पीट सीगर (1919-2014) – जनता की आवाज़ का एक बेमिसाल नुमाइन्दा
विहान सांस्कृतिक टोली
27 जनवरी 2014 के दिन पीट सीगर की मृत्यु के साथ प्रतिरोध संगीत का एक युग ख़त्म हो गया। पीट सीगर ने प्रतिरोध व प्रगतिशील संगीतज्ञों और साथ ही पश्चिमी लोक संगीतज्ञों की कई पीढ़ियों का पालन-पोषण अपने हाथों से किया था। इन संगीतज्ञों में बॉब डिलन, डॉन मैक्लीन, बर्नीस जॉनसन रीगन आदि शामिल हैं। 3 मई 1919 को जन्मे पीट सीगर का 94 वर्ष का जीवन जनता को समर्पित था। सीगर का जन्म एक संगीतज्ञों के परिवार में हुआ था। उनके पिता चार्ल्स सीगर एक संगीत विशेषज्ञ थे, जबकि माँ कांस्टैंस ऑर्केस्ट्रा में वायलिन वादक थीं। पीट जब छोटे थे, तभी पिता ने उनका परिचय लोक संगीत से करा दिया था। माँ और पिता अक्सर ही उन्हें संगीत कंसर्टों और लोक संगीत समारोहों में लेकर जाते थे। ऐसे ही एक समारोह में पीट ने 5 तारों वाले बैंजो को पहली बार देखा और सुना। आगे चलकर यही वाद्य यन्त्र उनके प्रिय वाद्य यन्त्रों में से एक बना, जिसे वह अन्त तक बजाना पसन्द करते थे। इस संगीतमय परवरिश का ही नतीजा था कि पीट जल्द ही एक वाद्य यन्त्र यूकेलेले बजाने लगे। चूँकि पीट के माता-पिता भी शुरू से युद्ध-विरोधी और शान्तिवादी विचारों में यक़ीन रखते थे, इसलिए इन विचारों का भी पीट के बाल मन पर गहरा प्रभाव पड़ा।
जब पीट बड़े हुए तो उन्होंने हार्वर्ड विश्वविद्यालय के आईवी कॉली में दाख़िला लिया। लेकिन 2 वर्षों बाद ही वह विश्वविद्यालय की पढ़ाई छोड़कर न्यूयॉर्क चले गये। यहाँ पर उनका परिचय लोक संगीत और संस्कृतियों के विशेषज्ञ एलन लोमैक्स से हुआ। लोमैक्स ने उनका परिचय एक ब्लूज़ संगीतरकार हुडी लेडबेटर से कराया जिन्हें लेड बेली के नाम से भी जाना जाता था। पीट सीगर पर सबसे शुरुआती प्रभाव लेड बेली का ही था। इसके बाद न्यूयॉर्क में ही उनका परिचय प्रसिद्ध प्रगतिशील संगीतकार, गायक और गीत लेखक वुडी गुथरी से हुआ। 1940 में वुडी गुथरी और पीट सीगर ने कैलीफ़ोर्निया के अप्रवासी मज़दूरों के लिए एक संगीत कंसर्ट का आयोजन किया। इसके बाद सीगर ने गुथरी के साथ मिलकर लगभग पूरे संयुक्त राज्य अमेरिकी की यात्र की और इस यात्र के दौरान वे विभिन्न लोक संगीत विधाओं और गीतों को जुटाते रहे, उनका अध्ययन करते रहे। पीट सीगर की शैली पर इस पूरे दौर का काफ़ी असर अन्त तक दिखता था। 1940 में पीट ने दो अन्य संगीतकारों लैम्पेल और हेज़ के साथ मिलकर अल्मानाक सिंगर्स नामक एक बैण्ड बनाया। यह बैण्ड मज़दूरों के प्रदर्शनों, हड़तालों, पिकेट लाइन आदि पर प्रगतिशील और प्रतिरोध गीत पेश करता था। 1942 में पीट सीगर अमेरिकी कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बने, जिसका ढाँचा उस समय एक मास पार्टी का ढाँचा था। लेकिन इस पार्टी ने अपने राजनीतिक प्रचार में उस समय संगीत को सबसे ज़्यादा महत्त्व दिया था। विशेष तौर पर लोक संगीत को, क्योंकि ऐसी धारणा थी कि लोक संगीत जनता का संगीत है और जनता उसके साथ तुरन्त एक तादात्म्य स्थापित कर लेती है। आज इस पूरी सोच पर प्रश्न खड़ा किया जा सकता है, लेकिन निश्चित तौर उस दौर में प्रतिरोध संगीत की लोक शैली का इन संगीतकारों ने और विशेष तौर पर पीट सीगर ने जमकर इस्तेमाल किया। ऐसा भी नहीं था कि पीट लोक शैली में कोई बदलाव नहीं करते थे। वास्तव में, उनकी लोक