दिल्ली आंगनवाड़ी की महिलाओं की हड़ताल जारी है !

जून महीने की 27 तारीख से दिल्ली की आंगनवाड़ी की महिलाएँ अपनी यूनियन ‘दिल्ली स्टेट आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन’ के नेतृत्व में हड़ताल पर हैं। समाचार लिखे जाने तक उनका धरना और क्रमिक भूख हड़ताल मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के आवास पर जारी है, लेकिन अपने को ‘आम आदमी’ कहने वाली केजरीवाल सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। हड़ताल में हजारों की संख्या में वर्कर्स और हेल्पर्स शामिल हो रहे हैं।

हड़ताल की पूर्वपीठिका

2015 में हड़ताल जीतने के बाद मुख्यमंत्री केजरीवाल ने स्वयं एक लिखित समझौता किया था जिसमें उन्होंने हमारी सारी मांगों को कबूल किया था। लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी अभी तक सरकार ने हमारी मुख्य मांगों को लागू नहीं किया । पिछले दो सालों से महिलाओं ने यूनियन के साथ कभी दिल्ली सचिवालय में तो कभी केजरीवाल के आवास पर प्रदर्शन किया । लेकिन जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने फैसला लिया कि आने वाले नगर निगम के चुनाव में आंगनवाड़ी की महिलाये ‘आम आदमी पार्टी‘ का पूर्ण बहिष्कार करेंगी। आम आदमी पार्टी का नगर निगम चुनाव में बुरी तरह से हारने का एक बड़ा कारण आंगनवाड़ी की वर्कर्स और हेल्पर्स के द्वारा किया गया बहिष्कार भी था । चुनाव के बाद हार से बौखलाई केजरीवाल सरकार ने आंगनवाड़ी की गरीब महिलाओं से बदला निकालना शुरू कर दिया ।

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जिसके पास शिक्षा और महिला बाल विकास विभाग भी है ,ने दिल्ली के खस्ताहाल पड़े सरकारी स्कूलों का कभी निरीक्षण नहीं किया लेकिन अलग अलग आंगनवाड़ी में जा कर निरीक्षण करना शुरू कर दिया। आंगनवाड़ी के खस्ता हालत जैसेकि खाना ख़राब आना, बच्चों का न आना , रजिस्टर में फर्जी एंट्री होना, इत्यादि के लिए गरीब कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को जिम्मेदार पाया और तीन कार्यकर्ताओं को ‘टर्मिनेट’ करने का फरमान सुनाया दिया। जबकि आंगनवाड़ी में खाने में गड़बड़ी के लिए वे एनजीओ जिम्मेदार हैं जिन्हें वहां के खाने का टेंडर मिलता है। पिछले दिनों एक अंग्रेजी दैनिक ‘इंडियन एक्सप्रेस ‘ में एक खबर छपी थी की जिन एनजीओ को दिल्ली के सरकारी स्कूलों में मध्यांतर भोजन के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया गया था वे एनजीओ अब भी आंगनवाड़ी में खाना देने का काम कर रहें हैं। और इन एनजीओ का रिश्ता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर ‘आम आदमी पार्टी’ से जुड़े एनजीओ ‘कबीर’ और ‘परिवर्तन’ से है ! जाहिर है कि अपने ही लोगों द्वारा किये गये घपले-घोटालों के लिए मनीष सिसोदिया आंगनवाड़ी की गरीब महिलाओं को जिम्मेदार ठहरा रहा है और उन्हें दिल्ली की जनता के सामने बदनाम भी कर रहा है।  दूसरी ओर सुपरवाइजर और सीडीपीओ इन महिलाओं पर दबाव डाल कर रजिस्टर में फर्जी नाम डलवाती हैं, लेकिन किसी सुपरवाइजर या सीडीपीओ पर आज तक किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं हुई है । सरकार एक तरफ आंगनवाड़ी को जानबूझ कर ख़राब कर रही है और दूसरी तरफ प्लेस्कूलों (यहाँ भी अपने ही लोगों को ) को लाइसेंस दे रही है और मनीष सिसोदिया इन सब का जिम्मेदार आंगनवाड़ी की गरीब वर्कर्स और हेल्पर्स को ठहरा रहा है । ये इनका असली चरित्र है ।

सरकार की इस बदले की कार्रवाई की वजह से आंगनवाड़ी की महिलाओं में जबर्दस्त गुस्सा भरा हुआ था। और वे आन्दोलन की राह पर चलने का मन बना रही थी ।

