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मार्क ट्वेन की दो छोटी कहानियाँ
अनुवाद- अभिनव
शैतान की तरफ़ से कुछ मानवीय शब्द
[निम्न पत्र, जिस पर कि शैतान के हस्ताक्षर हैं, यह दावा करता है कि वह वाकई शैतान के पास से आया है और इसलिए हमारे पास इस बात को मानने के पर्याप्त कारण है कि इसे शैतान ने नहीं बल्कि मार्क ट्वेन ने लिखा है। – सम्पादक]
‘हार्पर्स वीकली’ के सम्पादक के नामः
प्रिय महोदय व बन्धुओं, -चलिये इन बेकार बातों को यहीं छोड़ते हैं। अमेरिकी बोर्ड हर वर्ष मुझसे आर्थिक दान स्वीकार करता हैः फिर इसे श्री- रॉकफेलर से क्यों नहीं लेना चाहिए? सभी युगों में महान धर्मार्थ अर्थदानों का तीन-चौथाई हिस्सा वास्तव में ईमान-अदायगी होता है, जैसा कि मेरी किताबें आपको दिखलाएँगीः फिर इस शब्द को श्री रॉकफेलर के लिए इस्तेमाल किये जाने पर लोगों को डंक क्यों लग जाता है? अमेरिकी बोर्ड के फण्ड्स का वित्त-पोषण मुख्य तौर पर कब्रिस्तानों से होता है। मतलब वसीयतों से, आप समझ रहे हैं। ईमान-अदायगी। किसी पुराने अपराध की स्वीकारोक्ति और एक नये अपराध को सोचे-समझे तरीके से अंजाम देना; क्योंकि मृत व्यक्ति का अर्थदान वास्तव में उसके उत्तराधिकारियों को लूटना है। क्या बोर्ड को वसीयतों से मिलने वाली राशि को ठुकरा देना चाहिए क्योंकि वे हर बार इनमें से एक या फिर आम तौर पर दोनों का प्रतीक होती हैं?
मुझे अपनी बात जारी रखने की आज्ञा दें। जिस आरोप पर लगातार और गुस्से के साथ और अफसोस के साथ विचार किया जाना चाहिए, वह यह है कि श्री रॉकफेलर के अर्थदान पर झूठी गवाही का अमिट दाग है – झूठी गवाही जो कि अदालत में उनके विरुद्ध सिद्ध हो चुकी है। इस पर हम हँसते है – मतलब मेरी जगह पर! क्योंकि आपके विशाल शहर में एक भी ऐसा अमीर आदमी नहीं है जो हर वर्ष कर मण्डल के सामने झूठी गवाही नहीं देता। वे सभी झूठी गवाहियों से ढँके हुए हैं, और कई तहों तक ढँके हुए हैं। जैसे कि लोहे में मढ़े हुए हों। अगर कोई ऐसा है जो कि इसका अपवाद हो तो मैं उसे संग्रहालय के लिए हासिल करना चाहूँगा और इसके लिए मैं डायनासोर वाली दरों पर भुगतान करूँगा। क्या आप कहेंगे कि यह कानून का उल्लंघन नहीं है बल्कि उससे सालाना तौर पर किया जाने वाला बचाव है? अगर आपको मन हो तो आप अपने आपको इस भोले-भाले से भेद से सांत्वना दे सकते हैं – फिलहाली तौर पर। लेकिन जब आप बाद में आएँगे तो मैं आपको एक और दिलचस्प चीज़ दिखाऊँगाः ऐसे बच निकलने वालों से भरा हुआ एक पूरा नर्क! कभी-कभी कोई स्पष्टवादी कानून तोड़ने वाला कहीं और बरामद हो जाता है, लेकिन बाकी हमेशा मुझे ही मिल जाते हैं।
अब मैं अपने विषय पर वापस लौटता हूँ। मैं आपको याद दिलाना चाहता हूँ कि झूठी गवाही देने वाले मेरे धनी लोग अमेरिकी बोर्ड को बार-बार अर्थदान दे रहे हैं: यह वह पैसा है जो बचा लिये गये व्यक्तिगत आयकर का था, जिसे लेकर ये लोग चम्पत हो गये थे; इसलिए यह पाप करके कमाई गयी उजरत है; इसलिए यह मेरा पैसा है; इसलिए ये मैं हूँ जो इसे दान करता हूँ; और अन्त में, इसलिए जैसा कि मैं कह चुका हूँ: चूँकि बोर्ड रोज़ाना ही मुझसे अर्थदान लेता है, वह श्री रॉकफेलर से लेने के लिए क्यों मना करे, जो कि वैसे ही हैं जैसे कि मैं हूँ, चाहे अदालतें कुछ भी कहें?
