डॉ. विनायक सेन को रिहा करो
छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार के राज में वहाँ की निचली अदालत द्वारा प्रसिद्ध मानवाधिकारकर्मी विनायक सेन को ‘राजद्रोह’ के आरोप में आजीवन कारावास की सज़ा पर गोरखपुर के प्रगतिशील-जनवादी हलकों और छात्र-नौजवान तथा मज़दूर संगठनों के बीच तीखी प्रतिक्रिया दिखायी दी।
2 जनवरी को विरोध-स्वरूप धरने पर बैठे विभिन्न संगठनों एवं स्वतन्त्र बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने ‘दिशा छात्र संगठन’ तथा ‘नौजवान भारत सभा’ की पहल पर 10 जनवरी को शहर के मुख्य रास्तों पर जुलूस निकालने तथा मण्डलायुक्त के मार्फत राष्ट्रपति को सम्बोधित एक हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन सौंपने तथा व्यापक पर्चा वितरण का कार्यक्रम स्वीकार किया। शहर की कई फ़ैक्टरियों के गेटों पर सभाएँ की गयीं और पर्चा बाँटा गया। 10 जनवरी को 11 बजे जुलूस टाउनहाल चौराहे से बैंक रोड, विजय चौक, गोलघर-कचहरी होते हुए मण्डलायुक्त कार्यालय तक पहुँचा और सभा में तब्दील हो गया।
विभिन्न वक्ताओं ने सभा को सम्बोधित किया। सभी ने एक स्वर में विनायक सेन के आजीवन कारावास की सज़ा का विरोध किया, और इसे जनता के जनवादी लोकतान्त्रिक अधिकारों पर राज्य का घिनौना हमला घोषित किया। नौजवान भारत सभा और संयुक्त मज़दूर अधिकार संघर्ष मोर्चा के संयोजक तपिश ने कहा कि यह अकेले डॉ. सेन का मामला नहीं है। देश के हुक्मरान चाहते हैं कि देशवासी सभी अन्याय-अत्याचार चुपचाप बर्दाश्त करते रहें, लोकतान्त्रिक विरोध की सभी सीमित गुंजाइशें तक उन्हें नागवार गुज़र रही हैं। सालभर पहले चले बरगदवाँ के मज़दूरों का न्यूनतम वेतन की माँग का आन्दोलन अभी बहुत पुराना नहीं हुआ है। जब स्थानीय प्रशासन ने भाजपा सदर सांसद के साथ मिलकर मज़दूरों को माओवादी आतंकवादी करार दिया था और उनके नेताओं को जेल में डाल दिया गया था। बिगुल मज़दूर दस्ता के वक्ता ने कहा कि हमें जनवादी अधिकारों की हिफ़ाज़त के लिए मेहनतकश आबादी की लामबन्दी को तेज़ करना होगा तथा भविष्य में व्यापक जनएकता कायम करते हुए सड़कों पर उतरने के लिए तैयार रहना होगा।
मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, जनवरी-फरवरी 2011
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