पंजाब में ज़हरीली शराब के कारण मौत का ताण्डव!
क़रीब 100 लोगों की मौत! कौन है इसका ज़िम्मेदार?
आह्वान संवाददाता
हाल ही में पंजाब में ज़हरीली शराब पीने से 100 से ज़्यादा लोगों की मौत हो गयी। कई ज़िले इस दुर्घटना का शिकार हुए। अकेले तरन तारन ज़िले में ही 40 से ज़्यादा लोगों की मृत्यु हुई है। अमृतसर में बारह और गुरदासपुर के बटाला में नौ लोगों की मौत की पुष्टि हुई थी। हालाँकि इस पूरे प्रकरण में सात आबकारी कर्मचारियों और छह पुलिस कर्मचारियों को सस्पेण्ड किया गया है। नक़ली और अवैध शराब बनाने और बेचने वाले कई लोगों को भी पुलिस ने गिरफ़्तार किया है। लेकिन असली गुनाहगार और इस खेल के असल सरगनाओं का कुछ नहीं बिगड़ेगा, इस बात को सभी जानते हैं।
शिक्षा, रोज़गार और स्वास्थ्य सुविधाएँ देने की बजाय यह आदमख़ोर व्यवस्था जनता और ख़ासकर नौजवान आबादी को नशाख़ोरी और अपराध की दलदल में धकेल रही है। शराब बिक्री से भी सरकारों को राजस्व का बड़ा हिस्सा प्राप्त होता है। राजस्व उगाहने के जतन में इसकी क़ीमतों में भी बेशुमार बढ़ोत्तरी की जाती है। इसके कारण लोग देशी शराब और ख़ुद निकाली गयी शराब जैसे सस्ते विकल्पों की तरफ़ भागते हैं और मौत का शिकार हो जाते हैं। वैध-अवैध नशा माफ़िया और नेताशाही-नौकरशाही का गठजोड़ किस तरह से लोगों के चूल्हों की आग ठण्डी कर रहा है यह हमारे सामने है।
पंजाब स्वास्थ्य विभाग द्वारा साल 2019 में जारी रिपोर्ट कहती है कि औसतन 215 नये लोग हर रोज़ नशाख़ोरी की गर्त में समा रहे हैं। जनवरी से दिसम्बर 2019 के दौरान हेरोइन जैसे जानलेवा नशे का सेवन करने वालों की संख्या में ही 35 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। आँकड़ों के अनुसार, जनवरी 2019 में जहाँ हेरोइन के 5,439 नये मामले सामने आये थे, दिसम्बर 2019 में यह संख्या बढ़कर 8,230 तक जा पहुँची।
अकाली दल-भाजपा की सरकार के दौरान नशे का कारोबार बेरोकटोक चलता रहा क्योंकि इसे संरक्षण देने वाले लोग सरकार में ही बैठे हुए थे। लेकिन अमरिन्दर सरकार आने के बाद भी नशे के सौदागरों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कहने को एसआईटी का गठन कर दिया गया और उसमें अफ़सरों की आवाजाही लगी रहती है लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती।
पंजाब में लॉकडाउन के दौरान 12 मई तक ही नशाख़ोरी की आदत छुड़ाने के लिए नशे के शिकार 86,000 से ज्यादा लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया था। आप देख सकते हैं कि लोग नशे की दलदल से बाहर निकलना चाहते हैं। लेकिन नशा माफ़िया इस आबादी को बुरी तरह गिरफ़्त में जकड़े हुए होता है। दूसरी ओर शोषणकारी व्यवस्था की बेरोज़गारी, अवसाद, अलगाव, पार्थक्य जैसी नेमतें भी जनता को रोज-रोज अपराध, नशाख़ोरी और आत्महत्या की दलदल में धकेलती रहती हैं। पंजाब में ही सालाना अवैध नशे का कारोबार तक़रीबन 8,000 करोड़ से भी ज़्यादा का है। तमाम पार्टियों के नेता तक नशा माफ़िया के साथ साँठगाँठ रखते हैं और कुछ तो चमके ही इस कारोबार की बदौलत हैं।
आज युवा पीढ़ी को एकजुट होकर शिक्षा, रोज़गार, चिकित्सा और आवास जैसी सुविधाओं को हासिल करने के लिए और अपराध, नशाख़ोरी, पूँजीवादी लूट-शोषण के ख़िलाफ़ मुहिम छेड़ देनी चाहिए। पंजाब की नौजवानी के सामने भी नशाख़ोरी आज एक बहुत बड़ी चुनौती है। सही मुद्दों पर संघर्ष खड़े करके व इनमें भागीदारी करके ही हम ख़ुद को और दूसरों को नशाख़ोरी, अपराध, अवसाद और आत्महत्याओं के भँवरजाल से निकाल सकते हैं।
मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान,जुलाई-अक्टूबर 2020
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