शिमला में शहीद भगतसिंह पुस्तकालय की स्थापना
गत 24 अप्रैल 2016 को ‘शहीद भगतसिंह विचार मंच’ द्वारा शिमला शहर के टूटु इलाके में ‘शहीद भगतसिंह लाइब्रेरी’ का उद्घाटन किया गया, जिसमें शहर के वरिष्ठ नागरिकों, बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों, और विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में शिरकत की। इस अवसर पर समागत लोगों ने आज के इस अन्धकारमय समय में नये सिरे से प्रगतिशील विचारों को आम जनता तक पहुँचाने की ज़रूरत को बड़ी शिद्दत से महसूस किया और इस मुहिम के प्रारम्भ के तौर पर शहीद भगतसिंह पुस्तकालय की स्थापना की प्रशंसा की। नमिता ने शहीद भगतसिंह पुस्तकालय के उद्देश्यों के बारे में विस्तारपूर्वक बताते हुए कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य जनता और खासतौर पर नौजवानों तथा बच्चों के बीच किताबों, फ़िल्मों, और विचार गोष्ठियों के ज़रिये प्रगतिशील विचारों को पहुँचाना है। वरिष्ठ कवि श्री आत्मा रंजन जी ने कहा कि आज जब पूँजीवादी मीडिया हमारे बच्चों को अश्लील, नारी-विरोधी, हिंसक और अवैज्ञानिक सामग्री प्रदान कर रहा है तो ऐसे में जनता के सहयोग से चलने वाले वैकल्पिक मीडिया को खड़ा करने की सबसे ज़्यादा ज़रूरत है। शिमला के मेयर श्री संजय चौहान ने इसी तरह के पुस्तकालय शिमला के विभिन्न इलाकों और हिमाचल प्रदेश के अन्य जिलों में खोलने के लिए अधिकतम सहयोग देने की बात कही। शिमला के डिप्टी मेयर श्री टिकेन्दर पंवार ने भी जनता के बीच एक जनवादी संस्कृति को पैदा करने के लिए इस तरह के अन्य और भी प्रयासों को व्यापक स्तर पर शुरू किये जाने में अपनी ओर से सहयोग देने की बात कही।
जनता के सहयोग से चलने वाला शहीद भगतसिंह पुस्तकालय अपने उद्देशों की पूर्ति में सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है। पुस्तकालय में हर शाम बच्चों और नौजवानों की चहल पहल रहती है। पुस्तकालय के प्रबन्धक मनन ने बताया कि बहुत सारे बच्चों ने काफ़ी सारा उपलब्ध बाल साहित्य कुछ ही दिनों में पढ़ लिया और रोज़ नयी किताबों की माँग करते हैं, इसलिए जल्द ही ढेरों नयी किताबें मँगवायी जायेंगी। इस वैचारिक मुहिम को अधिक लोगों तक फ़ैलाने के लिए किताबों के अलावा अन्य दिलचस्प कलात्मक रूपों का भी बखूबी इस्तेमाल किया जा रहा है। 15 मई, 2016 को शहीद भगतसिंह विचार मंच द्वारा पुस्तकालय में चार्ली चैपलिन की फ़िल्म ‘मॉडर्न टाइम्स’ दिखायी गयी तथा इस पर विचार चर्चा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में नौजवान तथा बच्चे मौजूद रहे और फ़िल्म के दौरान सभी दर्शक हँसते-हँसते खूब लोट-पोट हुए।
अमन ने कहा कि चार्ली चैपलिन द्वारा निर्देशित यह फ़िल्म पूँजीवादी व्यवस्था के मानवद्रोही चरित्र को अलग-अलग दृश्यों के माध्यम से बखूबी पेश करती है। आज जब भारत समेत पूरे विश्व में लगातार बढ़ रही बेरोज़गारी, महँगाई, और ग़रीबी के ख़िलाफ़ मेहनतकश जनता सड़कों पर है तो ऐसे में यह फ़िल्म आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी 1936 में थी। नमिता ने कहा कि यह फिल्म हमें दिखाती है कि पूँजीवादी व्यवस्था में रहते हुए किस प्रकार एक जीता-जागता इंसान महज़ एक मशीन के पुर्जे में तब्दील होकर रह जाता है। इसके पश्चात, फिल्म शो के दौरान उपस्थित दर्शकों ने इस फिल्म के प्रति अपने विचार रखे तथा इस तरह के आयोजन समय-समय पर करते रहने कि बात कही। इसके अलावा, उन्होंने इस पूरी मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए हर सम्भव मदद देने की भी बात कही।
मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान,मई-जून 2016
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