भारत में वॉलमार्ट

वारुणी

Walmart-Retail-Indiaखुदरा क्षेत्र में भारत में करीब 1250 बिलियन डॉलर का बाज़ार उपलब्ध है जिसकी वृद्धि की दर हर साल करीब 7.2% है। यानी कि “भारत भूमि वॉलमार्ट के लिए बहुत ही उपजाऊ ज़मीन है”- यह पूर्व प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने वॉलमार्ट के सी.ई.ओ. से कहा था। यह साल 2005 से पहले की बात थी जब खुदरा व्यापार क्षेत्र में विदेशी निवेश को मंज़ूरी नहीं मिली थी। परन्तु तब भी अप्रत्यक्ष तौर पर विदेशी निवेश सम्भव था और वॉलमार्ट का भारत में आना पहले ही तय था। अप्रत्यक्ष तौर पर इसकी मंज़ूरी ने पहले ही प्रत्यक्ष तौर पर इसकी मंज़ूरी की ज़मीन तैयार कर दी थी। यही पूँजीवाद की गति का अगला चरण था जो अब हमारे सामने है।

खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंज़ूरी देने की बात काँग्रेस सरकार के राज में ही हो रही थी। इस बात को लेकर संसदीय सुअरबाड़े में ख़ूब हो-हल्ला मचा। तमाम पार्टियाँ – भाजपा से लेकर सारी वामपन्थी पार्टियाँ इसके विरोध में थीं। फिर सरकार ने रक्षात्मक रवैया अपनाकर ख़ुद यह ऐलान किया कि अब राज्य सरकारों के ऊपर होगा कि वह खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अनुमति देती हैं या नहीं। प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को खुदरा क्षेत्र में मंज़ूरी मिलना कोई नयी परिघटना नहीं बल्कि उदारीकरण-निजीकरण की नीतियों का एक स्वाभाविक अगला क़दम था। भूमण्डलीकरण के इस दौर में विकसित पूँजीवादी देशों में उत्पादकता बढ़ने के साथ-साथ उत्पादक निवेश की सम्भावना लगातार सन्तृप्ति बिन्दु तक पहुँच रही है। बाज़ार उत्पादन इतना हो जाता है कि उस देश में उसकी पूरी खपत नहीं हो सकती, तब उस माल को खपाने के लिए उन विकसित पूँजीवादी देशों को नये बाज़ारों की ज़रूरत होती है और इसकी खोज तीसरी दुनिया के देशों में पूरी होती है जहाँ पूँजीवादी विकास के साथ एक नया उपभोक्ता वर्ग तैयार हुआ है। जहाँ तक भारत की बात है तो यह तमाम देशों के पूँजीपति वर्ग के लिए बहुत ही उपयोगी ज़मीन है। एक रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में खुदरा व्यापार क्षेत्र में करीब 500 बिलियन डॉलर की ख़रीद-फ़रोख्त की सम्भावना है जो 2020 तक करीब 1 ट्रिलियन को भी पार कर सकता है। यही कारण है कि वालमार्ट, टेस्को जैसी विदेशी कम्पनियाँ यहाँ निवेश के लिए लालायित होती हैं। और अब तो इनको पूरी खुली छूट मिल गयी है। अब सिर्फ़ देशी ही नहीं बल्कि विदेशी पूँजी भी उपभोक्ता क्षेत्र में जनता को लूटने का काम करेगी। दोनों के बीच हिस्से के बँटवारे का झगड़ा भी रहेगा और आपसी प्रतिस्पर्द्धा भी मौजूद रहेगी कि कौन कितना लूट-खसोट का ताण्डव करेगा।