10 जून को ‘दिल्ली स्टेट आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन’ ने आगे की योजना के लिए एक बैठक बुलाई और फैसला लिया कि आगामी 24 जून को दिल्ली सचिवालय पर 1 दिन का चेतावनी प्रदर्शन किया जायेगा । 24 जून को करीब हज़ार की संख्या में महिलाएँ दिल्ली सचिवालय पहुंची। भारी संख्या में महिलाओं को देख कर सरकार घबरा गई और मनीष सिसोदिया के ओएसडी ने प्रतिनिधि मंडल को बातचीत के लिए बुलाया।  ओएसडी  ने यूनियन को 27 जून को मनीष सिसोदिया से बातचीत का निमंत्रण दिया।

हड़ताल की शुरुआत

27 जून को जब  भारी संख्या में महिलाएँ मनीष सिसोदिया के बंगले (हालाँकि ये आम आदमी है और चुनाव से पहले इन्हें बंगले, गाड़ी, सुरक्षा आदि नहीं चाहिए थी) पर पहुंची तो पहले पुलिस ने बैरीकेड लगा दिया और अन्दर आने से ही मना कर दिया। लेकिन जब महिलाओं का दबाव बढता गया तो पाँच महिलाओं को यूनियन की संचालक शिवानी के साथ बात करने के लिए अन्दर जाने दिया गया। लेकिन सिसोदिया बात करने से ज्यादा महिलाओं को डराने के मूड में था। जब उसे मालूम चला कि महिलाओं के साथ यूनियन की साथी शिवानी भी आई हैं तो उसने बात करने से ही मना कर दिया। साफ़ है की ये सिसोदिया का गैरजनवादी और असंवैधानिक रवैया था।

मनीष सिसोदिया की इस दगाबाजी से महिलाओं का रोष और बढ़ गया और अब ये केजरीवाल और सिसोदिया से आर-पार की लड़ाई के लिए तैयार थीं। और तब यूनियन ने 30 जून को दिल्ली सचिवालय पर विराट जुटान का आह्वान किया।

30 जून को होने वाले प्रदर्शन को लेकर केजरीवाल सरकार में जबर्दस्त खलबली मची हुई थी। तरह तरह की दलाल यूनियन, धार्मिक कट्टरवादी संगठन व आम आदमी पार्टी के पिछलग्गुओं ने प्रदर्शन को समर्थन देने के बहाने आन्दोलन को ख़त्म करने की कोशिश की। लेकिन यूनियन ने इस तरह के किसी भी संगठन का समर्थन लेने से साफ़ इनकार कर दिया। 30 जून को लगभग दस हज़ार की भारी संख्या में महिलाओं ने प्रदर्शन में हिस्सेदारी की। ऐसा लग रहा था जैसे कोई जनसैलाब उमड़ गया हो । प्रदर्शन में यूनियन ने यह फैसला किया कि मुख्यमंत्री स्वंय आकर हमसे मिलकर हमारी सारी मांगों को पूरा करें वर्ना हम यहीं डटे रहेंगे और रिंग रोड जाम करेंगे। लेकिन जब मुख्यमंत्री या सरकार का कोई प्रतिनिधि मिलने को तैयार नहीं हुआ तो महिलाओं ने रिंग रोड को चार घंटे तक जाम रखा।  उसके बाद यूनियन ने आम सहमति से यह फैसला लिया कि आगामी तीन जुलाई से मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के बंगले पर अनिश्चितकालीन हड़ताल की जायेगी । तब से उनकी हड़ताल जारी है और 6 जुलाई से वे क्रमिक भूख हड़ताल पर हैं।

हड़ताल तोड़ने के लिए दलाल यूनियन केजरीवाल के साथ!

जब आंगनवाडी की महिलाओं की यह जुझारू हड़ताल पूरी दिल्ली में फैल गई और लगभग सभी आंगनवाडियों में काम पूरी तरह ठप्प हो गया तब से तरह तरह के बिचौलिये, दलाल और मजदूरों के साथ गद्दारी करने का रिकॉर्ड बना चुके दलाल यूनियनें अपने काम में लग गयीं और केजरीवाल का साथ देने लगी।

