आह्वान सराहनीय कार्य कर रहा है…
इस बार भी आह्वान में काफ़ी महत्वपूर्ण व ज़रूरी विषयों पर लेख आए थे। पढ़कर अच्छा लगा। कई लेख तो बेहतरीन व दिमाग की खिड़कियाँ खोलने वाले थे। पूँजीवाद के मौजूदा संकट तथा जनता के प्रतिरोध पर आया सम्पादकीय पूरे विश्व में उठे प्रतिरोध को एक सूत्र में पिरोकर सही व्याख्या करता है तथा इस बात को भी इंगित करता है कि महज़ पूँजीवाद का विरोध ही पर्याप्त नहीं है बल्कि सचेतन तौर पर विकल्प प्रस्तुत करने की भी ज़रूरत है।
इसके अलावा अरब जनउभार तथा चिली के छात्रों के संघर्ष के बारे में आए लेख बेहद विचारोत्तेजक थे। लिखने वाले साथी धन्यवाद के पात्र हैं। आज के समय में जब मीडिया के माध्यमों से विश्व के पैमाने के जनता के संघर्ष ग़ायब नज़र आते हैं, ऐसे में आह्वान सराहनीय काम कर रहा है।
क्रान्तिकारी अभिवादन के साथ
सुरेन्द्र चौहान, साउथ दिल्ली
युवाओं को बेबाक सच्चाई से अवगत कराता है आह्वान…
पिछले दिनों रेल में सफ़र के दौरान कुछ नौजवान मिले जो अलग ही अन्दाज़ में एक क्रान्तिकारी प्रचार अभियान चला रहे थे। उन्हीं से मुझे आपकी यह पत्रिका मिली। इसने मेरे कई पूर्वाग्रहों को ख़त्म करने का काम किया है। अन्ना हज़ारे की मुहिम की राजनीतिक आलोचना आपने इतने बेबाक तथा इतने सटीक ढंग से की है कि इसने भ्रष्टाचार की समस्या के प्रति मेरे नज़रीये को प्रभावित किया है। मुझे भी काफ़ी हद तक लगा कि नए प्रकार के नौकरशाह, नौकरशाही के भ्रष्टाचार को खत्म नहीं कर सकते। मैंने पत्रिका के बारे में अपने मित्रों से भी चर्चा की। उन्होंने भी इसे काफ़ी सराहा। कश्मीर व अमेरिकी ऋण संकट पर आए लेख भी महत्वपूर्ण थे। आप लोगों का प्रयास सराहनीय है, आज युवाओं को ऐसे ही बेबाक ढंग से सच्चाई से अवगत कराने की जरूरत है। आपके प्रयास में मेरी जहाँ तक भागीदारी बन पड़ेगी। आपको पूरा सहयोग देने को तैयार हूँ, फिलहाल सदस्यता राशि भेज रही हूँ, मित्रों से भी इसके बारे में बात करूँगी। मैं आह्वान की नियमित पाठक तो नहीं हूँ, तो क्या मुझे भी पुराने अंको का सेट मिल सकता है।
स्नेहलता, पूणे, महाराष्ट्र
प्रथम पाठक सम्मेलन की सफलता पर बधाई!
प्रिय साथी,
आह्वान के पिछले अंक में प्रथम पाठक सम्मेलन की रपट पढ़ी। अफसोस हुआ कि मैं उसमें शामिल न हो सका। पूरी आशा है कि आगे इस प्रकार के किसी भी सम्मेलन में अवश्य हिस्सा ले पाऊँगा। क्या मुझे सम्मेलन में पेश किये गये पेपरों का एक सेट प्राप्त हो सकता है? यदि हाँ, तो मुझे अवश्य बताएँ। आह्वान का पिछला अंक बहुत पसन्द आया। विशेष तौर पर, ‘वॉल स्ट्रीट कब्ज़ा करो’ आन्दोलन का आलोचनात्मक विवेचन सन्तुलित, सुसंगत और सम्पूर्ण था। सम्पादक मण्डल धन्यवाद का पात्र है। पत्रिका की नियमितता बनने से प्रभाविता बढ़ी है।
अजीत, ग़ाजियाबाद
मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, नवम्बर-दिसम्बर 2011
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