ये तो मौजूदा हालात हैं लेकिन जब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मंज़ूरी नहीं मिली थी तब भारत में प्रवेश पाने के लिए वॉलमार्ट जैसी कम्पनियों ने कितना पैसा व कितनी तिकड़में भिड़ायी थीं इसे जानना भी ज़रूरी है। वॉलमार्ट ने 2008 में भारत में खुदरा व्यापार में प्रवेश करने की कोशिशों पर ही 1.65 मिलियन डॉलर ख़र्च कर दिये थे। सरकार ने थोक व्यापार में विदेशी निवेश को मंज़ूरी दे दी थी और इसी के ज़रिये वॉलमार्ट खुदरा क्षेत्र में घुसने की लगातार कोशिश कर रहा था। वॉलमार्ट ने भारती ग्रुप के साथ 50:50 का ज्वाइण्ट वेंचर बनाया था जिसे भारती-वॉलमार्ट प्राइवेट लिमिटेड का नाम दिया गया। भारती ग्रुप का ही एक पार्ट भारती रिटेल होल्डिंग लिमिटेड है जिसका मुख्यतः खुदरा क्षेत्र में व्यापार है। इज़ी-डे सुपरमार्केट्स इसी के द्वारा चलायी जाती है। बाद में इसे सीडार सपोर्ट सर्विसेज के नाम से चलाया जाने लगा जिसका मुख्य क्षेत्र कंसल्टिंग सर्विसेज़ बताया गया। ज्ञात हो तभी कंसल्टिंग सर्विसेज में विदेशी निवेश को मंजूरी थी और वॉलमार्ट ने सीडार सपोर्ट सर्विसेज़ में विदेशी निवेश किया था। करीब 500 डॉलर मिलियन का निवेश किया गया था। इस प्रकार व्यापार क्षेत्र के अपने ऑब्जेक्टिव क्लॉज़ को बदलकर वॉलमार्ट ने खुदरा क्षेत्र में निवेश किया था। वॉलमार्ट ने पैटन बॉग्स नामक एक लॉबीइंग फर्म द्वारा भारत में प्रवेश करने की तिकड़म भिड़ाई तब जाकर यह सम्भव हुआ था। यदि लॉबीइंग की बात की जाये तो आज यह किस्म का व्यापार बन गया है। ये लॉबीइंग फर्म्स बिचौलिये का काम करती हैं जो व्यापारी वर्ग व सरकार के बीच साँठ-गाँठ करवाती हैं। न सिर्फ़ बड़ी-बड़ी कम्पनियों के मालिक बल्कि ख़ुद कई देशों की सरकारें अपना सिक्का जमाने के लिए इन लॉबीइंग फर्म्स को पैसे खिलाती हैं। ख़ुद भारत में लॉबीइंग व्यापार का एक बड़ा आधार बन गया है। कम से कम तीस फर्म्स तो अकेले दिल्ली में ही मौजूद हैं। वॉलमार्ट के अलावा भी डैल व बॉइंग जैसी कम्पनियों पर भी लॉबीइंग के केस दर्ज हो चुके हैं। जब खुले तौर पर यहाँ विदेशी पूँजी को लूट की छूट दी जा रही है और जहाँ क़ानूनी लूट को जायज़ ठहराया जाता है वहाँ ग़ैरक़ानूनी लूट तो बार-बार सर उठायेगी ही। अब जब कि खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश को मंज़ूरी मिल गयी है तब तो वॉलमार्ट जैसी कम्पनियाँ जमकर निवेश करेंगी और कर रही हैं। वॉलमार्ट अब तक 64 नामों से 27 देशों में मौजूद है। यह अमेरिकी कम्पनी खुदरा क्षेत्र में सबसे बड़ा व्यापारी है। इसके करीब 3600 से ज़्यादा स्टोर अमेरिका में ही मौजूद हैं वहीं इसके 1500 के करीब स्टोर चीन, कोरिया, यूके, जर्मनी और कनाडा में हैं। हर देश में इसके ‘विकास’ का जो कारण रहता है वह है कम दाम में सामग्रियों की बिक्री और अपने कर्मचारियों का बुरी तरह शोषण। तमाम देशों में इसके निवेश का परिणाम हो रहा है वहाँ के छोटे व्यापारियों, उद्यमियों की तबाही। आगे आने वाले समय में भारत में भी यही स्थिति होगी। यही पूँजीवाद की नैसर्गिक परिणति है। बड़ी पूँजी छोटी पूँजी को तबाह करेगी ही और छोटे व्यापारियों, दुकानदारों के एक बड़े हिस्से को बर्बाद कर सर्वहारा की कतार में लाकर खड़ा कर देगी।

