राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में भगतसिंह के जन्मशताब्दी वर्ष की शुरुआत और स्मृति संकल्प यात्रा के डेढ़ वर्ष पूरे होने पर तीन दिन का कार्यक्रम

हमारे समय में समाज में आमूलचूल परिवर्तन का रास्ता न तो बम पिस्तौल से होकर जाता है और न ही संसद विधानसभा के गन्दे गलियारे से। भगतसिंह के शब्दों में ‘वर्तमान दौर में छात्रों–नौजवानों के सामने सबसे बड़ा कार्यभार यह है कि वे क्रान्ति का सन्देश देश के कोने–कोने में ले जायें। फैक्टरी–कारखानों के क्षेत्रों से, कस्बों, गन्दी बस्तियों में रहने वाले करोड़ों लोगो में इस क्रान्ति की अलख जगायें। ताकि ‘मुक्ति’ का सपना शोषण के जुए के नीचे कसमसाती दबी व्यापक आबादी के दिलों का सपना बन जाय।

इसी घोषणा के साथ 27 सितम्बर 2006 को दिशा छात्र संगठन के नेतृत्व में दिल्ली विश्वविद्यालय के ‘मानसरोवर हॉस्टल’ से ‘शहीदे–आजम विचार यात्रा’ की शुरुआत हुई। जो शहीदे आजम भगत सिंह के 99 वें जन्म दिवस (28 सितम्बर 06) के अवसर पर आयोजित तीनदिवसीय कार्यक्रम का आगाज था। इसी के साथ ही यह 23 मार्च 2005 से भगत सिंह के जन्मशताब्दी तक चलाये जा रहे ‘स्मृति संकल्प यात्रा’ का महत्वपूर्ण पड़ाव था।

‘शहीदे आजम विचार यात्रा’ में छात्रों के हाथों में तमाम अर्थपूर्ण बैनर लहरा रहे थे। जहाँ एक ओर अब तक के  भारतीय क्रान्तिकारी आन्दोलन के सबसे दुर्बल पक्ष यानी वैचारिक पहलू (जिसकी बात भगतसिंह ने बहुत पहले कर दी थी।) पर ध्‍यान आकृष्ट करने वाला बैनर कि ‘क्रान्ति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है’ लहरा रहा था, वहीं दूसरी तरफ कुर्बानी की भावना से भर देने वाले नारे का बैनर ‘युवा रक़्त की गर्मी से, बर्फ की घाटी पिघलेगी’ भी था। ‘भागो नहीं दुनिया को बदलो’ वाला बैनर और समूचे जुलूस के तेवर देखकर उधर से गुज़रने वाला हर शख़्स ठहरकर कुछ सोचने के लिए मजबूर हो रहा था। रास्ते में डी टी सी और ब्लू लाइन की बसों के शीशे से झाँकते लोगों के चेहरे पर कौतूहल और आँखों में उम्मीद की चमक साफ देखी जा सकती थी। यह यात्रा पटेल चेस्ट से होते हुए आर्ट्स फैक्लटी पहुंचकर एक सभा में तब्दील हो गयी। नारों की बुलन्द आवाज सुनकर कैम्पस में क्लास कर रहे छात्र बाहर आ गये और कैम्पस में मौजूद छात्र और कर्मचारी भी सभा में शामिल हो गये। सभा की शुरुआत क्रान्तिकारी गीत ‘कारवाँ चलता रहे गा से’ से हुआ। इसके बाद सभा को सम्बोधित करते हुए दिशा छात्र संगठन के संयोजक अभिनव ने कहा,–‘ इतिहास में, उच्चतर शैक्षिक संस्थान समाज परिवर्तन के लिए बेहद जरूरी अगुआ योद्धा विचारकों को मुहैया कराते रहे हैं। परन्तु वर्तमान दौर में दिल्ली विश्वविद्यालय जैसे शैक्षिक संस्थानों का सरकारी नीतियों की वजह से वर्ग चरित्र एकदम बदलता जा रहा है। छात्र संघ का चुनाव एम.एल.ए–एम.पी. बनने का प्रशिक्षण केन्द्र बनकर रह गया है, कारपोरेट कल्चर छात्रों को बीमार किस्म का व्यक्तिवादी और उनके चरित्र को खोखला बना रही है। तो ऐसे में भगतसिंह और उनके साथियों के आदर्शों की बात करने का मतलब ही यही होता है कि छात्र नौजवान अपने ज्ञान, अपनी बौद्धिक क्षमता को आम आबादी की मुक्ति का औजार बना दें; न कि उनके अध्‍ययन–अध्‍यापन का केन्द्र केवल अपना कैरियर सँवारने, अपने लिए सुख–सुविधायें बटोर लेने की अंधी हवस तक सिमट कर रह जाय। वह विज्ञान व्यर्थ होगा और अध्‍ययन बाँझ जिसका इस्तेमाल मानवता के शत्रुओं के विरुद्ध नहीं होता। आज छात्रों को तय  करना होगा कि वे किसके पक्ष में खड़े हैं-इंसानियत के दुश्मनों के साथ या मेहनतक़श आबादी के साथ। कार्यक्रम के अन्त में ‘दिशा’ की सांस्कृतिक टोली ‘विहान’ ने ‘ये फैसले का वक़्त है ’ गीत प्रस्तुत किया। इस विचार यात्रा में करीब 100 छात्रों ने हिस्सा लिया।