शैली किसी एक जगह, जाति या देश की लोक शैली नहीं थी, बल्कि एक वैश्विक लोक शैली बन चुकी थी। अमेरिकी, स्पेनी, अफ्रीकी और लातिनी लोक शैलियों तक का इस्तेमाल और उनका मिश्रण पीट सीगर स्वतन्त्रता और लचीलेपन के साथ करते थे और इसलिए वह कोई स्थानीयतावादी लोक शैली नहीं रह गयी थी, बल्कि एक वैश्विक लोक शैली का रूप ले चुकी थी। बहरहाल, कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता के दौर में पीट सीगर ने विशेष तौर पर अमेरिकी मज़दूर आन्दोलन में प्रगतिशील और प्रतिरोध संगीत के अपने औज़ार के ज़रिये शानदार हस्तक्षेप किया और उसे सांस्कृतिक शक्ति दी। आज यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि अमेरिकी प्रगतिशील संगीत पर पीट सीगर का बहुत भारी ऋण है।
पीट सीगर बहुत गहरी राजनीतिक और विचारधारात्मक समझदारी के साथ कम्युनिस्ट पार्टी से नहीं जुड़े थे। वह दौर 1940 के दशक का दौर था; पूरी दुनिया में कम्युनिज़्म की और विशेष तौर पर सोवियत संघ की ग़रीबों और मेहनतकशों के हितों के रखवाले के तौर पर तूती बोल रही थी। बुर्जुआ सरकारें भयभीत होकर हर प्रकार के मज़दूर आन्दोलन को कम्युनिस्ट घोषित करके उसका दमन कर रही थी। यह चीज़ इन आन्दोलनों को और भी बढ़ा रही थीं। एक ऐसे दौर में पीट सीगर ने कम्युनिस्ट पार्टी की सदस्यता ली थी। 1949 में उन्होंने पार्टी सदस्यता छोड़ भी दी थी। बाद में उन्होंने कहा था कि उन्हें पार्टी सदस्यता और पहले छोड़ देनी चाहिए थी। लेकिन जीवन-पर्यन्त पीट अपने आपको एक कम्युनिस्ट ही कहते रहे। हालाँकि अगर हम उनके साक्षात्कारों या जीवनियों का अध्ययन करें तो पाते हैं कि वास्तव में वे कम्युनिस्ट उसूलों और सिद्धान्तों की कोई गहरी जानकारी नहीं रखते थे और उनका समाजवाद या कम्युनिस्ट के साथ एक भावनात्मक लगाव ही था; वे मूलतः और मुख्यतः एक आमूलगामी मानवतावादी और शान्तिवादी थे। बाद में उन्होंने यह भी कहा था कि बल प्रयोग या हिंसा से क्रान्ति में अब उनका यक़ीन नहीं है और क्रमिक गति से होने वाले परिवर्तन ही टिकाऊ होते हैं। ईश्वर में आस्था के विषय में भी उन्होंने कहा कि पहले मैं अपने आपको नास्तिक मानता था, लेकिन अब मुझे लगा है कि यह आपकी भगवान की परिभाषा पर निर्भर करता है। सीगर ने कहा कि मेरे लिए मैं जो देखता और जो सुनता हूँ, वही ईश्वर है! निश्चित तौर पर, दार्शनिक-विचारधारात्मक मोर्चे पर सीगर बहुत से विभ्रमों के शिकार थे। सोवियत संघ के बारे में भी उनके विचार बाद में प्रतिकूल हो गये थे। वास्तव में, सोवियत संघ के विषय में और स्तालिन के बारे में भी एक त्रात्स्कीपन्थी पत्रकार ने उन्हें पूर्वाग्रहित किया था। स्तालिन के विषय में अपने पूर्वाग्रहों के चलते ही उन्होंने एक गीत ‘बिग जो ब्लूज़’ लिखा था, जिसमें वे स्तालिन की कथित निरंकुशता की आलोचना करते थे। वह जिस दौर में सोवियत संघ के दौरे पर गये भी थे, वह दौर संशोधनवाद का दौर था। ज़ाहिर है सैद्धान्तिक समझदारी और सही जानकारी के अभाव में कम्युनिज़्म और सोवियत संघ की जो छवि उस समय उनके सामने प्रस्तुत हुई उसके मद्देनज़र उनके द्वारा अपने आपको अन्त तक कम्युनिस्ट कहना ही बड़ी बात थी। साथ ही, वह एक अमेरिकी थे और सबसे घृणित कम्युनिस्ट-विरोधी प्रचार के दौर में वह अमेरिका मे रहे थे; यह भी अन्त तक उनका वाम झुकाव बने रहने के बारे में अचरज पैदा करता है।