ऐसी स्थिति में क्या हमें छोटी पूँजी को बचाने की कवायद में लग जाना चाहिए जैसा तमाम चुनावी वामपन्थी पार्टियाँ कर रही हैं। नहीं, यह इतिहास के पहिये को पीछे घुमाने की कोशिश होगी और कुछ नहीं। ये पार्टियाँ छोटी पूँजी को बचाने की कवायद में इसलिए लगी रहती हैं कि पूँजीवाद की विध्वंसक रफ़्तार को कम किया जा सके; क्योंकि इनके पास पूँजीवाद का कोई विकल्प नहीं है। खुदरा क्षेत्र में भी विदेशी पूँजी के आने के साथ छोटी पूँजी की तबाही और तेज़ होगी और निम्न पूँजीपति आबादी का एक बड़ा हिस्सा सर्वहारा की कतारों में आकर खड़ा होगा। समाज में बेरोज़़गारी बढ़ेगी। ऐसी स्थिति में लोगों के बीच व्यवस्था के प्रति असन्तोष व गुस्सा बढ़ेगा और हमें उनके बीच क्रान्तिकारी प्रचार करना होगा क्योंकि पूँजीवादी व्यवस्था की इस चौहद्दी के भीतर निम्न पूँजीपति वर्ग बचा नहीं रह सकता। इस तबाही को रोकने का एक ही तरीक़ा है इस पूँजीवादी व्यवस्था को उखाड़ फेंकना। इस एकमात्र विकल्प को टालने के लिए जितने भी तरीक़े तात्कालिक राहत के लिए अपनाये जायें उससे जनता का दुखदर्द और बढ़ता ही जायेगा।

 

मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, जुलाई-अगस्‍त 2014

 

'आह्वान' की सदस्‍यता लें!

 

ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीआर्डर के लिए पताः बी-100, मुकुन्द विहार, करावल नगर, दिल्ली बैंक खाते का विवरणः प्रति – muktikami chhatron ka aahwan Bank of Baroda, Badli New Delhi Saving Account 21360100010629 IFSC Code: BARB0TRDBAD

आर्थिक सहयोग भी करें!

 

दोस्तों, “आह्वान” सारे देश में चल रहे वैकल्पिक मीडिया के प्रयासों की एक कड़ी है। हम सत्ता प्रतिष्ठानों, फ़ण्डिंग एजेंसियों, पूँजीवादी घरानों एवं चुनावी राजनीतिक दलों से किसी भी रूप में आर्थिक सहयोग लेना घोर अनर्थकारी मानते हैं। हमारी दृढ़ मान्यता है कि जनता का वैकल्पिक मीडिया सिर्फ जन संसाधनों के बूते खड़ा किया जाना चाहिए। एक लम्बे समय से बिना किसी किस्म का समझौता किये “आह्वान” सतत प्रचारित-प्रकाशित हो रही है। आपको मालूम हो कि विगत कई अंकों से पत्रिका आर्थिक संकट का सामना कर रही है। ऐसे में “आह्वान” अपने तमाम पाठकों, सहयोगियों से सहयोग की अपेक्षा करती है। हम आप सभी सहयोगियों, शुभचिन्तकों से अपील करते हैं कि वे अपनी ओर से अधिकतम सम्भव आर्थिक सहयोग भेजकर परिवर्तन के इस हथियार को मज़बूती प्रदान करें। सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग करने के लिए नीचे दिये गए Donate बटन पर क्लिक करें।