स्‍मृति संकल्‍प यात्रा (23 मार्च 2005-28 सितम्‍बर 2008) के लिए आह्वान

क्रान्तिकारी नवजागरण के तीन वर्ष
(23 मार्च 2005-28 सितम्बर 2008)

भगतसिंह और उनके साथियों की शहादत की 75वीं वर्षगाँठ और जन्मशताब्दी के तीन ऐतिहासिक वर्षों के दौरान नए जन मुक्ति संघर्ष की तैयारी के संकल्प और सन्देश के साथ क्रान्तिकारी छात्रों-युवाओं की देशव्यापी स्मृति संकल्प यात्रा

हम सभी सच्चे युवाओं का आह्नान करते हैं!
हम तमाम ज़ि‍न्दा लोगों को आवाज़ देते हैं!!
हम तूफ़ान के अग्रदूतों को आमंत्रित करते हैं!!!

नौजवान भारत सभा
दिशा छात्र संगठन

एक बार फ़िर
महान शहीदों की स्मृतियों और विरासत से
सँजोना है संकल्प और विवेक का ईंधन
और प्रज्ज्वलित करनी है
नये संघर्षों की आग,
भविष्य-स्वप्नों से ढालनी हैं इस्पाती मुक्ति परियोजनाएँ।
उठो, देश के युवा शिल्पियों,
चलो, जन-जीवन की कार्यशाला में
गढ़ने के लिए
स्वस्थ सकर्मक जीवन-ऊष्मा से स्पन्दित यथार्थ।
पूँजी की रक्तपिपासु सत्ता के विरुद्ध
निर्णायक न्याय-युद्ध के सेनानियो,
चलो प्रतीक्षारत जनता के बीच
प्रबल चक्रवाती झंझा को आमंत्रण देते हुए।

इस देश के बहादुर इंसाफ़पसन्द नौजवानो,

हम तुम्हें महान शहीद और युवा विचारक क्रान्तिकारी भगतसिंह और उनके साथियों के सपनों के भारत के निर्माण के लिए, जन-मुक्ति के उनके सपने को साकार करने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं। हमारा प्रबल आग्रह है कि इसे रोटी पर रक्त से लिखा निमंत्रण समझो। हमारी निष्ठा और संकल्प पर विश्वास करो और इस मुहिम में सहभागी बनने हमारे साथ आओ!

हमारे सहयात्री भाइयो, सहयोद्धा साथियो,

BHAGATभगतसिंह और उनके साथियों की शहादत के 75 वर्ष पूरे होने को हैं। अब से लेकर अगले तीन वर्ष उस पीढ़ी के कई क्रान्तिकारियों के जन्मशताब्दी वर्ष होंगे। एक बार फ़िर इतिहास हमारे दिलो-दिमाग के दरवाज़ों पर दस्तक दे रहा है। क्या हम देश को यूँ ही चुपचाप इन क्रान्तिकारियों के खण्डित और अधूरे स्वप्नों की त्रासद तस्वीर बना देखते रहेंगे? क्या इस देश के युवा यूँ ही हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे, अपने-अपने स्वार्थों के लिए समझौते करते हुए रीढ़विहीन केंचुए की तरह रेंगते रहेंगे, देश की तमाम सम्पदा की निर्मात्री अस्सी फ़ीसदी आबादी पर बीस फ़ीसदी लुटेरों, मुफ़्तखोरों को सवारी गाँठते देखते रहेंगे और खुद इस या उस चुनावी मदारी का जमूरा बनना स्वीकार करते रहेंगे? क्या हमारा देश देशी-विदेशी लूट का खुला चरागाह बना रहेगा और हम नशे की नींद सोते रहेंगे? – कत्तई नहीं। हमारा दृढ़ विश्वास है कि अत्याचार-अनाचार के इस घटाटोप के विरुद्ध नए सिरे से एक निर्णायक युद्ध छेड़ने के लिए और महान शहीदों के स्वप्नों को साकार करने के लिए संकल्प बाँधने वाले साहसी युवाओं की कमी नहीं है। बस ज़रूरत है, एक नई शुरुआत के लिए साहसिक पहलकदमी की। इसी पहलकदमी के लिए हम आपका आह्वान कर रहे हैं।

