जो दिन अभी आये नहीं

शशिप्रकाश (2 जनवरी 1997)

एक दिन

लोग इन दिनों के बारे में बातें करेंगे

कि कविता तब गाढ़े साँवले अँधेरे में

आकुल तन्द्रा के समान थी

या चुपचाप बहते रक्त के समान।

कि सपने तब तिरते थे ज्यों

रक्त की नदी में डगमग एक डोंगी।

और फिर वे दिन आये

कि कविताओं में

पत्थरों पर जमी हरी काई की

ज़ि‍द्दी जिजीविषा हुआ करती थी,

फेफड़ों की आखि़री ताक़त झोंककर

पफ़ैसले के मुक़ाम की ओर भागते

घोड़े के गर्म-गतिमान शरीर से

उठती गन्ध हुआ करती थी।

एक दिन लोग

कविता में

उन दिनों की बातें भूतकाल में करेंगे

जो अभी आये नहीं।

 

मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, मई-जून 2012

 

'आह्वान' की सदस्‍यता लें!

 

ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीआर्डर के लिए पताः बी-100, मुकुन्द विहार, करावल नगर, दिल्ली बैंक खाते का विवरणः प्रति – muktikami chhatron ka aahwan Bank of Baroda, Badli New Delhi Saving Account 21360100010629 IFSC Code: BARB0TRDBAD

आर्थिक सहयोग भी करें!

 

दोस्तों, “आह्वान” सारे देश में चल रहे वैकल्पिक मीडिया के प्रयासों की एक कड़ी है। हम सत्ता प्रतिष्ठानों, फ़ण्डिंग एजेंसियों, पूँजीवादी घरानों एवं चुनावी राजनीतिक दलों से किसी भी रूप में आर्थिक सहयोग लेना घोर अनर्थकारी मानते हैं। हमारी दृढ़ मान्यता है कि जनता का वैकल्पिक मीडिया सिर्फ जन संसाधनों के बूते खड़ा किया जाना चाहिए। एक लम्बे समय से बिना किसी किस्म का समझौता किये “आह्वान” सतत प्रचारित-प्रकाशित हो रही है। आपको मालूम हो कि विगत कई अंकों से पत्रिका आर्थिक संकट का सामना कर रही है। ऐसे में “आह्वान” अपने तमाम पाठकों, सहयोगियों से सहयोग की अपेक्षा करती है। हम आप सभी सहयोगियों, शुभचिन्तकों से अपील करते हैं कि वे अपनी ओर से अधिकतम सम्भव आर्थिक सहयोग भेजकर परिवर्तन के इस हथियार को मज़बूती प्रदान करें। सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग करने के लिए नीचे दिये गए Donate बटन पर क्लिक करें।