पीट सीगर का जनता और उसके लक्ष्यों में यह ज़िद्दी भरोसा अपने जीवन के संघर्षों से भी पैदा हुआ था। जब सीगर ने अल्मानाक सिंगर्स समूह बनाया था और उसके बाद वे अपने बैण्ड के साथ मज़दूर आन्दोलनों में संगीतमय प्रस्तुतियाँ कर रहे थे, उस समय से ही अमेरिकी गुप्तचर विभाग की नज़र उन पर थी। जब मैकार्थी के दौर में हाउस कमेटी अनअमेरिकन एक्टिविटीज़ बनी, तो उसके सामने पेशी के लिए सीगर को भी बुलाया गया। यही दौर था जब अल्मानाक सिंगर्स इस राजनीतिक दबाव को झेल नहीं सका और बिखरने लगा, क्योंकि इस कमेटी के सामने पेशी के मामले की शुरुआत से पहले ही कुछ राजनीतिक गीतों के लिए एफ़.बी.आई. सीगर के पीछे पड़ चुकी थी। बहरहाल, सीगर ने कमेटी के सामने अपने राजनीतिक विचारों और पक्षधरता से जुड़े सवालों का जवाब देने से इंकार कर दिया। बदले में पीट सीगर ने उन गीतों को कमेटी के सामने गाने का प्रस्ताव रखा जो गीत कमेटी की आपत्तियों के दायरे में थे। ज़ाहिर है कमेटी ने इससे इंकार कर दिया और उन पर कमेटी का अपमान करने का आरोप लगाया और उन्हें एक वर्ष की जेल की अनुशंसा की। दण्ड की यह अनुशंसा करीब एक दशक तक सीगर के सिर पर लटकती रही। इस दौर में नेशनल टीवी और रेडियो से उन्हें प्रतिबन्धित कर दिया गया था। यह सीगर के लिए एक कठिन दौर था, लेकिन इस पूरे दौर में भी सीगर अपने गीतों को रिकॉर्ड करना जारी रखे हुए थे और पूरे अमेरिका में घूमकर प्रगतिशील और लोक प्रतिरोध संगीत को रिकॉर्ड करना, उनका अध्ययन करना भी जारी रखे हुए थे। 1962 में एक अदालत ने उनके लिए सज़ा की अनुशंसा को ग़लत बताया और उसके बाद सीगर फिर से मुख्यधारा में वापस आये। 1949 में अल्मानाक सिंगर्स के बिखराव के शुरुआत के बाद सीगर ने एक अन्य बैण्ड ‘दि वीवर्स’ बनाया जो कि काफ़ी सफल हुआ।
जब सीगर मुख्यधारा में वापस आये तो वह लोक प्रतिरोध संगीत के पुनरुत्थान का दौर था। 1959 में ही पीट ने न्यूपोट फ़ोक फ़ेस्टिवल की स्थापना की थी। 1960 के दशक की शुरुआत से विशेष तौर पर दक्षिण अमेरिकी में अश्वेत अधिकारों और नागरिक अधिकारों का आन्दोलन ज़ोर पकड़ रहा था। मार्टिन लूथर किंग जू. के नेतृत्व में जो आन्दोलन चल रहा था, उसमें मज़दूरों की भी विचारणीय हिस्सेदारी हो रही थी। इस आन्दोलन में संगीत से योगदान करने में पीट सीगर सबसे आगे थे। वास्तव में जो गीत इस आन्दोलन का एन्थम बना, यानी ‘वी शैल ओवरकम’ उसकी रचना में पीट सीगर का केन्द्रीय योगदान था। वास्तव में यह एक पुराने गॉस्पेल गीत ‘आई विल ओवरकम’ से निकला था। इस गीत को कुछ मज़दूर अपने आन्दोलन में गाते रहे थे और इस प्रक्रिया में उसमें उन्होंने तमाम बदलाव भी कर दिये थे। इसी गीत को एक मज़दूर से सीगर ने सुना और फिर इसे बदलते हुए ‘वी शैल ओवरकम’ गीत का रूप दिया। यह गीत दुनियाभर में मुक्ति आन्दोलनों का एन्थम बन गया और लगभग हर भाषा में अनूदित हुआ।
