भगतसिंह जनअधिकार यात्रा, महाराष्ट्र का पहला राज्य सम्मेलन पुणे में सम्पन्न

– बेरो़जगारी, ग़रीबी, महँगाई, भ्रष्टाचार, साम्प्रदायिकता के ख़िलाफ़ लड़ाई तेज़ करने का संकल्प
– शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार को मौलिक अधिकार घोषित करने, भगतसिंह राष्ट्रीय रोजगार गारण्टी क़ानून पारित करने, ठेका प्रथा, अप्रत्यक्ष करों को समाप्त करने, धार्मिक घृणा भड़काने वाले संगठनों का बहिष्कार करने और शिक्षा के साम्प्रदायीकरण के ख़िलाफ़ प्रस्ताव पारित किये गये
– जातीय-धार्मिक तनाव फैलाने वाले सभी मीडिया चैनलों का बहिष्कार करने का संकल्प
भगतसिंह जनअधिकार यात्रा के प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद विभिन्न राज्यों में यात्रा के राज्य सम्मेलनों की शुरुआत हो चुकी है। 21 मई को भगतसिंह जनअधिकार यात्रा, महाराष्ट्र का राज्य सम्मेलन पुणे में आयोजित किया गया। सम्मेलन में राज्य भर से बड़ी संख्या में मज़दूर-मेहनतकश, युवा, छात्र, महिलाएँ, निर्माण मज़दूर, सफ़ाई कर्मी, ठेका मज़दूर शामिल हुए। कार्यक्रम का संचालन नौजवान भारत सभा, महाराष्ट्र के संयोजक रवि ने किया। अध्यक्षता अश्विनी, अविनाश, अभिजीत ने की।
स्त्री मुक्ति लीग, मुम्बई की कार्यकर्ता पूजा ने सम्मेलन की शुरुआत में अपना वक्तव्य देते हुए भगतसिंह जनअधिकार यात्रा के विस्तार और प्रकृति के बारे में बताया और यात्रा के दौरान अपने अनुभव साझा किये। उन्होंने कहा कि आज के दौर में जब आम मेहनतकश जनता की लूट बदस्तूर जारी है, उनके बुनियादी अधिकार छीने जा रहे हैं और विरोध की आवाज को सरकारें दबाने में जुटी हुई हैं, इस यात्रा ने आशा और संघर्ष का सन्देश और क्रान्तिकारियों की विरासत को जन-जन तक पहुँचाया। यात्रा के दौरान मिलने वाले छात्रों-युवाओं, मज़दूरों ने यात्रा के मुद्दों का समर्थन किया क्योंकि ये मुद्दे वास्तव में जनता के जीवन से जुड़े मुद्दे हैं। इस यात्रा के माध्यम से लोगों के जीवन से जुड़े बेरोज़गारी, महँगाई, भ्रष्टाचार, आर्थिक असमानता जैसे वास्तविक मुद्दों को लोगों तक पहुँचाया गया और उनमें जागरूकता पैदा की गयी और उन्हें जाति-धर्म की दीवारों से ऊपर उठकर इन मुद्दों के इर्द-गिर्द संगठित होने का आह्वान किया गया।
इसके बाद सभी ने दंगे, जातीय-धार्मिक तनाव फैलाने वाले सभी मीडिया चैनलों का बहिष्कार करने का संकल्प लिया।
भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी के निखिल ने सम्मेलन में देश में शिक्षा और रोज़गार की स्थिति पर विस्तार से बात रखी। उन्होंने कहा कि सरकार ने नयी शिक्षा नीति के माध्यम से निजीकरण की गति बढ़ा दी है। इस सरकार के लिए शिक्षा का उद्देश्य अच्छे नागरिक बनाना नहीं बल्कि शिक्षा को व्यवसाय बनाना है। आज शिक्षा का साम्प्रदायीकरण भी बड़े पैमाने पर हो रहा है, और डार्विन के विकासवाद के सिद्धान्त जैसी चीज़ों को बाहर करना यह दर्शाता है कि वैज्ञानिक और तर्कसंगत नागरिक पैदा