श्रम कानूनों के उल्लंघन के खि़लाफ़ दिल्ली मेट्रो मज़दूरों ने किया प्रदर्शन

आह्वान संवाददातानई दिल्ली

10 जून को दिल्ली मेट्रो रेल के सैकड़ों मज़दूरों ने दिल्ली मेट्रो कामगार यूनियन (डीएमकेयू) की अगुवाई में डी.एम.आर.सी. और ठेका कम्पनी जे.एम.डी. कम्पनी द्वारा श्रम कानूनों के गम्भीर और खुले उल्लंघन के खि़लाफ़ जन्तर-मन्तर पर विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में मेट्रो रेल के टॉम आपरेटर, सफाईकर्मी व गार्ड शामिल रहे। ज्ञात हो कि पिछले साल 10 जुलाई  को भी दिल्ली मेट्रो मज़दूरों ने डी.एम.आर.सी. और तमाम ठेका कम्पनियों द्वारा किये जाने वाले श्रम कानूनों के उल्लंघन के खि़लाफ़ विशाल प्रदर्शन किया था। इस प्रदर्शन के चलते डी.एम.आर.सी. पर काफ़ी दबाव बना था और उसे मेट्रो में कार्यरत तमाम ठेका मज़दूरों के शोषण का संज्ञान लेने के लिए विवश होना पड़ा ये समस्त मेट्रो कामगारों द्वारा किये जा रहे संघर्षों की महत्वपूर्ण विजय थी।

मेट्रो मज़दूर डी.एम.आर.सी. और सभी ठेका कम्पनी द्वारा श्रम कानूनों के उल्लंघन के खि़लाफ़ एक बार फिर एकजुट हुए और उन्होंने जन्तर-मन्तर पर डी.एम.आर.सी. प्रमुख मंगू सिंह का पुतला दहन किया। डी.एम.के.यू. ने ज्ञापन समेत एक माँगपत्रक क्षेत्रीय श्रमायुक्त के कार्यालय को सौंपा जिस पर मज़दूरों के हस्ताक्षर थे।

डी.एम.के.यू. के सचिव अजय स्वामी ने कहा कि अभी हाल में मेट्रो रेल के 18 वर्ष पूरे होने पर मेट्रो भवन में जश्न मनाया गया जिसमें दिल्ली की मुख्यमन्त्री शीला दीक्षित ने डी.एम.आर.सी. प्रशासन की जमकर तारीफ़ की और बताया कि ये देश का सबसे आर्दश और ईमानदार संस्थान है। लेकिन इस चमचमाती मेट्रो रेल में काम करने वाले हज़ारों मज़दूरों (सफाईकर्मी, गार्ड, टॉम ऑपरेटर, निर्माण मज़दूर) के हालात की चर्चा की जाए तो साफ़ हो जाता है कि डी.एम.आर.सी. प्रशासन सिर्फ ठेका कम्पनियों के लिए “आदर्श” और “ईमानदार” है। क्योंकि डी.एम.आर.सी., ठेका कम्पनियों द्वारा श्रम कानूनों के खुले उल्लंघन की अनदेखी कर रही है जिसका ज्वलन्त उदाहरण जे.एम.डी. कंसल्टेण्ट्स ठेका कम्पनी है जिसमें लगभग 300 टॉम आपरेटर मेट्रो स्टेशन पर कार्यरत हैं, ठेका कम्पनी द्वारा टॉम आपॅरेटरों का भयंकर शोषण किया जा रहा है। उन्होंने आगे बताया कि नियुक्ति के समय तमाम ठेका कम्पनियाँ 25,000 रुपये की सिक्योरिटी राशि जमा करती है। यही नहीं, नियुक्ति के समय ठेका मज़दूरों से नियुक्ति पत्र के साथ बख़ार्स्तगी पत्र पर भी हस्ताक्षर करा लिये जाते हैं। और यह नियुक्ति भी सिर्फ तीन महीने के लिए होती है, ऐसा नहीं है कि श्रम-कानूनों के इस उल्लंघन के बारे में डी.एम.आर.सी. प्रशासन नहीं जानता। लेकिन प्रधान नियोक्ता होने के बावजूद डी.एम.आर.सी. प्रशासन मूक बना रहता है, जिसका उदाहरण यह है कि आज करीब 3 महीने से कम्पनी द्वारा न तो न्यूनतम मज़दूरी का भुगतान किया जा रहा है, न ही साप्ताहिक अवकाश की ही सुविधा दी जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर मेट्रो मज़दूरों की जायज़ और कानूनी माँगों पर शीघ्र कोई कार्रवाई नहीं की जाती है तो आन्दोलन के अतिरिक्त कोई रास्ता मज़दूरों के पास नहीं है।

डी.एम.के.यू. के अध्यक्ष प्रवीण ने ज्ञापन में लिखी गयी माँगों पर रोशनी डालते हुए कहा कि जे.एम.डी. ठेका कम्पनी द्वारा ग़ैर-कानूनी ढंग से निकाले जा रहे कर्मचारियों को अविलम्ब काम पर वापस लिया जाये। डी.एम.आर.सी. द्वारा ठेका कानून व अन्य श्रम कानूनों के तहत प्राप्त श्रम अधिकारों को सुनिश्चित किया जाना चाहिए। तथा वेतन का भुगतान प्रधान नियोक्ता के समक्ष किया जाना चाहिए।

इस प्रदर्शन में विभिन्न छात्र-युवा व स्त्री संगठनों ने और साथ ही विभिन्न श्रमिक संगठनों ने डी.एम.के.यू. और मेट्रो मजदूरों को माँगों का खुला समर्थन किया। इसमें दिशा छात्र संगठन, नौजवान भारत, स्त्री मुक्ति लीग और करावल नगर मजदूर यूनियन आदि शामिल थे।

 

मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, मई-जून 2012

 

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