इन दलाल यूनियन में सबसे अग्रणी नाम सीटू की कमला वाली यूनियन का है। सीटू, जिनका इतिहास मजदूरों के साथ गद्दारी का है, बंगाल से लेकर केरल तक जिनकी माता चुनावी पार्टी मजदूरों पर गोलिया बरसा चुकी है, जो गुंडों से पिटवाने और मालिकों का खुल्ला साथ देने के लिए बदनाम है वह भला दिल्ली में आंगनवाड़ी की महिलाओं से गद्दारी करने और उनकी हड़ताल तुडवाने में पीछे कैसे रह सकती थी! कमला जो पहले भी 2015 में हड़ताल तुडवाने के लिए आई थी लेकिन महिलाओं ने उसे भगा दिया था, अब वह तरह-तरह की चालों के जरिए यह काम करने लगी। पहले वह यूनियन को समर्थन देने के बहाने हड़ताल में घुसने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसकी  यह चाल जब कामयाब नहीं हुई तो वह यूनियन के साथियों के खिलाफ कुत्सा-प्रचार करने में जुट गई। इस से भी जब काम नहीं बना तो कमला और सीटू ने अपना नाम बदल कर ‘स्वतंत्र आंगनवाड़ी कर्मचारी और सहायिका संघ’ के नाम से पर्चा निकाला और महिलाओं में भ्रम फैलाने का काम किया और 10 जुलाई को मनीष सिसोदिया के आवास को घेरने का आह्वान किया ।जबकि यूनियन पहले ही मनीष सिसोदिया से उसके घर पर मुलाकात करने गई थी पर वहां बात न बन पाने के कारण ही हड़ताल का निर्णय लिया गया था।  जाहिर है कि कमला की यह चाल हड़ताल तोड़ने की ही थी ।

लेकिन कमला और सीटू की गद्दारी का पर्दाफ़ाश आंगनवाड़ी की महिलाओं ने दमदार तरीके से किया। सिसोदिया के घर पर कमला अपनी 3 चमचियों के साथ ही पहुंची और उसका प्रदर्शन पूरी तरह से ‘फ्लॉप शो’ साबित हुआ।

दूसरा एक दलाल रामकरण है जिसने 2015 में ही आंगनवाड़ी के साथ शुरू हुए आशा वर्कर्स के आन्दोलन को डुबाने का काम किया था।  इस हड़ताल की शुरूआत में रामकरण खुल कर केजरीवाल सरकार और आम आदमी पार्टी की पैरवी कर रहा था और महिलाओं के सामने बड़ी बड़ी डींगे हांक रहा था कि अगर वे ‘दिल्ली स्टेट आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन’ को छोड़ कर उसके साथ आ जाएँ तो वह उनका केजरीवाल के साथ समझौता करवा देगा और सारी माँगे मनवा देगा। अब वह यह झूठ फैला रहा है कि शिवानी की वजह से ही माँगे पूरी नहीं हो रही हैं । रामकरण जिसने आशा वर्कर्स के साथ गद्दारी की और अब वही काम वह आंगनवाड़ी की महिलाओं के साथ करने की कोशिश कर रहा था लेकिन महिलाओं ने उसे माकूल जबाब दिया ।

सोचने वाली बात तो यह है कि एक तरफ केजरीवाल और सिसोदिया हमारी यूनियन से बात करने को तैयार नहीं होतें हैं जिनके साथ आंगनवाड़ी की महिलाएँ हैं लेकिन उन सारी दलाल यूनियनों से बात करने को राज़ी है जिनके साथ कोई नहीं है । ऊपर से यह “केजरीवाल और सिसोदिया गैंग” झूठी अफवाहें फैलाने में माहिर है। हद तो तब हो गई जब सिसोदिया ने एक फर्जी यूनियन ‘दिल्ली आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स एसोसिएशन’, जिसमे सुपरवाइजर और सीडीपीओ शामिल थे, के साथ मिल कर ‘मानदेय बढाने की‘ और हड़ताल ख़त्म होने की घोषणा भी कर दी। इसी से इस दोमुंही केजरीवाल सरकार और आम आदमी पार्टी के चरित्र का पता चलता है ।

केन्द्र में भाजपा की फासीवादी मोदी सरकार तो खुल्ले तौर पर मजदूरों की विरोधी है ही लेकिन दिल्ली का ये नटवरलाल जो कि छोटे बनिये-व्यापारी का प्रतिनिधित्व करता है किसी भी मायने में मोदी से कम नहीं है! जिन तथाकथित ‘लिबरल जन’ का भरोसा इस नटवरलाल पर है और जो इसे मोदी का विकल्प समझ रहे हैं उन्हें भी अब अपनी आँखे खोल लेनी चाहिए। सरकार और दलाल यूनियनों के सारे कोशिशों के बाबजूद आंगनवाड़ी की महिलाएँ अपनी यूनियन ‘दिल्ली स्टेट आंगनवाड़ी वर्कर्स एंड हेल्पर्स यूनियन’ के नेतृत्व में शानदार तरीके से अपने हड़ताल को चला रही है और अपने एकता के दम पर जरुर दिल्ली सरकार को झुकाएँगी!

मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान,जुलाई-अगस्‍त 2017

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