पाठक मंच
मैं कई वर्षों से ‘आह्वान’ का नियमित पाठक और सदस्य हूँ। मुझे लगता है कि आज के दौर में, जब छात्रों-युवाओं के एक बड़े हिस्से में व्यवस्था को लेकर गहरा असन्तोष और कुछ कर गुज़रने का जोश है, तब एक ऐसी पत्रिका की सख़्त ज़रूरत है जो उनके सामने घटनाओं का सही नज़रिये से विश्लेषण प्रस्तुत करे, ऊपरी सतह पर दिखने वाली बातों को भेदकर वैज्ञानिक दृष्टि से सच्चाइयों को समझने में मदद करे और साथ ही लड़ने के सही रास्तों के बारे में भी बताये। आह्वान के जितने भी अंक अब तक आये हैं, वे बेहद उपयोगी रहे हैं, लेकिन इसके अनियमित होने से से बहुत परेशानी होती है। आशा है कि आप इस ओर ध्यान देंगे।
अंकित, इलाहाबाद
‘आह्वान’ जनता के बीच उन विचारों को लेकर जा रही है जिन्हें ले जाने की हिम्मत कॉरपोरेट मीडिया में नहीं है। यह पत्रिका वैकल्पिक मीडिया के प्रयासों की एक अहम कड़ी है। इसके लेखों से युवाओं को विभिन्न चीज़ों को देखने और समझने का नज़रिया मिलता है। इसके लेख भाजपा और संघ परिवार की पोल खोलकर रख देते हैं कि आर्थिक संकट के समय पूँजीवाद किस तरह से फ़ासीवादी ताक़तों का इस्तेमाल कर रहा है। छात्रों-युवाओं और व्यापक मेहनतकश जनता को मुक्तिकामी विचारों की बेहद ज़रूरत है। मैं अपने तौर पर आह्वान पत्रिका को और लोगों तक पहुँचाने का भरसक प्रयास करूँगा। साथ ही मुझे लगता है आह्वान पत्रिका की नियमितता बरकरार नहीं रह पा रही है। इस चीज़ पर भी ध्यान दिया जाये।
प्रवीन, गाँव-चौशाला, कैथल (हरियाणा)
‘आह्वान’ मौजूदा दौर की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक गतिविधियों के वास्तविक रूप को जानने में मदद करने वाली महत्वपूर्ण पत्रिका है। व्यावसायिक मीडिया में वही जानकारी दी जाती है जो पूँजीपतियों और उनकी पार्टियों के मुताबिक़ हमारी सोच को संचालित करने में मददगार हो। आज का मीडिया राजनेताओं और पूँजीपतियों के हाथों की कठपुतली बनकर रह गया है। जनता के दुःख-दर्द से उसे कोई सरोकार नहीं रह गया है।
रिज़वान अख़्तर, नई दिल्ली
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