मार्च 2005 से भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत का 75वाँ वर्ष शुरू हो चुका है। यही जन-मुक्ति संघर्ष के कलम के सिपाही गणेशशंकर विद्यार्थी की शहादत का भी 75वाँ वर्ष है। इसी वर्ष 13 सितम्बर को भगतसिंह के साथी यतीन्द्रनाथ दास की शहादत की 75वीं वर्षगाँठ है और 27 फ़रवरी से चन्द्रशेखर आज़ाद की शहादत का 75वाँ वर्ष तथा 23 जुलाई से उनका जन्मशताब्दी वर्ष शुरू हो चुका है। इस वर्ष 18 अप्रैल को चटगाँव विद्रोह की 75वीं वर्षगाँठ थी। फ़रवरी 2006 में नौसेना विद्रोह के 60 वर्ष पूरे हो रहे हैं और मई 2007 में भारत के प्रथम स्वाधीनता संग्राम के 150 वर्ष पूरे हो जाएँगे। 28 सितम्बर 2006 से भगतसिंह के जन्म के 100वें वर्ष की शुरुआत हो जाएगी। 28 सितम्बर 2007 से उनके जन्मशताब्दी वर्ष की ऐतिहासिक शुरुआत होगी जिसका समापन सितम्बर 2008 में होगा। यह अवसर इस देश के नौजवानों के लिए अपनी ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी की याददिहानी का अवसर है। साथियो, 23 मार्च 2005 से लेकर 28 सितम्बर 2008 के बीच के इन तीन वर्षों को, एक नई क्रान्ति का सन्देश पूरे देश के जन-जन तक पहुँचाने वाली स्मृति संकल्प यात्राओं के माध्यम से एक क्रान्तिकारी नवजागरण के तीन ऐतिहासिक वर्ष बना देने के लिए हम कृतसंकल्प हैं। इस मुहिम में भागीदारी के लिए हम आपको आमंत्रित करते हैं।

भगतसिंह की वीरता और कुर्बानी से तो पूरा देश परिचित है लेकिन इस देश के पढ़े-लिखे नौजवान तक यह नहीं जानते कि 23 वर्ष की छोटी सी उम्र में फ़ांसी का फ़न्दा चूमने वाला वह जाँबाज़ नौजवान कितना ओजस्वी, प्रखर और दूरदर्शी विचारक था! यह हमारी जनता का दुर्भाग्य है और सत्ताधारियों की साज़िश का नतीजा है। अब यह हमारा काम है कि हम भगतसिंह और उनके साथियों के विचारों को जन-जन तक पहुँचाएँ, उनकी स्मृति से प्रेरणा लें और उनके विचारों के आलोक में अपने देशकाल की परिस्थितियों को समझकर नई क्रान्ति की दिशा तय करें और फ़िर उस राह पर दृढ़तापूर्वक आगे बढ़ें।

भगतसिंह और उनके साथियों ने अपने लेखों, बयानों और पर्चों में साफ़ शब्दों में और बार-बार यह कहा था कि उनका लक्ष्य केवल ब्रिटिश साम्राज्यवादियों की औपनिवेशिक गुलामी का खात्मा ही नहीं है, बल्कि उनकी लड़ाई साम्राज्यवाद और देशी पूँजीवाद के विरुद्ध लम्बे ऐतिहासिक संघर्ष की एक कड़ी है। उन्होंने उसी समय आगाह किया था कि कांग्रेस व्यापक आम आबादी की ताकत का इस्तेमाल करके हुकूमत की बागडोर पूँजीपतियों के हाथों में सौंपना चाहती है और उसकी लड़ाई का अन्त साम्राज्यवाद से समझौते के रूप में ही होगा। उन्होंने स्पष्ट किया था कि क्रान्तिकारी 10 फ़ीसदी थैलीशाहों के लिए नहीं, बल्कि 90 फ़ीसदी आम मेहनतकश जनता के लिए आज़ादी और जनतंत्र हासिल करना चाहते हैं और साम्राज्यवाद-सामन्तवाद के खात्मे के बाद पूँजीवाद को भी नष्ट करके एक ऐसी समाजवादी व्यवस्था कायम करना चाहते हैं जिसमें उत्पादन, राज-काज और समाज के ढाँचे पर आम मेहनतकश जनता काबिज हो।

