साथी नितिन नहीं रहे…
साथी नितिन को लाल सलाम
आह्वान टीम
11 मई की भोर में दिल का दौरा पड़ने से नौजवान भारत सभा की राष्ट्रीय केन्द्रीय परिषद के सदस्य और दिल्ली में आंगनबाड़ी स्त्री मज़दूरों के बीच संगठनकर्ता के तौर पर काम कर रहे साथी नितिन का आकस्मिक निधन हो गया। वह मात्र 30 वर्ष के थे। पिछले कुछ दिनों से उनकी तबीयत ख़राब चल रही थी और परीक्षणों में कोलेस्ट्रॉल के बढ़ने की रपट सामने आयी थी। आज भोर में उन्होंने सीने में तेज़ दर्द की शिकायत की जिसके बाद उनके परिवार वालों ने उन्हें एण्टैसिड दी क्योंंकि वे दर्द का असली कारण नहीं समझ पाये। वास्तव में, दर्द दिल का दौरा पड़ने से हो रहा था। उन्हें समय पर अस्पतताल नहीं ले जाया जा सका जिसके कारण अन्तत: भोर में 5:30 पर उनके दिल की धड़कन बन्द हो गयी और पिछले 10 वर्षों से युवाओं और मज़दूरों के हक़ों के लिये निरंतर संघर्ष करने वाला और शहीदेआज़म भगतसिंह के आदर्शों को यथार्थ में बदलने के लिये जीने वाला यह शानदार युवा साथी हमारा साथ छोड़ गया। नितिन की मौत युवा आन्दोलन और मज़दूर आन्दोलन की क्षति है और उनके जाने से खाली हुई जगह को लम्बे समय तक नहीं भरा जा सकेगा।
नौजवान भारत सभा व तमाम यूनियनों के सदस्यों के कहने पर नितिन के पार्थिव शरीर का पोस्टमॉर्टम किया गया क्योंकि मृत्यु के कारण का पूर्ण निर्धारण नहीं हो पा रहा था। पोस्टमॉर्टम रपट में सामने आया कि मृत्यु का कारण दिल का दौरा पड़ना था, जिसके मूल में एक आर्टरी का पूर्ण रूप से अवरुद्ध होना था। इस आर्टरी के अवरुद्ध होने और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा भी ज्यादा होने के कारण दिल पर भारी दबाव पड़ा और नतीजतन दिल का दौरा पड़ा।
साथी नितिन को सब्जी मण्डी़, दिल्ली के पुलिस शवघर में उनके दर्जनों क्रान्तिकारी साथियों ने अश्रूपूरित आंखों, क्रान्तिकारी लाल सलाम और क्रान्तिकारी नारों के साथ आखिरी सलामी और विदाई दी। उनके शव को अन्तिम संस्का र के लिये उनके गांव ले जाया गया। साथ में नितिन के संगठन के चार पुराने साथी भी अन्तिम संस्कार में शामिल होने गांव गये। नितिन के त्रासद आकस्मिक निधन की खबर जैसे-जैसे उनके करीबी यूनियन के साथियों, छात्र संगठन के साथियों और युवा संगठन के साथियों और आम मज़दूरों के बीच जा रही है, एक शोक की लहर उनके बीच फैल रही है। नितिन अपनी जिन्दादिली और युवासुलभता के लिये जाना जाता था। उसे गाना और गिटार बजाना बेहद पसन्द था। नितिन के जाने के साथ हम एक भारी खालीपन महसूस कर रहे हैं। समझ नहीं पा रहे हैं कि इस बात पर कैसे यकीन करें। अभी कल तक ही नितिन का हंसता-मुस्कराता चेहरा हमारे बीच था। नितिन सभी का प्रिय इसलिये भी था क्योंकि उसके अन्दर स्वार्थ या अहं जैसी कोई भावना नहीं थी। अपने से पहले दूसरों के बारे में सोचना, साथियों के लिये किसी से भी लड़ जाना या जोखिम ले लेना उसकी आदतों में शुमार था। जिस भी साथी ने कभी किसी मोर्चे पर उसके साथ काम किया था, वह अभी अवाक है और सदमे की स्थिति में है।
नितिन के क्रान्तिकारी जीवन की शुरुआत 2008-09 के दिल्ली विश्वविद्यालय के शैक्षणिक सत्र में हुई थी। सबसे पहले उसने एक छात्र संगठनकर्ता के रूप में दिशा छात्र संगठन में काम किया। इसी बीच उसने मज़दूर मोर्चे की कार्रवाइयों में भी हिस्सेदारी शुरू कर दी। 2009 में ही मेट्रो मज़दूरों के एक आन्दोलन में उन्हें करीब दो दिन जेल में भी बिताने पड़े। इस जेल यात्रा ने उनके क्रान्तिकारी जज्बे को और मज़बूत कर दिया। इसके बाद, कुछ समय के लिये वह देहरादून में रहे जहां से उन्होंंने अपना एम.एस.सी. पूरा किया। इसके बाद वह फिर से दिल्ली वापस आ गये। तब से वह लगातार युवा मोर्चे और मज़दूर मोर्चे पर काम कर रहे थे। 