अमीरी बराका को श्रृद्धांजली
“गुलामी और आज़ादी में से हर कलाकार को आज अपना पक्ष चुनना होगा। मैंने चुनाव कर लिया है। मेरे पास और कोई विकल्प नहीं था।” – पॉल रॉबसन (अफ्रीकी जनता के मुक्ति संघर्षों के महान गायक)
अफ्रीकी-अमेरिकी जनता और दुनियाभर के मेहनतकशों एवं शोषितों-उत्पीड़ितों के मुक्ति संघर्षों को अपनी कलम से आवाज़ देनेवाले लेखक, कलाकार, नाटककार, गीतकार, कवि और प्रखर मार्क्सवादी बुद्धिजीवी तथा कार्यकर्ता अमीरी बराका का पिछले दिनों 9 जनवरी 2014 को निधन हो गया। उनके लिए कला समाज में क्रान्तिकारी परिवर्तन का हथियार थी। वह कुर्सीतोड़ बुद्धिजीवी नहीं थे, बल्कि जनता के संघर्षों के भागीदार थे। अमीरी बराका (ली रॉइ जोन्स) का जन्म 7 अक्टूबर 1934 को अमेरिका के न्यू जर्सी स्थित न्यूयार्क शहर में हुआ। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1960 के दशक में काली जनता के सिविल राइट मूवमेण्ट में शिरकत से की। इस पूरे दौर में वह काले राष्ट्रवाद के हिमायती थे। 1970 के दशक के मध्य में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से उनका मोहभंग हो गया और मार्क्सवाद-लेनिनवाद उनके चिन्तन का आधार बन गया।
अमीरी बराका ने हमेशा संशोधनवाद का विरोध किया और इस बात पर ज़ोर दिया कि दमित राष्ट्रीयताओं के मुक्ति संघर्षों को सर्वहारा वर्ग के मुक्ति संघर्ष से जोड़ देना होगा। उनका साफ़ तौर पर मानना था कि राष्ट्रीयताओं के दमन-उत्पीड़न के ख़ात्मे के लिए पूँजीवाद का ख़ात्मा ज़रूरी है, क्योंकि यह पूँजीवाद ही है जो बुर्जुआ राष्ट्रवाद के झूठे प्रचार के द्वारा दुनियाभर के सर्वहारा वर्ग को बाँट देता है। जैसाकि माओ ने कहा था, दमित राष्ट्रीयताओं के सर्वहारा को अन्तरराष्ट्रीयतावादी होने के साथ ही देशभक्त भी होना चाहिए। इसलिए उन्होंने अफ्रीकी-अमेरिकी जनता के संघर्षों के प्रश्न पर विसर्जनवादी एवं अन्धराष्ट्रवादी दृष्टिकोण का विरोध किया और वे इस समस्या को लेनिन एवं माओ के बताये गये रास्ते से हल किये जाने की अपनी राय पर अडिग रहे। अमेरिकी कम्युनिस्ट पार्टी (आर.सी.पी., यूएसए) में इस तरह के भटकावों को उन्होंने इंगित किया। उनका सम्पूर्ण लेखन एक नये किस्म का सौन्दर्यशास्त्र रचने के लिए प्रतिबद्ध दिखता है। वे आजीवन अपनी रचनाओं के माध्यम से अन्यायी और मानवद्रोही व्यवस्था के खि़लाफ़ लड़ते रहे। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं:
नाटक – दी स्लेव, ए ब्लैक मास, दी मोशन ऑफ़ हिस्ट्री एण्ड अदर प्लेज।
उपन्यास – दी सिस्टम ऑफ़ दान्ते हेल।
कविताएँ – हार्ड फ़ैक्ट्स, स्लेव शिप।
वैचारिकी – पोएट्री फ़ॉर द एडवांस, डैगर्स एण्ड जैवेलिन्स।
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मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, जनवरी-अप्रैल 2014
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