किस चीज का इंतजार है, और कब तक ? दुनिया को तुम्हारी जरूरत है।

दिल्ली। 4 सितम्बर को सैकड़ों की संख्या में नौजवानों के एक जत्थे को ‘स्मृति संकल्प यात्रा’ का बैनर लिए आई.टी.ओ. से फिरोजशाह कोटला मैदान की ओर गुजरते देखकर, सड़क पर यातायात कुछ देर के लिए ठप हो गया। नौजवानों के हाथों में चन्द्रशेखर आजा़द जैसे क्रान्तिकारियों के बड़े–बड़े पोट्रेट व नारे लिखी हुई तख्तियाँ थी। अलम के मानिन्द दूर से ही दिखते कुछ पोस्टर बरबस अपनी ओर खींच लेते थे। ये पोस्टर कह रहे थे ‘भागो नहीं दुनिया को बदलो’ ‘क्रान्ति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है’, ‘इंकलाब जिंदाबाद’ आदि–आदि। खुली सड़क पर सीना ताने चलने वाले इन नौजवानों के सीने पर भगतसिंह की तस्वीरों वाला एक बैज चमचमा रहा था, जो उत्सुक और आश्चर्यचकित नेत्रों से देखते लोगों से पूछता चल रहा था- किस चीज का इंतजार है और कब तक, दुनिया को तुम्हारी जरूरत है।

यह अद्भुत नजारा ‘स्मृति संकल्प यात्रा’ के डेढ़ वर्ष पूरे होने पर वापस आयी यात्रा टोलियों के संगम का था। ये यात्रा टोलियाँ शहीदे–आजम भगतसिंह के 99वें जन्मदिवस और जन्मशताब्दी वर्ष की शुरुआत के अवसर पर दिल्ली में एक माह के विशेष पड़ाव पर एकत्रित हो रही थीं, जो एक माह तक दिल्ली में ‘स्मृति संकल्प यात्रा’ के तहत विविध कार्यक्रमों को आयोजित कर रही थीं।

ज्ञात हो कि पिछले डेढ़ वर्ष से ‘दिशा छात्र संगठन’ और ‘नौजवान भारत सभा’ ने उत्तर भारत के कई हिस्सों में भगतसिंह और उनके साथियों के क्रान्तिकारी विचारों के प्रचार–प्रसार  के लिए ‘स्मृति संकल्प यात्रा’ नामक एक मुहिम चला रखी है। इसकी शुरुआत 23 मार्च 2005 को भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरू के 75 वें शहादत दिवस वर्ष की शुरुआत पर हुई थी। पिछले वर्ष भगत सिंह के 98 वें जन्मदिवस पर फ़िरोज़शाह कोटला के शहीद पार्क में शपथ ग्रहण समारोह भी किया गया था। आज पुन: एक नये संकल्प और उम्मीद भरे जज्बों के साथ शहीद पार्क में एकत्र हो रहा था।

इस यात्रा टोली में नोएडा, ग़ाज़ियाबाद, और दिल्ली की टीमें शामिल थीं। भगतसिंह के विचारों और सपनों के ये हरकारे पूरी गतिमानता और आवेग के साथ नारे लगाते हुए शहीद पार्क तक आये। जहाँ यह जुलूस भगत सिंह की प्रतिमा के समक्ष एक सभा में तब्दील हो गया।

कार्यक्रम की शुरुआत ‘दिशा’ की सांस्कृतिक टोली ‘विहान’ द्वारा प्रस्तुत क्रान्तिकारी गीत ‘आ रे नौजवान….’ से किया गया। कार्यक्रम का संचालन ‘दिशा छात्र संगठन’ के संयोजक अभिनव  ने किया।

अभिनव ने ‘स्मृति संकल्प यात्रा’ का परिचय देते हुए बताया कि इस यात्रा के लगभग डेढ़ वर्ष पूरे होने को हैं। इन वर्षों में मेरठ, हापुड़, मुरादाबाद, गाजियाबाद, रेवाड़ी, गुड़गाँव आदि के दूर दराज के इलाकों में बसों, ट्रेनों में क्रान्तिकारी गीत गाते हुए, नारे लगाते हुए तमाम लोगों तक ‘स्मृति संकल्प यात्रा’ का पर्चा वितरित किया गया। मजदूर बस्तियों, कॉलेजों–कैम्पसों में व्यापक तौर पर भगतसिंह के विचारों को पर्चों, पुस्तिकाओं, गीतों, नाटकों, फिल्म शो, साइकिल यात्राओं, पद यात्राओं और पुस्तक पोस्टर प्रदर्शनियों आदि के माध्यम से पहुँचाया गया।

नौभास के कार्यकर्ता रूपेश ने विगत डेढ़ वर्षों में अभियान चलाने के अनुभवों को लोगों के सामने रखा। उन्होंने कहा कि जब हम लोग किसी इलाके में नुक्कड़ सभा या नुक्कड़ नाटक करते हुए व्यवस्था की असलियत सामने रखते हैं तो लोगों के तमाम सवालात यह बात पुख़्ता करती है कि उन्हें मौजूदा तंत्र में भरोसा नहीं है। लेकिन विकल्प को वे बेहद गौर से और प्रश्नाकुल निगाह से देखते हैं। हम युवाओें के उत्साह और दृढ़ता का स्वागत करते हुए लोग भरपूर सहयोग भी करते हैं। जनचेतना की कविता ने भगत सिंह की विचारयात्रा की चर्चा करते हुए कहा कि आज भगतसिंह के विचारों को तमाम तरीक़ों से लोगों तक पहुँचाने की जरूरत है। जनचेतना इस मुहिम में पिछले 16 वर्षों से लगी है। एक सांस्कृतिक वैचारिक मुहिम के तहत जनचेतना का मानना है कि ठण्डे और सुस्त समय में वैचारिक आँच तमाम दिलों तक ले जाना बेहद जरूरी है। क्रान्तिकारी विचारों की रोशनी में ही नये समाज के शिल्पियों को गढ़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि हम लोग छोटी–छोटी पुस्तिकाओं को छापकर व्यापक जनसमुदाय तक पहुँचाने, भगतसिंह के विचारों को ले जाने के प्रयास में लगे हैं।

राहुल फाउण्डेशन के सत्यम ने कहा कि भगत सिंह की आँखों में एक नये समाज का सपना था जहाँ एक देश द्वारा दूसरे देश का शोषण न हो, एक आदमी द्वारा दूसरे आदमी का शोषण न हो। लेकिन आजाद भारत की साठ सालाना बैलेन्स शीट साफ़ बताती है कि यह आजादी धनपशुओं और उनके साथ नाभिनालबद्ध नेताओं की है। सांसदों का सालाना वेतन भत्ता 12 लाख रुपये हैं। आवास, बिजली आदि सुविधाएं मुफ्त हैं। वहीं मेहनतक़श अवाम रोज़ी–रोटी की ख़ातिर दर–दर भटक रहा है।

भाषणों के बीच कई कविताओं का पाठ भी किया गया। जो कि कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण बना रहा। नौजवान भारत सभा के संयोजक राकेश ने शशि प्रकाश की कविता ‘21 वीं सदी में भगतसिंह की स्मृति’ , तपीश ने ‘अगर तुम युवा हो’, प्रसेन ने ‘भगत सिंह इस बार न लेना काया भारतवासी की’, और ‘दिशा’ के आशू ने विपुल चक्रवर्ती की कविता ‘मेरे दोनों पाँव काट दो’ कविता का सस्वर पाठ किया।

आह्वान कैम्‍पस टाइम्‍स, जुलाई-सितम्‍बर 2006

 

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