करने वाली शिक्षा प्रदान करने के बजाय अवैज्ञानिकता, अतार्किकता फैलायी जा रही है। इतिहास को विकृत करके झूठा इतिहास पढ़ाया जा रहा है। आज देश में 32 करोड़ लोग बेरोज़गारी से जूझ रहे हैं और सरकार उन्हें पकौड़ा तलने की सलाह दे रही है। शिक्षा एवं रोज़गार हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है। हमारा संघर्ष शिक्षा और रोज़गार को मौलिक अधिकार बनवाने का है। सम्मेलन में अनेक कन्नड़ एवं तेलुगु भाषी श्रमिक भाई-बहन भी उपस्थित थे। मुम्बई में सवित्री-फ़ातिमा अध्ययन समूह चलाने वाली साथी ललिता ने तेलुगु में और साथी सुप्रीत ने कन्नड़ में अपने विचार व्यक्त किये। उन्होंने भगतसिंह जनअधिकार यात्रा की भूमिका को संक्षेप में सभी के समक्ष प्रस्तुत किया।
आरडब्ल्यूपीआई, मुम्बई शहर समन्वयक साथी बबन ने पूँजीपतियों, अमीरों, बिल्डरों और दलालों के लिए काम करने वाली इस राज्य शक्ति का असली चेहरा लोगों के सामने उजागर किया और आर्थिक असमानता और भ्रष्टाचार की वास्तविकता को सम्मेलन के सामने रखा। उन्होंने हिण्डनबर्ग, राफेल, पीएम केयर्स, नोटबन्दी, सेंट्रल विस्टा जैसी परियोजनाओं के पीछे के भ्रष्टाचार को उजागर करते हुए कहा कि काले धन वापस लाने और भ्रष्टाचार को मिटाने का दावा करने वाली मोदी सरकार ने माल्या-मोदी जैसे पूँजीपतियों को भागने में मदद की है! अप्रत्यक्ष कर, जीएसटी, पेट्रोल-डीजल पर टैक्स, उद्यमियों को छूट, वेतन में कमी आज की महँगाई के असली कारण हैं।
महाराष्ट्र बांधकाम कामगार यूनियन के अध्यक्ष साथी परमेश्वर ने देश भर में श्रमिकों की मजदूरी, काम के घण्टे, काम करने की स्थिति और रहने की स्थिति के बारे में विस्तार से बताया। अध्यक्षमण्डल के अभिजीत ने देश भर में पैदा हो रहे जातीय तनाव और हिन्दुत्व ताकतों की मानव विरोधी राजनीति की आलोचना की और कहा कि वे धर्म की राजनीति करके जनता को असली सवालों से भटकाने की साज़िश करते हैं। उन्होंने गोहत्या, लव जिहाद जैसे मुद्दों पर बीजेपी की दोतरफ़ा नीति का पर्दाफ़ाश करते हुए उसका असली चरित्र उजागर कर दिया। उन्होंने शहीद भगतसिंह के एक उद्धरण का हवाला देते हुए श्रमिकों के बीच वर्गीय एकता की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
अहमदनगर के साथी अविनाश ने यात्रा के अनुभव और माँगों के महत्व के बारे में बात की। समापन पर मुम्बई के साथी अविनाश ने प्रस्ताव प्रस्तुत किये, जिसे सम्मेलन में हाथ उठाकर पारित कर दिया गया।
कार्यक्रम के दौरान मुम्बई और पुणे की नौजवान भारत सभा की सांस्कृतिक टीम ने क्रान्तिकारी गीत प्रस्तुत किये. मुम्बई की टीम ने एक नाटक प्रस्तुत किया जिसमें पूँजीवादी राजनीतिक नेताओं और पूँजीपतियों के बीच सम्बन्धों का पर्दाफ़ाश किया गया। कार्यक्रम का समापन मार्च और नारेबाज़ी के साथ हुआ।

मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, सितम्बर-अक्टूबर 2023

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