुद्दई सुस्त गवाह चुस्त। जनसभा की शुरुआत क्रान्तिकारी गीत ‘तोड़ो बन्धन तोड़ो’ से की गयी। सभा का संचालन करते हुए ‘नौजवान भारत सभा’ के सदस्य लालचन्द्र ने कहा कि हमारा संगठन तमाम समस्याओं, चाहे वह रोज़गार का सवाल हो, स्वास्थ्य का या राजनीतिक जागरूकता का सवाल हो, के लिए हमेशा आवाज़ उठाता रहा है ताकि सत्ता के बहरे कानों तक उसकी गूँज पहुँचे। आगे अपनी बात जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि जनसहयोग द्वारा नौजवान भारत सभा द्वारा आयोजित मेडिकल कैम्प से जनता के स्वास्थ्य का बन्दोबस्त नहीं हो सकता। जन स्वास्थ्य या अन्य किसी भी नागरिक अधिकार को पूरा करने की ज़िम्मेदारी सरकार की होती है। इसलिए ज़रूरत है कि आम लोग, जिनका हक सरकार छीन रही है उनके ख़िलाफ अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करें। चुनावी मदारियों से आशा छोड़कर नौजवान भारत सभा के साथ लामबन्द हों। ऐसे पस्ती के माहौल में नौजवान भारत सभा लोगों के बीच इस आशा का संचार कर रही है कि जब-जब लोगों ने मिलकर संघर्ष किया है, वह संघर्ष ज़रूर रंग लाया है और आज भी वह ज़रूर रंग लायेगा।

आगे की बात दिशा छात्र संगठन के शिवार्थ ने रखते हुए कहा कि सरकार की यह ज़िम्मेदारी बनती है कि वह लोगों के मूलभूत अधिकारों को पूरा करे, चाहे वह स्वास्थ्य का सवाल हो या सफ़ाई, निःशुल्क व समान शिक्षा व रोज़गार के समान अवसर, मनोरंजन व आवास का। सरकार द्वारा इकट्ठा किये गये राजस्व का 80 प्रतिशत से अधिक, आम जनता अप्रत्यक्ष कर के माध्यम से देती है जो हर प्रकार के उत्पादों की ख़रीद पर लिया जाता है। लोगों का अधिकार बनता है कि वह सरकार से अपने हक़ों की माँग करे और पूरा न होने पर उसे छीन ले। मुख्य बात यह है कि सरकार किसी भी पार्टी की हो या गठबन्धन की, उनकी नीति ही ऐसी है कि अमीर और अमीर हुआ, ग़रीब और ग़रीब। अमीरों की सेवा में तो सत्ता एवं विपक्ष के नेता एवं पार्टियाँ और पुलिस-फ़ौज तक वफ़ादार कुत्तों की तरह काम करती है, आम लोगों पर भौंकती है, काट खाती है और उसकी क़ीमत भी जनता से वसूल करती है। उनके लिए हर तरह की एय्याशी के सरंजाम मौजूद हैं, दूसरी तरफ आम लोग छोटी-छोटी ज़रूरतों से महरूम होकर तिल-तिलकर दम तोड़ रहे हैं, प्रदेश की राजधानी के एक प्रतिष्ठित अस्पताल में स्वाइन फ्लू की तीन करोड़ की लैब ख़रीदकर रख दी गयी है जोकि कबाड़ की तरह एक कोने में पड़ी है और जबकि स्वाइन फ्लू का कहीं कोई नामलेवा नहीं है। वहीं इस कॉलेज/अस्पताल से 2 किलोमीटर दूर खदरा क्षेत्र में एक सरकारी डिस्पेंसरी तक नहीं है जबकि इलाक़े की आबादी लगभग 50 हज़ार है। और जहाँ कहीं डिस्पेंसरी है भी उनकी स्थिति अच्छी नहीं है।