शैतान
छोटी लड़कियों के लिए सलाह
अच्छी छोटी लड़कियों को हर छोटी-मोटी नाराज़गी पर अपने शिक्षकों को मुँह नहीं चिढ़ाना चाहिए। इस जवाबी कार्रवाई की शरण में केवल विशिष्ट रूप से उग्र हो गयी परिस्थितियों में जाना चाहिए।
अगर तुम्हारे पास लकड़ी के बुरादे से भरी चिथड़े से बनायी गुड़िया के अलावा कुछ भी न हो, जबकि तुम्हारी किसी अधिक भाग्यशाली सहेली के पास महँगी चीनी गुड़िया हो, तो भी तुम्हें उससे दयालुता दिखाते हुए बर्ताव करना चाहिए। और तुम्हें उसकी गुड़िया से अपनी गुड़िया को बदलने का बलपूर्वक प्रयास नहीं करना चाहिए बशर्ते कि तुम्हारी अन्तरात्मा तुम्हें इस कार्य में सही ठहराये, और तुम जानती हो कि तुम ऐसा करने में बिल्कुल सक्षम हो।
तुम्हें अपने छोटे भाई की च्युइंग-गम को बल के नग्न प्रयोग के साथ उससे छीनना नहीं चाहिए; उसे पहले इस वायदे में फँसाना बेहतर होगा कि तुम उसे वह ढाई डॉलर दोगी जो तुम्हें नदी में एक सान वाले पत्थर पर तैरते हुए मिले हैं। जिन्दगी के इस दौर की नैसर्गिक सरल निष्कपटता के साथ, वह इसे एकदम न्यायपूर्ण लेन-देन मानेगा। दुनिया के इतिहास के सभी दौरों में इस उत्कृष्ट रूप से विश्वस्नीय लगने वाली कल्पना ने भोले-भाले शिशुओं को वित्तीय तबाही और बरबादी के गड्ढे में धकेला है।
अगर किसी मौके पर तुम्हें अपने भाई को सही रास्ते पर लाने की ज़रूरत पड़े तो ऐसा कीचड़ का प्रयोग करके मत करो- कभी-भी, किसी भी कीमत पर, उस पर कीचड़ मत फेंको क्योंकि इससे उसके कपड़े ख़राब हो जायेंगे। उसे गर्म पानी से थोड़ा-सा जला देना ज़्यादा बेहतर होगा, क्योंकि तब तुम्हें वांछित नतीजे मिल जायेंगे। उन शिक्षाओं के लिए तुम्हें उसका ध्यान तत्काल हासिल हो जाता है जो तुम उसके मन में बिठाना चाहती हो, और फिर साथ ही तुम्हारे गर्म पानी में उसके व्यक्तित्व से, और शायद धब्बों के रूप में त्वचा से भी, अशुद्धताएँ दूर करने की प्रवृत्ति भी होगी।
अगर तुम्हारी माँ तुम्हें कुछ करने के लिए कहती है, तो यह जवाब देना एकदम ग़लत है कि तुम नहीं करोगी। यह बेहतर और यथोचित होगा कि तुम उसे बताओ कि तुम वैसा करोगी जैसा कि उसका आदेश है, और फिर उसके बाद चुपचाप उस मामले में वही करो जो तुम्हारे सर्वश्रेष्ठ निर्णय विवेक का निर्देश हो।
तुम्हें हमेशा यह बात अपने दिमाग़ में रखनी चाहिए कि तुम अपने दयालु माता-पिता के प्रति ऋणी हो कि तुम्हें भोजन मिलता है, और इस विशेषाधिकार के लिए भी कि जब तुम ऐसा ज़ाहिर करती हो कि तुम बीमार हो, तो तुम्हें स्कूल भेजने की बजाय घर पर रहने दिया जाता है। इसलिए तुम्हें उनके छोटे-मोटे पूर्वाग्रहों का सम्मान करना चाहिए, और उनकी मामूली सनकों को मानना चाहिए, और उनकी मामूली नैतिक दुर्बलताओं को तब तक सहन करना चाहिए जब तक कि वे तुम्हें बुरी तरह से न घेर लें।
अच्छी छोटी लड़कियाँ हमेशा बुजुर्ग लोगों के लिए विशेष सम्मान दिखलाती हैं। तुम्हें बुजुर्ग लोगों को ढिठाई से कभी जवाब नहीं देना चाहिए, बशर्ते कि पहले वे तुमसे ढिठाई से बात न करें।
Two short-stories by Mark Twain
A Humane Word from Satan
[The following letter, signed by Satan and purporting to come from him, we have reason to believe was not written by him, but by Mark Twain. –Editor.]
