पूँजीपतियों को ज़मीन का बेशकीमती तोहफ़ा
विशेष आर्थिक क्षेत्र मजदूरों के लिए गुलामी करने जैसे होंगे। यहाँ कोई श्रम कानून लागू नहीं होंगे, न्यूनतम मजदूरी का कोई नियम लागू नहीं होगा, मजदूरों को शांतिपूर्ण ढंग से इकट्ठा होने, यूनियन बनाने का बुनियादी अधिकार भी नहीं होगा। इन क्षेत्रों के उद्योगों पर उस क्षेत्र के लोगों को रोजगार देने की भी कोई बाध्यता नहीं होगी। वे भूजल का दोहन करेंगे और आस–पास के अन्य प्राकृतिक संसाधनों का भी शोषण करेंगे। पर्यावरण और मनुष्य दोनों के लिए ही विशेष आर्थिक क्षेत्र बेहद ख़तरनाक होंगे। वे वास्तव में दरिद्रता के महासागर में ऐश्वर्य के टापू के समान होंगे।