दूसरे वक्ता सूरज ने, जो कि दिशा छात्र संगठन के सदस्य हैं, कहा कि नौजवान भारत सभा द्वारा जो भी प्रयास किया जा रहा है, उसमें ज़्यादा से ज़्यादा लोग शमिल हों। कोई भी संघर्ष अकेले नहीं किया जा सकता। यहाँ लोगों की जो उपस्थिति है, वह और अधिक होनी चाहिए। हालाँकि यह एक शुरुआत है, आगे कारवाँ तो बढ़ता ही जायेगा। आगे की बात जारी रखते हुए लालचन्द्र ने कहा कि अब सवाल है कि हम क्या कर सकते हैं और हमारे पास रास्ता क्या हो।

इस शिविर में आये लोगों ने समस्याओं को साझा किया और कहा कि संघर्ष में हम सब साथ रहेंगे। लोगों द्वारा चिन्‍ह‍ित समस्याएँ थीं कि नालियों की सफ़ाई नहीं होती, जिसमें पानी इकट्ठा होता है और मच्छर पनपते हैं और भी तमाम परेशानियाँ होती हैं। पीने का पानी जो सप्लाई द्वारा आता है, वह कई बार बदबूदार व झागदार होता है, हैण्डपाइप कई महीनों-सालों से ख़राब हैं, शिकायत-पत्र देने पर भी ठीक नहीं किये जाते और तरह-तरह के बहाने बनाकर टाल दिया जाता है। बाक़ी तीन मुद्दे नौजवान भारत सभा द्वारा भी सुझाये गये कि इस इलाक़े में एक सरकारी डिस्पेंसरी होनी चाहिए। क्षेत्र में पर्याप्त मात्र में कूडे़दान रखे जायें और हर माह क्लोरीन की गोली भी बाँटी जाये, ताकि लोग साफ पानी पी सकें। सभा में लगभग 100 लोगों ने भागीदारी की, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएँ भी थीं। सभी ने किसी भी वक़्त साथ खड़े होने की बात की। सभा का अन्त एक क्रान्तिकारी गीत “आ रे नौजवान” से किया गया। उपरोक्त सुझावों को आधार बनाते हुए पाँच सूत्री माँगपत्रक तैयार किया गया, जिसमें मुख्य तौर पर पाँच माँगें रखी गयी थीं।

(1) नालियों की नियमित सफ़ाई की जाये।

(2) क्षेत्र में तीस कूड़ेदान रखवायें जायें।

(3) साफपानी की सप्लाई व ख़राब पड़े हैण्डपम्प की मरम्मत की जाये।

(4) हर माह क्लोरीन की गोली बाँटी जाये।

(5) एक स्थायी चिकित्सा केन्द्र खोला जाये, जिसमें तीन डॉक्टर आठ घण्टे के लिए बैठें।

इस माँगपत्रक पर पूरे खदरा क्षेत्र में 20 दिन तक घर-घर जाकर, इन मुद्दों पर बात करके हस्ताक्षर लिया गया, लगभग 1000 से ऊपर हस्ताक्षर के साथ ज्ञापन 2 दिसम्बर को महापौर से लेकर नगर आयुक्त, उपनगर आयुक्त और क्षेत्रीय पार्षदों को सौंपा गया।

और पार्षदों से बात की गयी, जिस पर पन्द्रह दिन का समय दिया जा रहा है। माँगें पूरी न होने पर हमारे पास आन्दोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं होगा। ज्ञापन सौंपने के तीन दिन बाद ख़राब पड़े हैण्डपम्पों को ठीक किया जाना शुरू हुआ और दिसम्बर के अन्त में लगभग 80 प्रतिशत हैण्डपम्प ठीक हो चुके थे। बाक़ी के सवालों पर यदि तयशुदा समय के भीतर कोई कार्यवाही होती नहीं दिखेंगी तो नौजवान भारत सभा द्वारा इन बाक़ी मुद्दों पर आन्दोलन का रास्ता अपनाया जायेगा।

 

मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, जनवरी-फरवरी 2011

 

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