वियतनाम युद्ध के शुरू होने पर सीगर ने इसका खुलकर और पुरज़ोर शब्दों में विरोध किया। इस पर उन्होंने एक प्रसिद्ध गीत लिखा ‘वेस्ट डीप इन दि बिग मडी’। वियतनाम युद्ध के विरुद्ध जो युद्ध-विरोधी आन्दोलन अमेरिका में चला उसमें सीगर लगातार सक्रिय रहे और अपने गीतों से इस आन्दोलन को आगे बढ़ाने में योगदान करते रहे। 1960 के दशक में ही सीगर ने पर्यावरण के मुद्दे को भी उठाना शुरू किया। उन्होंने हडसन नदी में कारपोरेट कम्पनियों द्वारा फैलाये जा रहे प्रदूषण के ख़िलाफ़ ‘क्लियरवॉटर कैम्पेन’ शुरू किया। कई दशकों के संघर्ष के बाद उनका यह प्रयास रंग लाया और जनरल इलेक्ट्रिक को नदी की ड्रेज़िंग शुरू करनी पड़ी। 1980 और 1990 के दशक में उन्होंने वुडी गुथरी के बेटे आर्लो गुथरी के साथ कई कंसर्ट किये। इसी 1972 में उन्हें सांगराइटर्स हॉल ऑफ़ फ़ेम में शामिल किया गया, 1993 में उन्हें लाइफ़टाइम एचीवमेण्ट के लिए ग्रैमी और 1994 में बिल क्लिण्टन की सरकार ने उन्हें नेशनल मेडल ऑफ़ आर्ट प्रदान किया जोकि कलाकारों को दिया जाने वाला अमेरिका का उच्चतम सम्मान है। 1999 में उन्हें क्यूबा सरकार ने ऑर्डर ऑफ़ फ़ेलिक्स वारेला से सम्मानित किया जोकि क्यूबा का उच्चतम कला पुरस्कार है। 1996 में एक प्रारम्भिक प्रभाव के तौर पर सीगर को रॉक एण्ड रोल हॉल ऑफ़ फ़ेम में शामिल किया गया।
इस पूरे दौर में पीट सीगर ने बच्चों के लिए बड़े प्यारे और मानवीय सरोकारों वाले गीत लिखे। बच्चों के गीतों को पीट बेहद दिल से लिखते और संगीतबद्ध करते थे, यह समझने के लिए बस बच्चों के लिए लिखे गये उनके गीतों को सुनने की ज़रूरत है। पीट सीगर बड़े ही गहरे मानवीय सरोकारों और पीड़ा के साथ आने वाली पीढ़ी के बारे में सोचते थे, और साथ ही पीढ़ी को लेकर उनमें उद्दाम आशावाद भी था। पीट के सबसे प्रसिद्ध गीतों में ‘इफ़ आई हैड ए हैमर’, ‘व्हेयर हैव आल दिन फ्ऱलावर्स गॉन’, ‘वी शैल ओवरकम’, ‘टर्न! टर्न! टर्न!’, ‘दिस लैण्ड इस योर लैण्ड’, आदि शामिल थे। यह बेहद छोटी सूची है क्योंकि पीट ने अपने पूरे करियर में करीब 100 एल्बम रिकॉर्ड किये थे और उनके सैकड़ों गीत आज अमेरिकी जनमानस और कलात्मक इतिहास में जड़ित हो चुके हैं।
सीगर 1990 के दशक में भी अपनी काँपती आवाज़ में जनसभाओं और आन्दोलनों में गाते रहे। उनकी आवाज़ में एक ऐसी ईमानदारी, जीवन के प्रति भरोसा और प्यार, इंसानियत के प्रति विश्वास और साथीपन झलकता था कि लगभग हमेशा ही समूची भीड़ उनके साथ गाने लगती थी। 2000 के दशक में भी वयोवृद्ध होने के बाद भी उन्होंने अपनी सांगीतिक सक्रियता को छोड़ा नहीं। यहाँ तक कि उन्होंने ‘ऑक्युपाई’ आन्दोलन में भी गाया।
सीगर का मूल्यांकन निश्चित तौर पर उनके संगीत कर्म और जनता के प्रति उनकी पक्षधरता और प्रतिबद्धता के आधार पर किया जाना चाहिए। कई राजनीतिक और विचारधारात्मक व दार्शनिक प्रश्नों पर सीगर तमाम विभ्रमों का शिकार थे; लेकिन जनता और परिवर्तन में उन्होंने अपनी आस्था कभी नहीं छोड़ी। सीगर अन्त तक जनता के लिए जिये और जनता के लिए ही मरे। उन्होंने जब जो सही समझा किया, लेकिन उन्होंने जब भी जो भी किया उसके पीछे उनका इरादा जनता की मुक्ति के संघर्ष में हिस्सेदारी करना ही था। पीट सीगर के संगीत की सर्वहारा अवस्थिति से निश्चित तौर पर आलोचना की जा सकती है और वह सर्वहारा संगीत की श्रेणी में नहीं आता है। लेकिन पीट का संगीत निश्चित तौर पर व्यापक प्रगतिशील, रैडिकल और जनपक्षधर प्रतिरोध संगीत की श्रेणी में आता है, और इस रूप में वह जनता के संगीत की धरोहर का एक अभिन्न अंग है जिसे आने वाली कई पीढ़ियाँ दिल से सुनेगी और दिल से गायेगी। अलविदा, पीट।
मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, जनवरी-अप्रैल 2014
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