क्रान्तिकारियों का यह सपना साकार नहीं हो सका। एक अधूरी, खण्डित आज़ादी के बाद, साम्राज्यवाद से साठगाँठ किये हुए देशी पूँजीवाद के ज़ालिम शासन के जुवे को ढोते-ढोते आधी सदी से अधिक समय बीत चुका है। आजादी और जनतंत्र के सारे छल-छद्म उजागर हो चुके हैं। मुट्ठीभर मुफ़्तखोरों की ज़िन्दगी में चमकते उजाले के बरक्स आम लोगों की ज़िन्दगी का अँधेरा गहराता चला गया है। सभी चुनावबाज़ पूँजीवादी पार्टियों के साथ ही अपने लक्ष्य से विश्वासघात कर चुकी नकली वामपंथी पार्टियों का गन्दा चेहरा भी नंगा हो चुका है। अब रास्ता सिर्फ़ एक है। विकल्प सिर्फ़ एक है। हमें भगतसिंह के दिखाये रास्ते पर आगे बढ़ने का संकल्प लेना ही होगा। इसीलिए हम भारत के नौजवानों का आह्वान करते हैं: ”भगतसिंह की बात सुनो। नई क्रान्ति की राह चलो।“

भगतसिंह के विचार क्षितिज पर अनवरत जलती मशाल की तरह हमें दिशा दिखला रहे हैं। अब गाँव-गाँव और शहर-शहर में और तमाम कालेजों-विश्वविद्यालयों में नौजवानों और छात्रों को नये सिरे से अपने क्रान्तिकारी संगठन बनाने होंगे। उन्हें चुनावबाज़ मदारियों का पिछलग्गू बनने से बचना होगा। इसके बाद, जैसा कि जेल की कालकोठरी से युवाओं को भेजे गये अपने सन्देश में भगतसिंह ने कहा था, छात्रों-नौजवानों को कारखानों के मज़दूरों और गाँव की झोपड़ियों तक जाना होगा और तमाम मेहनतकशों को संगठित करना होगा। यही सन्देश लेकर हम इस देश के हर जीवित युवा हृदय तक पहुँचना चाहते हैं।

साथियो! बैठे-बैठे सोचते रहने से तो हर राह मुश्किल लगती है। राह की कठिनाइयों को यात्रा शुरू करने के बाद ही दूर किया जा सकता है। भगतसिंह और उनके साथियों का सपना एक जलता हुआ प्रश्न बनकर हमारी आँखों में झाँक रहा है। उनकी विरासत हमें ललकार रही है और भविष्य हमें आवाज़ दे रहा है। एक ज़िन्दा क़ौम के नौजवान इसकी अनसुनी नहीं कर सकते। हम एक नई क्रान्ति की तैयारी के लिए, एक नये क्रान्तिकारी नवजागरण का सन्देश पूरे देश में फ़ैला देने के लिए आपका आह्वान करते हैं।

क्रान्तिकारी अभिवादन सहित,

– नौजवान भारत सभा

– दिशा छात्र संगठन

स्मृति संकल्प यात्रा के इन तीन वर्षों के दौरान

– क्रान्तिकारी छात्रों-नौजवानों की यात्रा टोलियाँ गाँव-गाँव और शहर-शहर का दौरा करते हुए देश के अधिकतम हिस्से तक पहुँचने की कोशिश करेंगी, छात्रों-युवाओं और आम लोगों तक नई क्रान्ति का सन्देश पहुँचाएँगी और एकजुट होकर देशव्यापी, नये क्रान्तिकारी छात्र संगठन और नौजवान संगठन बनाने के लिए उनका आह्वान करेंगी।

