अमर शहीद राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ को याद करते हुए
बिस्मिल-अशफ़ाक की दोस्ती आज भी हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे और साझे संघर्ष का प्रतीक है। ज्ञात हो एच.आर.ए. की धारा ही आगे चलकर एच.एस.आर.ए. में विकसित हुई जिससे भगतसिंह, बटुकेश्वर दत्त, सुखदेव, भगवती चरण वोहरा, दुर्गावती और राजगुरू आदि जैसे क्रान्तिकारी जुड़े व चन्द्रशेखर ‘आज़ाद’ इसके कमाण्डर-इन-चीफ़ थे। हमारे इन शहीदों ने एक समता मूलक समाज का सपना देखा था। भरी जवानी में फाँसी का फ़न्दा चूमने वाले इन शहीदों को देश की खातिर कुर्बान हुए लम्बा समय बीत चुका है। अग्रेजी राज भी अब नहीं है लेकिन बेरोजगारी, भुखमरी, ग़रीबी और अमीर-ग़रीब की बढ़ती खाई से हम आज भी आज़िज हैं।