अगले दिन यानी 28 सितम्बर 2006 को ‘स्मृति संकल्प यात्रा’ पर निकली अलग–अलग यात्रा टोलियों का संयुक्त पड़ाव जंतर–मंतर पर हुआ। नोएडा, करावलनगर, ग़ाज़ियाबाद, रोहिणी, तथा दिल्ली विश्वविद्यालय से क्रमश: नौजवान भारत सभा तथा दिशा छात्र संगठन के नेतृत्व में छात्रों , नौजवानों का काफिला जोरदार नारे लगाते हुए एक दूसरे से मिला। नारों की आवाज जन्तर मन्तर में गूँज उठा। और बाउंड्री का एक हिस्सा भगतसिंह के तस्वीर वाले पोस्टरों, क्रान्तिकारी नारे वाले तख्तियों, कविता पोस्टर और बैनरों से भर गया। जब अलग–अलग इलाकों से आयी टोलियों के नौजवान डेढ़ साल के प्रचार–प्रसार के दौरान अपने–अपने अनुभवों को एक–दूसरे से साझा करने के लिए उतावले हो रहे थे तभी कार्यक्रम के  संचालक राकेश ने बड़ी गर्मजोशी से एलान किया कि ये बड़ी–बड़ी इमारतें मानवता की छाती पर तब तक बोझ बन कर खड़ी रहेंगी जब तक पूँजी की सत्ता को उखाड़कर फेंक नहीं दिया जाता। सभा में शामिल तमाम छात्रों नौजवानों ने ‘ख़त्म करो पूँजी का राज, लड़ो बनाओ लोकस्वराज’ नारे के साथ इस संकल्प में अपना भरोसा व्यक्त किया। इसके पश्चात् ‘दिशा’ की सांस्कृतिक टोली ‘विहान’ ने नौजवानों को आह्वान करते हुए ‘ आ रे नौजवान’ गीत पेश किया। नौजवान भारत सभा के सदस्य आशीष ने कहा कि ‘आज जब चारों तरफ से उठने वाली आवाज से सत्ताधारी बुरी तरह डर गये हैं तो भगत सिंह के नाम पर तमाम संगठन कुकुरमुत्तों की तरह उगने लगे हैं। ऐसा एक साज़िश के तहत किया जा रहा है जिसका मकसद भगत सिंह को किसी धर्म, जाति, सम्प्रदाय या समुदाय से जोड़कर उनके विचारों पर पर्दा डालना है। जबकि इस बात से शायद ही कोई अपरिचित होगा कि धर्म जाति जैसे अतार्किक मूल्य–मान्यताओं से भगत सिंह जीवनपर्यन्त संघर्षरत रहे। ‘दिशा’ की सदस्य शिवानी ने भी इससे सहमति जताते हुए सरकार तथा मीडिया की उस षड़यंत्रकारी भूमिका को खोलकर रख दिया जिसके तहत नौजवानों के बीच भगतसिंह उनके विचारों, आदर्शों को आत्मसात करने की जगह पर उन्हें देवता बनाकर पेश किया जा रहा है। आशू ने इस षड़यंत्र को नेस्तनाबूत करने का केवल एक विकल्प ‘क्रान्तिकारी नवजागरण’ बताया। जिस पर, राहुल फाउण्डेशन, परिकल्पना प्रकाशन भगत सिंह और क्रान्तिकारी विरासत से जुड़ी पुस्तिकायें, पत्र–पत्रिकायें, पोस्टर, ग्रीटिंग्स इत्यादि अधिकतम सम्भव कम दाम पर छापकर ‘जनचेतना’ के माध्‍यम से पिछले कई वर्षों से आम लोगों तक पहुँचाकर, और ‘दिशा’ तथा ‘नौभास’ की टोली अपने फिल्म–शो, नुक्कड़ नाटकों, साइकिल जुलूसों, बसों ट्रेनों में, घर–घर अभियान चलाकर बहुत जीवंत रूप में ले जाकर, अमल कर रही है और जिस पर स्मृति संकल्प यात्रा के इन डेढ़ वर्षों में अत्यधिक जोर दिया गया। इसके बाद सभा में शामिल तमाम नौजवानों ने अपने–अपने अनुभव शेयर किये। इस डेढ़ साल की यात्रा का समाहार रूपेश ने रखा। जिसके सबक को ध्‍यान रखते हुए सर्वसम्मति से आगे का इससे भी सघन प्रचार–प्रसार का कार्यक्रम तय हुआ। सभा में ‘कौन आजाद हुआ’ का कविता पाठ भी हुआ। चार–पाँच घण्टे चलने वाले इस कार्यक्रम के अन्तिम दौर में नौजवानों ने सामूहिक शपथ लिया कि आने वाले समय में वे इस ‘मुक्ति’ की मशाल को न केवल अपने दिलों में अनवरत जलाये रखेंगे बल्कि इसकी ज्चाला देश के हर कोने में प्रज्वलित कर देंगे। कार्यक्रम का समापन ‘दरबारे वतन में’ गीत से हुआ।