25 मार्च 2015 को दिल्लीं में दिल्ली मज़दूर यूनियन ने दूसरी दिल्ली मजदूर महापंचायत को संगठित करने और उसका आयोजन करने में भी नितिन ने अहम भूमिका निभायी। इस जुटान पर केजरीवाल सरकार के निर्देश पर दिल्ली पुलिस ने भारी लाठी चार्ज किया और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। चोट खाने वाले लोगों में और गिरफ्तार होने वाले लोगों में नितिन भी शामिल थे। दिल्ली स्टेट आंगनवाड़ी वर्कर्स एण्डर हेल्प र्स यूनियन को संगठित करने में मुख्य और केन्द्रीय भूमिका नितिन की ही थी। 2015 की जुलाई में आंगनवाड़ी की स्त्री मज़दूरों के हक़ों को लेकर नितिन ने एक पूरे आन्दोलन को खड़ा किया और उसके नेतृत्व में एक अहम भूमिका निभायी। 7 दिन चली भूख हड़ताल के बाद आन्दोलन को भारी सफलता मिली जिसके बाद केजरीवाल सरकार को झुकना पड़ा और खुद मुख्यमन्त्री को मज़दूरों के प्रतिनिधि मण्डतल से मिलकर सभी मांगों को मानना पड़ा। इस भूख हड़ताल में साथी नितिन भी सात दिनों तक बैठे रहे। नितिन को आज भी आंगनबाड़ी की स्त्री मज़दूर अपना लोकप्रिय नेतृत्व मानती हैं। अभी हाल ही में मार्च और अप्रैल में भी आंगनबाड़ी महिला मज़दूरों के दो बड़े आन्दोलन हुए जिन्हें संगठित करने में नितिन की केन्द्रीय भूमिका थी। नितिन के इस तरह अचानक जाने से इस आन्दोलन को अपूरणीय क्षति हुई है।
इसके अलावा, नितिन पिछले कई वर्षों से दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में नौजवान भारत सभा के नेतृत्वकारी कोर के सदस्य थे और 2014 में नौजवान भारत सभा के प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन में उन्हें केन्द्रीय परिषद में चुना गया था। दिल्ली के खजूरी खास और करावलनगर के इलाके में नितिन युवाओं को संगठित करने में महती भूमिका निभाते रहे थे, चाहे वह संघी साम्प्रदायिकता के विरुद्ध आन्दोलन खड़ा करने का मसला रहा हो, स्कूूल के अधिकार को लेकर खड़ा किया गया आन्दोलन रहा हो या फिर बच्चों और युवाओं के लिये शिक्षा सहायता मण्डल का आन्दोलन रहा हो। नितिन को उसके युवा साथियों का भारी प्यार मिलता था और वह उनका चहेता था। उसके इस तरह जाने ने सारे युवा कार्यकर्ताओं और नौभास के समर्थकों के दिल में एक शून्य पैदा कर दिया है।
अभी हम समझ नहीं पा रहे कि अपने इस प्यारे साथी के बारे में और क्या कहें। कहने को अभी कुछ भी नहीं है और वैसे इतना कुछ है कि कहते ही चले जायें। साथी नितिन की याद में दिल्ली के आंबेडकर भवन में 13 मई को स्मृति सभा का आयोजन किया गया। उक्त स्मृति सभा में नितिन से किसी भी रूप में जुड़े सैकड़ों लोग इकठ्ठा हुए और अपने अनुभवों को साझा किया। स्त्री मजदूर, युवा साथी, शिक्षा सहायता मंडल के बच्चे व अन्य संगठन के तमाम लोग इसमें शामिल हुए। सभी की आँखों में नितिन के यों चले जाने का दुःख था और अभी भी कोई यकीं नहीं कर पा रहा था कि वह हमारे बीच नहीं रहे। समाज को बदलने का संकल्प संजोये नितिन के सपनों को मंजिल तक पहुँचाने का संकल्प और शोक को शक्ति में बदलने का जज्बा लिये लोगों ने नितिन की कविताओं-उनके सांगठनिक कार्यशैली और अपने साथियों के लिये असीम प्यार का स्मरण किया। इस सभा में देश-विदेश से आये विभिन्न व्यक्तियों और संगठनों की संवेदनाओं और शोक संदेशों को पढ़ा गया। नितिन का यों चला जाना उनके संगठन को और मजदूर-युवा आन्दोलन की ऐसी क्षति है जिसे भरना हमारे लिये अभी असंभव जान पड़ता है। हम इस शोक को पुनः शक्ति में बदलने का संकल्प लेते हैं ।
साथी नितिन तुम जिन्दा हो – हम सबके संकल्पों में।
इंकलाब ज़िन्दाबाद।
मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान,जुलाई-अगस्त 2017
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