TO THE EDITOR OF HARPER’S WEEKLY:
Dear Sir and Kinsman,–Let us have done with this frivolous talk. The American Board accepts contributions from me every year: then why shouldn’t it from Mr. Rockefeller? In all the ages, three-fourths of the support of the great charities has been conscience-money, as my books will show: then what becomes of the sting when that term is applied to Mr. Rockefeller’s gift? The American Board’s trade is financed mainly from the graveyards. Bequests, you understand. Conscience-money. Confession of an old crime and deliberate perpetration of a new one; for deceased’s contribution is a robbery of his heirs. Shall the Board decline bequests because they stand for one of these offenses every time and generally for both?
Allow me to continue. The charge must persistently and resentfully and remorselessly dwelt upon is that Mr. Rockefeller’s contribution is incurably tainted by perjury–perjury proved against him in the courts. IT MAKES US SMILE–down in my place! Because there isn’t a rich man in your vast city who doesn’t perjure himself every year before the tax board. They are all caked with perjury, many layers thick. Iron-clad, so to speak. If there is one that isn’t, I desire to acquire him for my museum, and will pay Dinosaur rates. Will you say it isn’t infraction of the law, but only annual evasion of it? Comfort yourselves with that nice distinction if you like –FOR THE PRESENT. But by and by, when you arrive, I will show you something interesting: a whole hell-full of evaders! Sometimes a frank law-breaker turns up elsewhere, but I get those others every time.
To return to my muttons. I wish you to remember that my rich perjurers are contributing to the American Board with frequency: it is money filched from the sworn-off personal tax; therefore it is the wages of sin; therefore it is my money; therefore it is I that contribute it; and, finally, it is therefore as I have said: since the Board daily accepts contributions from me, why should it decline them from Mr. Rockefeller, who is as good as I am, let the courts say what they may?
Satan.
Advice To Little Girls
Good little girls ought not to make mouths at their teachers for every trifling offense. This retaliation should only be resorted to under peculiarly aggravated circumstances.
If you have nothing but a rag-doll stuffed with sawdust, while one of your more fortunate little playmates has a costly China one, you should treat her with a show of kindness nevertheless. And you ought not to attempt to make a forcible swap with her unless your conscience would justify you in it, and you know you are able to do it.
You ought never to take your little brother’s “chewing-gum” away from him by main force; it is better to rope him in with the promise of the first two dollars and a half you find floating down the river on a grindstone. In the artless simplicity natural to this time of life, he will regard it as a perfectly fair transaction. In all ages of the world this eminently plausible fiction has lured the obtuse infant to financial ruin and disaster.
If at any time you find it necessary to correct your brother, do not correct him with mud–never, on any account, throw mud at him, because it will spoil his clothes. It is better to scald him a little, for then you obtain desirable results. You secure his immediate attention to the lessons you are inculcating, and at the same time your hot water will have a tendency to move impurities from his person, and possibly the skin, in spots.
If your mother tells you to do a thing, it is wrong to reply that you won’t. It is better and more becoming to intimate that you will do as she bids you, and then afterward act quietly in the matter according to the dictates of your best judgment.
You should ever bear in mind that it is to your kind parents that you are indebted for your food, and for the privilege of staying home from school when you let on that you are sick. Therefore you ought to respect their little prejudices, and humor their little whims, and put up with their little foibles until they get to crowding you too much.
Good little girls always show marked deference for the aged. You ought never to “sass” old people unless they “sass” you first.
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