– ये यात्रा टोलियाँ सभी चुनावबाज़ पूँजीवादी और नकली वामपंथी पार्टियों तथा ट्रेडयूनियनों के धन्धेबाज़ों से छुटकारा पाकर नये क्रान्तिकारी जनसंघर्ष के लिए एकजुट और संगठित होने के लिए आम मेहनतकश जनता का आह्वान करेंगी।

– गाँव-शहरों और कालेजों-विश्वविद्यालयों में नौजवानों और छात्रों के क्रान्तिकारी संगठन बनाने का काम भी साथ-साथ चलता रहेगा।

– हमसफ़र बनने वाले नौजवानों को साथ लेकर ज़्यादा से ज़्यादा नई यात्रा टोलियाँ बनायी जाएँगी।

– यात्रा टोलियों के साथ ही सचल सांस्कृतिक दस्ते भी देश के विभिन्न हिस्सों का दौरा करेंगे।

– इस मुहिम के समर्थक नागरिकों के सहयोग से यात्रा टोलियों के आवश्यक व्यय के अतिरिक्त बड़े पैमाने पर विभिन्न भारतीय भाषाओं में भगतसिंह और उनके साथियों के दस्तावेज़ों का प्रकाशन और वितरण किया जाएगा। इसके साथ ही क्रान्तिकारी विचारों, क्रान्तिकारी इतिहास और देश की वर्तमान दुरवस्था के कारणों से परिचित कराने वाला साहित्य भी प्रकाशित और वितरित किया जायेगा। इस काम में राहुल फ़ाउण्डेशन, परिकल्पना प्रकाशन, शहीद भगतसिंह यादगारी प्रकाशन और दस्तक प्रकाशन हमारे सहयोगी होंगे।

– इस विशेष अवसर पर स्मृति चिन्हों के रूप में पोस्टर, कैलेण्डर, चित्र-कार्डों के सेट, डायरी आदि भी प्रकाशित किए जायेंगे।

– शिक्षा संस्थानों और बौद्धिक सांस्कृतिक केन्द्रों में विचार गोष्ठियों का आयोजन किया जायेगा।

– स्मृति संकल्प यात्रा की लक्ष्यपूर्ति की दृष्टि से उपयोगी सुझावों के आधार पर अन्य कार्यक्रम भी लिये जा सकते हैं।

स्मृति संकल्प यात्रा के कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए अथवा इसमें सहयोग करने के लिए आप इनमें से किसी भी समन्वय केन्द्र (कोआर्डिनेशन सेंटर) पर व्यक्तिगत रूप से मिलकर या पत्र द्वारा सम्पर्क कर सकते हैं:

  1. बी­100, मुकुन्द विहार, करावल नगर, दिल्ली-110094 (मुख्य समन्वय केन्द्र)

फ़ोनः 011­55976788, मोबाइलः 92132­43755

  1. 289­सी, श्रमिक कुंज, सेक्टर 66, नोएडा, फ़ोनः 98712­52120
  2. जनचेतना, डी­68, निरालानगर, लखनऊ-226020, फ़ोनः 0522–2786782
  3. जनचेतना, 989, पुराना कटरा, मनमोहन पार्क, युनिवर्सिटी रोड, इलाहाबाद, फ़ोनः 0532–2461661
  4. आह्वान कार्यालय, संस्कृति कुटीर, कल्याणपुर, गोरखपुर–273001, फ़ोनः 0551–241922
  5. जनचेतना, प्राइमरी स्कूल के पास, भदईपुरा, रुद्रपुर, ऊधमसिंह नगर, फ़ोनः 05944–240580
  6. पंकज, प्लाट नं- 33, सेक्टर 15, सोनीपत, फ़ोनः 98122–96194
  7. अजयपाल, लुधियाना, फ़ोनः 98550–57255

 

 

आह्वान कैम्‍पस टाइम्‍स, जुलाई-सितम्‍बर 2005

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