दिल्ली में ‘स्कूल बचाओ अभियान’ की शुरुआत

आह्वान संवाददाता, नई दिल्ली

‘समान, स्तरीय व निःशुल्क स्कूली शिक्षा’ की माँग को लेकर ‘स्कूल बचाओ अभियान’ पूरी दिल्ली में चलाया जा रहा है। नौजवान भारत सभा, दिशा छात्र संगठन और बिगुल मज़दूर दस्ता के संयुक्त नेतृत्व में चल रहे इस अभियान के तहत दिल्ली की अलग-अलग कॉलोनियों में जनसभा आयोजित कर लोगों को इस अभियान से जोड़ा जा रहा है। इस अभियान की मुख्य माँग है कि दिल्ली समेत पूरे देश में ‘एकसमान स्कूल की व्यवस्था’ (यूनिफार्म स्कूल सिस्टम) को लागू किया जाये।

इस अभियान की शुरुआत दिल्ली के स्कूलों में मिलने वाली सुविधाओं की स्थिति को जानने के लिए जाँच-पड़ताल से की गयी। ‘स्कूल बचाओ अभियान’ की संयोजन समिति के सदस्यों ने यहाँ के शिक्षा विभाग से उन कानूनी मानकों को प्राप्त किया जिसके तहत सरकारी स्कूल चलाये जाते हैं। एक प्रश्नावली-पत्र के माध्यम से सर्वेक्षण कर बच्चों से स्कूलों के स्थिति का पता लगाया जा रहा है। जिन इलाकों में सर्वेक्षण का काम हो गया है वहाँ इस मुद्दे को लेकर जनसभाएँ आयोजित की गयी है। इस अभियान में हर इलाव़फ़े से गली-गली स्तर पर ‘स्कूल बचाओ अभियान संघर्ष समिति’ खड़ी की जा रही हैं और वालण्टियर चुने जा रहे हैं।

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इस अभियान के तहत ही खजूरी ख़ास की श्रीराम कॉलोनी में एक जनसभा भी आयोजित की गयी। इस अभियान की पहली जनसभा में बच्चों, महिलाओं व इलाव़फ़े के नौजवानों ने बड़ी संख्या में हिस्सेदारी की। ‘स्कूल बचाओ अभियान’ संयोजन समिति के सदस्य सनी ने बताया कि स्कूली शिक्षा बच्चों के जीवन की बुनियाद होती है जहाँ वह सामाजिक होना, इतिहास, कला आदि से परिचित होता है। अमीरी और ग़रीबी में बँटे हमारे समाज का यह फ़र्क देश के स्कूलों में भी नज़र आता है। जहाँ एक तरफ़ पैसों के दम पर चलने वाले प्राईवेट स्कूलों में अमीरों के बच्चों के लिए ‘फाइव-स्टार होटल’-मार्का सुख-सुविधाएँ उपलब्ध हैं, वही दूसरी ओर सरकार द्वारा चलाये जा रहे ज़्यादातर स्कूलों की स्थिति ख़स्ताहाल है। केन्द्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और सैनिक स्कूल जैसे कुलीन सरकारी स्कूलों को छोड़ दिया जाये, तो सरकारी स्कूल सरकार द्वारा ही तय विद्यालय मानकों का पालन नहीं करते। ज़्यादातर सरकारी स्कूलों में साफ़ पीने के पानी की व्यवस्था तक नहीं है, सभी बच्चों के बैठने के लिए डेस्क नहीं हैं, कक्षाओं में पंखों तक की व्यवस्था नहीं है; वहीं अमीरज़ादों के स्कूलों में पीने के पानी के लिए बड़े-बड़े ‘आर.ओ. सिस्टम’, खेलने के लिए बड़े मैदान, कम्प्यूटर रूम, लाइब्रेरी और यहाँ तक कि कई स्कूलों में स्विमिंग पूल व घुड़सवारी की भी व्यवस्था है! ज़ाहिर-सी बात है कि इन ‘ख़ास सरकारी’ स्कूलों और निजी स्कूलों में अधिकतर बड़े-बड़े अधिकारियों, पूँजीपतियों और नेताओं के बच्चे ही पढ़ते हैं।

इस अभियान की एक मुख्य माँग यह भी है कि ‘दिल्ली स्कूल एक्ट-1973’ के कानूनन तय मानकों का पालन करवाने के लिए सख़्त कदम उठाये जाये। यदि स्कूलों में साफ़ पीने का पानी, बैठने के लिए डेस्क जैसी बुनियादी सुविधाएँ ही नहीं होंगी तो बच्चों के वहाँ जाने का ही क्या फायदा होगा। सरकारी स्कूलों को पढ़ने योग्य बनाने का हक संघर्ष करके ही हासिल हो सकता है। आज देश भर में सरकार ‘शिक्षा का अधिकार’ कानून के लिए अपनी पीठ थपथपा रही है। लेकिन सरकार अपने द्वारा ही चलाये जा रहे स्कूलों में दोहरे मापदण्ड अपनाती है। अगर सरकार देश के सभी नागरिकों को समान मानती है तो कम-से-कम उसे अपने सभी स्कूलों को समान स्तर पर रखना चाहिए। यानी सरकारी स्कूलों में मौजूद ऊँच-नीच की व्यवस्था समाप्त की जानी चाहिए।

इस अभियान से अन्य लोगों को जोड़ने के लिए ‘स्कूल बचाओ अभियान’ की ओर से दिल्ली के नागरिकों के नाम एक अपील’ शीर्षक से एक पर्चा भी वितरित किया जा रहा है। इस अभियान की मुख्य मांगें हैं कि – 1- सभी सरकारी स्कूलों के लिए कानूनन तय मानकों के नग्न उल्लंघन पर रोक लगायी जाये और उनका सख़्ती से पालन करवाया जाये। 2- सभी सरकारी स्कूलों में बुनियादी अधिरचनात्मक सुविधाएँ जैसे साफ़ पीने का पानी, डेस्क, पँखों, भोजन इत्यादि की उचित व्यवस्था मुहैया करायी जाये। 3- सरकारी स्कूलों में खाली पदों पर शिक्षकों की तत्काल स्थाई नियुक्ति की जाये;ठेके (कॉण्ट्रैक्ट) के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति कि व्यवस्था बन्द की जाये। 4- शिक्षा-दीक्षा की पूरी व्यवस्था को तत्काल चुस्त-दुरुस्त किया जाये, और, 5- सरकार द्वारा चलाये जा रहे सभी स्कूलों में ‘एक समान स्कूल व्यवस्था’ लागू की जाये।

संयोजन समिति की सदस्य शिवानी ने बताया कि इस मुद्दे पर एक जनहित याचिका भी दायर की जायेगी और साथ ही हमारे सर्वेक्षण व अन्य स्रोतों से जानकारी के आधार पर दिल्ली के सरकारी स्कूलों की असलियत को बयान करती एक रिपोर्ट भी जारी की जायेगी। आगे चलकर इस अभियान से जुड़े लोगों के साथ मिलकर एक बड़ा प्रदर्शन भी किया जायेगा। यह अभियान फिलहाल दिल्ली के करावलनगर, समयपुर बादली, गुड़मण्डी, जनता कॉलोनी, मुस्तफाबाद, खजूरी खास में चलाया जा रहा है। रिपोर्ट लिखे जाने तक दिल्ली के अन्य इलाकों में सर्वेक्षण का काम जारी है और कई जगहों पर जनसभाएँ आयोजित की जा रही हैं।

 

मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, मई-जून 2012

 

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