काकोरी एक्शन के शहीदों की विरासत ज़िन्दाबाद!
काकोरी एक्शन के शहीद रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक़ उल्ला खाँ, रोशन सिंह और राजिन्द्रनाथ लाहिड़ी के 93वें शहादत दिवस पर दिशा छात्र संगठन और नौजवान भारत सभा की दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार आदि राज्यों की टीमों द्वारा प्रभात फ़ेरी, नुक्कड़ सभाओं, क्रान्तिकारी गीतों, विचार गोष्ठी, पोस्टर-पुस्तक प्रदर्शनी, आदि माध्यमों से इन क्रांतिकारियों के विचारों से लोगों को परिचित कराया गया।
दिल्ली के शाहबाद-डेरी, खजूरी में काकोरी एक्शन के शहीदों के 93वें शहादत दिवस पर ‘अवामी एकता अभियान’ के तहत ‘नौजवान भारत सभा’ द्वारा जुलूस निकाला गया और नुक्कड़-सभाएं की गयी। ‘नौजवान भारत सभा’ करावलनगर, दिल्ली इकाई द्वारा काकोरी एक्शन के अमर शहीदों को याद करते हुए बीते 19 दिसम्बर को करावल नगर इलाके में ‘साम्प्रदायिक फ़ासीवाद विरोधी अभियान’ चलाया गया। जिसके तहत जगह-जगह नुक्कड़ सभाएं व पर्चा वितरण किया गया।दिल्ली के अलीपुर में छात्रों- नौजवानों के साथ काकोरी एक्शन के क्रांतिकारियों के शहादत दिवस ( 17 तथा 19 दिसंबर) के अवसर पर एक विचार – विमर्श किया गया।
पटना के गोसाईं टोला में नौजवान भारत सभा व दिशा छात्र संगठन द्वारा शहीद यादगारी जुलूस का आयोजन किया गया। गोसाईं टोला मोड़ से शुरू होकर यह जुलूस इलाके की गलियों से हो कर, सब्जी मंडी से होते हुए शहीद भगतसिंह पुस्तकालय के समीप सम्पन्न हुआ। जहां एक नुक्कड़ सभा भी आयोजित की गई। इस सभा को संबोधित करते हुए नौभास के आशीष ने काकोरी एक्शन के शहीदों के जीवन और विरासत पर बातचीत रखी। उन्होंने कहा कि जिस भारत का सपना हमारे शहीदों ने देखा था, वह आज तक मयस्सर नहीं हुआ है। उनके समतामूलक समाज के सपने को पूरा करने के लिए आज हमें एकजुट होना होगा। साथ ही आज देश मे शासन कर रही साम्प्रदायिक फ़ासीवादी ताकतें लगातार जनता को जाति-धर्म के नाम पर बांटने की कोशिशें कर रही हैं। इनका भी हमें अपनी कौमी एकता दिखाकर माकूल जवाब देना होगा। इस सभा को बिगुल मज़दूर दस्ता के देबाशीष ने भी संबोधित किया। इस जुलूस में कई लोगों ने भागीदारी की। साथ ही पूरे जुलूस के दौरान इलाके में इससे संबंधित पर्चे भी ेबांटे गए।
पूर्वी उत्तर प्रदेश में इस मौके पर चलाये जा रहे “सांप्रदायिक फ़ासीवाद विरोधी अभियान” के तहत गोरखपुर के असुरन चौक से जुलूस निकालकर बिछिया जेल स्थित रामप्रसाद बिस्मिल के प्रतिमा पर श्रद्धांजलि सभा की गयी। गोरखपुर के बिछिया, जाफ़रा बाज़ार आदि इलाकों में भी काकोरी एक्शन के शहीदों की याद में कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इलाहाबाद स्थित रोशन सिंह के शहादत स्थल (वर्तमान स्वरूप रानी अस्पताल) पर सभा की गई। दिशा और नौजवान भारत सभा के कार्यकर्ताओं ने विभिन्न जन संगठनों द्वारा आयोजित संयुक्त कार्यक्रम और अधिवक्ता मंच के कार्यक्रम में भी भागीदारी की और बात रखी। शाम को दरियाबाद में नुक्कड़ सभा करके लोगों का आह्वान किया गया कि मौजूदा फासीवादी निजाम के खिलाफ संघर्ष संगठित करें और इस लूट पर टिकी व्यवस्था को ध्वस्त करके इन क्रांतिकारियों के सपनों के समाज का निर्माण करने के लिए आगे आएं। इलाहाबाद में सभा को संबोधित करते हुये नौजवान भारत सभा के केंद्रीय परिषद के सदस्य प्रसेन ने कहा कि आज देश एक भयंकर उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। साम्प्रदायिक फासीवादी भाजपा सरकार व संघ परिवार अपने एजेण्डे को थोपकर मेहनतकश जनता व प्रगतिशील तथा जनवादी ताकतों पर कहर बरपा रहे हैं। देश में मेहनतकश दलित आबादी और धार्मिक अल्पसंख्यक आबादी पर कट्टरपंथी-जातिवादी ताकतों के हमले आम हो चले है। साथ ही जनता में नफरत-अफवाहें फैलाकर मॉब-लिंचिंग, लव जिहाद के नाम पर कट्टरता, CAA-NRC जैसे कानूनों से देशभर में बँटवारा पैदा किया जा रहा है। धार्मिक कट्टरता व जातिवादी उन्माद पैदा करने का मकसद एकदम साफ है — मँहगी होती शिक्षा, बेरोज़गारी, महंगाई, इलाज़ की समुचित व्यवस्था के अभाव से परेशान मेहनतकश