स्मृति संकल्प यात्रा की शुरुआत का ऐलान
शहीदेआज़म भगतसिंह के 98वें जन्मदिवस के अवसर पर 28 सितम्बर, 2005 के दिन शहीद पार्क, फ़िरोज़शाह कोटला के ऐतिहासिक स्थान पर नौजवान भारत सभा और दिशा छात्र संगठन ने संकल्प दिवस मनाते हुए देश भर में भगतसिंह और उनके साथियों के क्रान्तिकारी विचारों को प्रचारित-प्रसारित करने की शपथ ली। यह स्मृति संकल्प यात्रा भगतसिंह के 75वें शहादत वर्ष के आरम्भ (23 मार्च, 2005) से लेकर उनके जन्म शताब्दी वर्ष के समापन (28 सितम्बर, 2008) तक के तीन वर्षों के दौरान देश भर में साईकिल यात्राएँ, पद यात्राएँ और जुलूस निकालने के साथ-साथ सांस्कृतिक टोलियों के देशव्यापी दौरों और विश्वविद्यालय परिसरों में भगतसिंह के विचारों पर गोष्ठियों, विचार–विमर्श चक्रों को आयोजित करेगी। इस दौरान भगतसिंह और उनके साथियों के दस्तावेज़ों और अन्य क्रान्तिकारी साहित्य को पर्चों, पुस्तिकाओं और पुस्तकों के माध्यम से गाँव-गाँव में, शहरों में, विश्वविद्यालय परिसरों और कॉलेजों में, कारखानों और मज़दूर बस्तियों में पहुँचाया जाएगा।
इस कार्यक्रम में दिल्ली, ग़ाज़ियाबाद और नोएडा के छात्रों और युवाओं की टोलियाँ फ़िरोज़शाह कोटला के उस ऐतिहासिक स्थल पर एकत्रित हुईं जहाँ हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन में परिवर्तित होने की घोषणा की गई थी। कार्यक्रम की शुरुआत शहीदों को समर्पित गीत ‘कारवाँ चलता रहेगा’ के साथ हुई।
दिशा छात्र संगठन के अभिनव ने सभा में कहा कि आज विश्वविद्यालयों के परिसरों से आम आदमी की सन्तानों को बाहर धकेला जा रहा है। अब परिसरों में खाते-पीते मध्यम वर्ग के लड़के-लड़कियाँ ही पहुँच पा रहे हैं, जिन्हें व्यवस्था में परिवर्तन की कोई विशेष आवश्यकता नहीं है। लेकिन फ़िर भी इन सम्भ्रान्त जगहों से ऐसे इंसाफ़पसन्द और संवेदनशील नौजवान जनता के संघर्षों के साथ एकता बनाने के लिए और उनके सपनों और आकांक्षाओं में साझीदार बनने के लिए आगे आएँगे जो समझते हैं कि इतिहास ने छात्रों के कन्धों पर क्या ज़िम्मेदारी रखी है, जिन्होंने अपना ऐतिहासिक कर्तव्य याद रखा है और जो बस कैरियर की अन्धाधुंध दौड़ में शामिल भीड़ में गिना जाना पसन्द नहीं करेंगे।
नौजवान भारत सभा के तपीश ने कहा कि जैसे-जैसे विश्वविद्यालय खाते-पीते मध्य वर्ग के लोगों के लिए सीमित किए जा रहे हैं, वैसे-वैसे सिर्फ़ छात्र आन्दोलन की सम्भावनाएँ क्षीण होती जा रही हैं। अब छात्र आन्दोलन का अलग से कोई अस्तित्व हो पाना मुश्किल हो गया है। ऐसे में गरीबों की बस्तियों, औद्योगिक क्षेत्रों में फ़ैली युवाओं की विशाल आबादी महत्वपूर्ण होती जा रही है। अब हम जिस चीज़ की कल्पना कर सकते हैं, वह है एक क्रान्तिकारी छात्र-युवा आन्दोलन। कोई भी आन्दोलन इस विशाल युवा महासमुद्र की अनदेखी करके व्यवस्था परिवर्तन की कल्पना नहीं कर सकता। तपीश ने सभा में मौजूद युवाओं से ऐसे एक छात्र-युवा आन्दोलन को खड़ा करने का आह्वान किया जो व्यापक मेहनतकश आबादी के साथ एकजुटता कायम करके एक ऐसी व्यवस्था के निर्माण की ओर आगे बढ़ेगा जिसका सपना भगतसिंह और उनके साथियों ने देखा था।
दिशा छात्र संगठन की लता ने कहा कि स्त्रियों की मुक्ति का प्रश्न सीधे-सीधे आम मेहनतकश आबादी की मुक्ति से जुड़ा हुआ है। जब तक स्त्री मुक्ति आन्दोलन आम मेहनतकश आबादी की मुक्ति की व्यापक परियोजना का अंग नहीं बनता तब तक हम अलग से स्त्री-पुरुष समानता का सपना नहीं देख सकते। लता ने कहा कि स्त्रियाँ तो दोहरी गुलामी की शिकार हैं-पूँजीवाद की गुलामी और साथ ही साथ पितृसत्ता की गुलामी। इसीलिए बग़ावत करने की ज़रूरत स्त्रियों को अधिक है।
नौजवान भारत सभा के आलोक ने ‘भगतसिंह इस बार न लेना काया भारतवासी की’ नामक कविता का पाठ किया। ‘विहान’ सांस्कृतिक टोली द्वारा ‘ये फ़ैसले का वक्त है…’ नामक समूह गान की प्रस्तुति की गई। कार्यक्रम का समापन इस संकल्प ग्रहण के साथ हुआ कि अगले तीन वर्षों के दौरान उपस्थित छात्र-युवा देश भर में क्रान्ति के सन्देश को पहुँचाने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे और एक नए क्रान्तिकारी नवजागरण का सूत्रपात करने के लिए देश की आम मेहनतकश जनता को जगाएँगे।
आह्वान कैम्पस टाइम्स, जुलाई-सितम्बर 2005
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