राहुल सांकृत्यायन के जन्मदिवस (9 अप्रैल) के अवसर पर

हमारे सामने जो मार्ग है, उसका कितना ही भाग बीत चुका है, कुछ हमारे सामने है और अधिक आगे आने वाला है। बीते हुए से हम सहायता लेते हैं, आत्मविश्वास प्राप्त करते हैं, लेकिन बीते की ओर लौटना –यह प्रगति नहीं, प्रतिगति – पीछे लौटना – होगी। हम लौट तो सकते नहीं, क्योंकि अतीत को वर्तमान बनाना प्रकृति ने हमारे हाथ में नहीं दे रखा है। फिर जो कुछ आज इस क्षण हमारे सामने कर्मपथ है, यदि केवल उस पर ही डटे रहना हम चाहते हैं तो यह प्रतिगति नहीं है, यह ठीक है, किन्तु यह प्रगति भी नहीं हो सकती यह होगी सहगति – लग्गू–भग्गू होकर चलना – जो कि जीवन का चिह्न नहीं है। लहरों के थपेड़ों के साथ बहने वाला सूखा काष्ठ जीवन वाला नहीं कहा जा सकता। मनुष्य होने से, चेतनावान समाज होने से, हमारा कर्तव्य है कि हम सूखे काष्ठ की तरह बहने का ख्याल छोड़ दें और अपने अतीत और वर्तमान को देखते हुए भविष्य के रास्ते को साफ करें जिससे हमारी आगे आने वाली सन्तानों का रास्ता ज्यादा सुगम रहे और हम उनके शाप नहीं, आशीर्वाद के भागी हों।

राहुल सांकृत्यायन

 

कलम के सिपाही गणेशशंकर विद्यार्थी के 79वें शहादत दिवस (25 मार्च, 1931) के अवसर पर

कॉलेज के विद्यार्थियों का कर्त्तव्य

“ संसार में इस समय जितनी तेज़ी के साथ उलटा–पलटी हो रही है और हमारे देश को उससे कितना लाभ उठाना चाहिये, यदि हम इन बातों पर आवेश को बिलकुल अलग रखकर भी विचार करें तो हमें इस नतीजे पर पहुँचना पड़ेगा कि केवल उन युवक और युवतियों को छोड़कर जिन्होंने यह तय कर लिया है कि दुनिया में कुछ भी क्यों न हों हमें उससे कोई मतलब नहीं, हमें केवल अपने आराम से सरोकार है, दुनिया और देश चाहे स्वर्ग में जाए और चाहे नरक में, और जो यह समझ बैठे हैं कि इस प्रकार दुनिया और देश की तरफ से आँखें मूँद लेने पर उनके ऐश और आराम में कोई फर्क भी नहीं पड़ेगा, ऐसे युवक और युवतियों को छोड़कर देश के सभी युवक और युवतियों के लिए अब अपनी जीवनचर्या बदलने और यथाशक्ति समाज और देश के लिए उपयोगी सिद्ध होने का समय आ गया है। जिस युवक या युवती के शरीर में युवावस्था का रक्त संचालित होता है, जिसे देश और बाहर की अवस्था के देखने और समझने का तनिक भी ज्ञान है, जिसे अपने आदमियों की हीन दशा का अनुभव करने में योग्य सहृदयता और प्रेम प्राप्त है, उसको दूर करने की तनिक भी इच्छा है, जिसके मन में यह भावना है कि जीवन केवल खा–पी और आनन्द कर लेने का ही नाम नहीं और ऊँचा और अच्छा जीवन तो आदर्शों के लिए जीने और उनके लिए मरने ही में है, वह युवक और वह युवती इस समय अपनी वर्त्तमान निश्चेष्ट अवस्था से कदापि सन्तुष्ट नहीं रह सकते।

“देश की सेवा का यह पूरक अवसर इन युवकों को अपने पास ज़ोर के साथ बुला रहा है। समय–समय पर अन्य देशों में भी इसी प्रकार के अवसर थे वहाँ के युवक–युवतियों ने उसकी आवाज सुनी और त्याग और सत्यनिष्ठा के साथ उन्होंने अपने तन और मन को सेवा के पथ में अर्पण कर दिया, वहाँ–वहाँ उन्होंने अपने देशभाइयों को ऊपर उठा दिया और अपने को कंचन बना दिया।”

गणेशशंकर विद्यार्थी

मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, मार्च-अप्रैल 2010

 

'आह्वान' की सदस्‍यता लें!

 

ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीआर्डर के लिए पताः बी-100, मुकुन्द विहार, करावल नगर, दिल्ली बैंक खाते का विवरणः प्रति – muktikami chhatron ka aahwan Bank of Baroda, Badli New Delhi Saving Account 21360100010629 IFSC Code: BARB0TRDBAD

आर्थिक सहयोग भी करें!

 

दोस्तों, “आह्वान” सारे देश में चल रहे वैकल्पिक मीडिया के प्रयासों की एक कड़ी है। हम सत्ता प्रतिष्ठानों, फ़ण्डिंग एजेंसियों, पूँजीवादी घरानों एवं चुनावी राजनीतिक दलों से किसी भी रूप में आर्थिक सहयोग लेना घोर अनर्थकारी मानते हैं। हमारी दृढ़ मान्यता है कि जनता का वैकल्पिक मीडिया सिर्फ जन संसाधनों के बूते खड़ा किया जाना चाहिए। एक लम्बे समय से बिना किसी किस्म का समझौता किये “आह्वान” सतत प्रचारित-प्रकाशित हो रही है। आपको मालूम हो कि विगत कई अंकों से पत्रिका आर्थिक संकट का सामना कर रही है। ऐसे में “आह्वान” अपने तमाम पाठकों, सहयोगियों से सहयोग की अपेक्षा करती है। हम आप सभी सहयोगियों, शुभचिन्तकों से अपील करते हैं कि वे अपनी ओर से अधिकतम सम्भव आर्थिक सहयोग भेजकर परिवर्तन के इस हथियार को मज़बूती प्रदान करें। सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग करने के लिए नीचे दिये गए Donate बटन पर क्लिक करें।