अवाम का गुस्सा मोदी सरकार और इस लूट पर टिकी हुई पूँजीवादी मशीनरी पर न केंद्रित हो जाय। इसीलिए फ़ासीवादी ताकतों के लिए ज़रूरी है कि वह देश के मजदूरों, निम्नमध्यवर्ग और गरीब किसानों के सामने एक नकली दुश्मन खड़ा करें। आज़ादी आन्दोलन के दौरान अंग्रेज अपनी “फूट डालो और राज करो” की नीतियों के द्वारा हिन्दू और मुस्लिम साम्प्रदायिकता को लगातार बढ़ावा दे रहे थे। उस समय हमारे ये क्रान्तिकारी अपने जीवन से मिसालें कायम कर रहे थे। छात्र-मज़दूर-कर्मचारी की व्यापक एकता बनाकर शिक्षा-रोज़गार-चिकित्सा आदि की लड़ाई लड़ते हुए अपने इस संघर्ष को क्रान्तिकारी परिवर्तन के संघर्ष के साथ जोड़ने होगा। यही इन क्रान्तिकारियों को असली श्रद्धांजलि होगी।
लखनऊ के खदरा इलाक़े में नौजवान भारत सभा और स्त्री मुक्ति लीग की ओर से काकोरी के शहीदों की कुर्बानियों को याद किया और आज के दौर में उनके विचारों की प्रासंगिकता पर बात की गयी तथा क्रान्तिकारी गीतों की भी प्रस्तुति की गयी।
नौजवान भारत सभा की ओर से “सांप्रदायिक फ़ासीवाद विरोधी अभियान” के तहत मऊ के डीसीएसके कॉलेज मोड़ पर और गाजीपुर के अलावलपुर अफगा में पोस्टर प्रदर्शनी लगाई गई और व्यापक पर्चा वितरण किया गया।
नौजवान भारत सभा-चित्रकूट इकाई की ओर से “सांप्रदायिक फ़ासीवाद विरोधी अभियान” के तहत आज रामनगर, बरेठी, लोधौरा गांव में साइकिल मार्च निकालकर जगह-जगह सभाएं कर लोगों को काकोरी एक्शन के क्रान्तिकारी विरासत से परिचित कराया गया। नौजवान भारत सभा की ओर से उरई के गांधी चबूतरा, जालौन रोड, जिलाधिकारी कार्यालय के पास और चकजगदेवपुर गाँव में पोस्टर प्रदर्शनी लगाई गई और पर्चे वितरित किए गए। मऊ के नवापुरा गाँव में और गाजीपुर के अलावलपुर अफ़गा में भी नौजवान भारत सभा के कार्यकर्ताओं ने पोस्टर प्रदर्शनी लगाकर लोगों को इन क्रान्तिकारियों की विरासत से परिचित कराया।
काकोरी एक्शन के शहीदों के शहादत के 93वीं वर्षगाँठ के अवसर पर हरियाणा के गांव सिमला में नौजवान भारत सभा द्वारा एचआरए के शहीदों की क्रांतिकारी विरासत से बच्चों को परिचित कराया गया। 19 दिसम्बर को शहीदेआज़म भगतसिंह लाइब्रेरी – रोहतक में काकोरी एक्शन के शहीदों की याद में कार्यक्रम किया गया। शिक्षा सहायता मण्डल के बच्चों के बीच हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोशिएशन (एचआरए) की विरासत के साथ-साथ अशफ़ाक़-बिस्मिल की दोस्ती और अवामी एकजुटता के उनके सन्देश पर भी बातचीत की गयी। इसके बाद बच्चों के साथ रिहायशी इलाके में भी काकोरी एक्शन के शहीदों के सन्देश को लेकर जाया गया।
नौजवान भारत सभा व बिगुल मज़दूर दस्ता द्वारा काकोरी के शहीदों के शहादत दिवस पर चलाये जा रहे आवामी एकता अभियान के तहत हरिद्वार के रोशनाबाद में परिचर्चा व हेतमपुर में सभा की गयी। इन कार्यक्रमों में काकोरी के शहीद रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाकउल्ला खान, रोशन सिंह व राजेन्द्र लाहिड़ी के जीवन व विचारों के अलावा आज के हालात और इस हालत को बदलने के रास्ते के बारे में विस्तार से बात किया गया। एचआरए से जुड़े ये चारों क्रांतिकारी 1917 की रूसी क्रांति से प्रभावित थे। निश्चित तौर पर ये क्रांतिकारी भविष्य के समाज का पूर्णरूपेण खाका तो नहीं तैयार कर सके थे लेकिन यह समझ गए थे कि केवल अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ ही नहीं बल्कि देशी लूटेरों के ख़िलाफ़ भी लड़ना पड़ेगा। यह बात इन क्रांतिकारियों की अगली पीढ़ी (भगतसिंह व एचएसआरए के उनके साथी) और ज़्यादा स्पष्टता से समझ चुकी थी। 1947 के बाद से देशी सत्ताधारियों द्वारा खेले जा रहे साम्प्रदायिक खूनी खेल के विरूद्ध रामप्रसाद बिस्मिल अशफाक उल्ला खां की दोस्ती की मिसाल को जन-जन तक पहुचाने की ज़रूरत पहले से कहीं ज़्यादा है।
नौजवान भारत सभा, पुणे की ओर से
इस अवसर पर 133 कॉलोनी दांडेकर पुल इलाके में प्रभात फ़ेरी निकली गयी।
मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, नवम्बर 2020-फ़रवरी 2021
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