तीन दिवसीय कार्यक्रम का अन्तिम दिन एक दिन पहले जन्तर–मन्तर पर तय किये गये कार्यक्रम पर अमल से शुरू हुआ, जब भजनपुरा से करावलनगर के औद्योगिक क्षे़त्र में नौजवान भारत सभा तथा दिशा छात्र संगठन की संयुक्त टोली ने साइकिल अभियान चलाया गया। इस साईकिल अभियान में तमाम छात्रों–नौजवानों ने हिस्सा लिया। इस अभियान के तहत प्रेम चैक, करावल नगर चैक, चेस्ट क्लीनिक तिराहा, दयालपुर, सादतपुर और शेरपुर चैक के अतिरिक्त दर्जन भर जगहों पर नुक्कड़ सभायें की गयीं। हजारों की संख्या में पर्चों का वितरण किया गया।

आह्वान कैम्‍पस टाइम्‍स, जुलाई-सितम्‍बर 2006

 

'आह्वान' की सदस्‍यता लें!

 

ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीआर्डर के लिए पताः बी-100, मुकुन्द विहार, करावल नगर, दिल्ली बैंक खाते का विवरणः प्रति – muktikami chhatron ka aahwan Bank of Baroda, Badli New Delhi Saving Account 21360100010629 IFSC Code: BARB0TRDBAD

आर्थिक सहयोग भी करें!

 

दोस्तों, “आह्वान” सारे देश में चल रहे वैकल्पिक मीडिया के प्रयासों की एक कड़ी है। हम सत्ता प्रतिष्ठानों, फ़ण्डिंग एजेंसियों, पूँजीवादी घरानों एवं चुनावी राजनीतिक दलों से किसी भी रूप में आर्थिक सहयोग लेना घोर अनर्थकारी मानते हैं। हमारी दृढ़ मान्यता है कि जनता का वैकल्पिक मीडिया सिर्फ जन संसाधनों के बूते खड़ा किया जाना चाहिए। एक लम्बे समय से बिना किसी किस्म का समझौता किये “आह्वान” सतत प्रचारित-प्रकाशित हो रही है। आपको मालूम हो कि विगत कई अंकों से पत्रिका आर्थिक संकट का सामना कर रही है। ऐसे में “आह्वान” अपने तमाम पाठकों, सहयोगियों से सहयोग की अपेक्षा करती है। हम आप सभी सहयोगियों, शुभचिन्तकों से अपील करते हैं कि वे अपनी ओर से अधिकतम सम्भव आर्थिक सहयोग भेजकर परिवर्तन के इस हथियार को मज़बूती प्रदान करें। सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग करने के लिए नीचे दिये गए Donate बटन पर क्लिक करें।