शहीदे-आज़म भगतसिंह के 80वें शहादत दिवस पर लखनऊ में नुक्कड़ सभाओं का आयोजन

23 मार्च, 2011 को भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव के 80वें शहादत दिवस के मौके पर लखनऊ के खदरा इलाके में ‘नौजवान भारत सभा’ के कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतरकर भगतसिंह और उनके साथियों को याद किया। इस मौके पर ‘हवा में रहेगी मेरे ख़यालों की बिजली, ये मुश्ते ख़ाक है फानी, रहे रहे न रहे’ नामक पर्चे को लेकर नौजवान भारत सभा के दस्ते ने खदरा इलाके के बाबा का पुरवा, मशालची टोला और दीनदयाल नगर में नुक्कड सभाएँ आयोजित कीं। इस दौरान नौभास के लालचन्द्र ने कहा कि इस देश की सरकारें आज जबरन लोगों की स्मृतियों से उनके क्रान्तिकारी शहीदों को ग़ायब करने का काम कर रही हैं। यह अनायास ही नहीं कि आज छुटभैया नेताओं के मरणदिन को सरकारी छुट्टी घोषित किया जाता है और उनके बारे में सरकारी कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं, लेकिन देश के शहीदों को याद करने के लिए सरकार और इस देश की मीडिया के पास न वक़्त है और न संसाधन। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे में अपने क्रान्तिकारियों की शहादतों और उनके सपनों को याद करने की जिम्मेदारी इस देश के सच्चे युवाओं पर है। सभा के दौरान शिवार्थ ने कहा कि आज एक बार फिर इस देश के ‘सोये हुए शेरो’ यानी देश के 85 करोड़ मेहनतकशों को जगाने का जिम्मा, उनके ऐतिहासिक लक्ष्य को उन्हें याद कराने का जिम्मा और उसके लिए अपने जीवन को होम करने का जिम्मा इस देश के युवाओं पर है और वो इसे करके दिखायेंगे। सभा के दौरान लगाये गये ‘यह आज़ादी पन्द्रह फीसदी धनिकों की, लड़कर हासिल करनी होगी सही आज़ादी श्रमिकों की’; ‘भगतसिंह ने दी आवाज़, बदलो-बदलो देश समाज’; ‘ख़त्म करो पूँजी का राज, लड़ो बनाओ लोक स्वराज्य’ और ‘इन्‍कलाब जिन्दाबाद’ के गगनभेदी नारों से पूरा वातावरण गूँज उठा। अभियानी दस्ते में अजय, आशुतोष, शाहिद अली, शिवार्थ और लालचन्द्र शामिल हुए।

मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, मार्च-अप्रैल 2011

 

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