महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों का रियैलिटी शो
बड़जात्या परिवार की ड्रामा फ़िल्मों से भी ज़्यादा ड्रामा दिखलाने के बाद, अन्ततः भाजपा अपने नैसर्गिक साथी शिवसेना को सरकार में शामिल कर चुकी है, हालाँकि बड़जात्या परिवार की ड्रामा फ़िल्मों में आमतौर पर गोद लिये छोटे भाइयों की परिवार में जो गत बनती है, इस गठबन्धन में शिवसेना की भी वही गत बनी है! लेकिन इस ड्रामे के बीच यह ख़बर भी उड़ी थी कि शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी भी साथ मिलकर सरकार बना सकती हैं; इस तरह की फुसफुसाहट भी सुनायी देती है कि कर्नाटक के ‘ऑपरेशन लोटस’ की तरह यहाँ भी अन्य पार्टियों के विधायकों को ख़रीदकर (इस्तीफ़ा दिलवाकर और फिर अपनी सीटों पर लड़ाकर) भाजपा सरकार चला सकती है! महाराष्ट्र में हुए चुनावी तमाशे ने एक बार फिर साफ़ कर दिया है कि पूँजीवादी चुनावी राजनीति में उसूल, ईमान, अवामपरस्ती जैसी कोई चीज़़ नहीं है! यह केवल किसी भी तरह से सत्ता हासिल करने और पूँजीपति वर्ग की सबसे बेहतरीन ‘मैनेजिंग कमेटी’ साबित होने की अन्धी प्रतिस्पर्द्धा है।