भगतसिंह जनअधिकार यात्रा का प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन सम्पन्न
विगत 10 मई को भगतसिंह जनअधिकार यात्रा का प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन नयी दिल्ली में सम्पन्न हुआ। ग़ौरतलब है कि नौजवान भारत सभा, दिशा छात्र संगठन, बिगुल मज़दूर दस्ता और भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी की ओर से देश के 11 राज्यों में पिछले 12 मार्च से ही भगतसिंह जनअधिकार यात्रा चलायी जा रही है। यात्रा का पहला चरण 15 अप्रैल को समाप्त हुआ जिसके बाद 1857 के विद्रोह की वर्षगाँठ पर यात्रा का प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। सम्मेलन में दिल्ली उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश, राजस्थान आदि राज्यों से भारी संख्या में छात्रों-युवाओं और मेहनतकशों ने भागीदारी की।
सम्मेलन में मंच संचालन विशाल ने किया। अध्यक्ष मण्डल की ज़िम्मेदारी प्रसेन, जी. श्रीनिवास, अश्विनी, दीपक शर्मा, अविनाश ने निभायी। कार्यक्रम की शुरुआत अनुष्टुप द्वारा पेश गीत ‘मेरा रंग दे बसन्ती चोला’ के साथ हुई। इसके बाद संघर्षशील पहलवान खिलाड़ियों के प्रतिनिधिमण्डल की ओर से अर्जुन अवार्डी पहलवान सत्यव्रत कादयान और योग चैम्पियन मनदीप ने भगतसिंह जनअधिकार यात्रा के मंच से बात रखी। खिलाड़ियों की सभी माँगों का पूरे सदन ने पुरज़ोर समर्थन किया। आगे विभिन्न संगठनों के नेताओं ने सभा को सम्बोधित किया और यात्रा के दौरान के अपने अनुभव साझा किये। भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI) की ओर से शिवानी, प्रसेन, वारुणी ने बात रखी। बिगुल मज़दूर दस्ता की ओर से अभिनव ने सभा को सम्बोधित किया। नौजवान भारत सभा की ओर से अरविन्द, दिशा छात्र संगठन की ओर से अमित, अदारा दख़ल की ओर से अवतार, स्त्री मुक्ति लीग की ओर से पूजा ने यात्रा के अपने अनुभव साझा किये। इसके अलावा महाराष्ट्र से निखिल एकडे, तेलंगाना से सहजा और श्रीजा, आन्ध्र प्रदेश से बुरुगा श्रीनिवास और अरुणा ने भी सभा में अपनी बात रखी। सम्मेलन का समापन जुलूस के साथ किया गया।
यात्रा की प्रमुख माँगें इस प्रकार हैं –
• शिक्षा-रोज़गार-स्वास्थ्य और आवास मौलिक अधिकार घोषित हों। निजीकरण पर रोक लगे। भगतसिंह राष्ट्रीय रोज़गार गारण्टी क़ानून पारित करो, रोज़गार न दे पाने की सूरत में 10,000 रुपये प्रतिमाह बेरोज़गारी भत्ता दिया जाये। केन्द्र व राज्य सरकारों के सभी ख़ाली पद शीघ्र भरो। ‘अग्निवीर’ योजना को तत्काल रद्द कर सेना में पक्की भरती की व्यवस्था बहाल की जाये।
• सभी श्रम क़ानूनों को सख़्ती से लागू करो, प्रस्तावित चार ‘लेबर कोड्स’ रद्द करो। ग्रामीण मज़दूरों को भी श्रम क़ानूनों के अन्तर्गत लाया जाये। ‘पुरानी पेंशन स्कीम’ बहाल करो। ठेकेदारी प्रथा ख़त्म कर नियमित प्रकृति के कामों पर पक्के रोज़गार का प्रबन्ध करो।
• महँगाई पर रोक लगाने के लिए सभी अप्रत्यक्ष करों को समाप्त किया जाये और बढ़ती सम्पत्ति के आधार पर प्रगतिशील प्रत्यक्ष करों की व्यवस्था को मज़बूती के साथ लागू किया जाये।
• मनरेगा योजना को सख़्ती से लागू किया जाये, इसके तहत पूरे साल का काम देने का प्रावधान किया जाये और इसके काम पर कम-से-कम न्यूनतम वेतन जितनी राशि प्रदान की जाये।
• ग़रीब और मँझोले किसानों के लिए बीज, खाद, बिजली, आदि पर सब्सिडी की समुचित व्यवस्था हेतु अमीर वर्गों पर विशेष कर लगाये जायें, सिंचाई की सरकारी व्यवस्था और संस्थागत ऋण का भी समुचित प्रबन्ध किया जाना चाहिए।
• “सर्वधर्म समभाव” की नकली धर्मनिरपेक्षता की जगह सच्चे धर्मनिरपेक्ष राज्य को सुनिश्चित करने के लिए क़ानून लाया जाये। किसी भी नेता या पार्टी द्वारा धर्म, समुदाय या आस्था का सार्वज़निक जीवन में किसी भी रूप में उल्लेख व इस्तेमाल करना दण्डनीय अपराध घोषित किया जाये।
• छुआछूत ही नहीं बल्कि हर प्रकार से जातिगत भेदभाव को संवैधानिक संशोधन करके दण्डनीय अपराध घोषित किया जाये।
• चुनावी दलों व सरकार द्वारा किये जाने वाले भ्रष्टाचार पर रोक लगे और इनके पब्लिक ऑडिट व जाँच की व्यवस्था की जाये।
• स्त्रियों के साथ सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक भेदभाव के हर रूप को समाप्त करो, इसके लिए सख़्त क़ानून लाये जायें।
• धार्मिक व जातिगत वैमनस्य भड़काने वाले तथा साम्प्रदायिक हिंसा व मॉब लिंचिंग में सक्रिय हर प्रकार के संगठनों और दलों पर तत्काल प्रतिबन्ध लगाकर इन्हें आतंकवादी घोषित किया जाये और इनके नेताओं व गुर्गों पर तत्काल कठोर कार्रवाई की जाये।
'आह्वान' की सदस्यता लें!
आर्थिक सहयोग भी करें!