गोरखपुर में दस दिन का अभियान
भगतसिंह के जन्मशताब्दी वर्ष के अवसर पर गोरखपुर में दिशा छात्र संगठन और नौजवान भारत सभा की ओर से 4 से 13 सितम्बर तक दस दिवसीय अभियान के तहत शहर के विभिन्न स्थानों पर एक दर्जन से अधिक संकल्प सभाएँ की गयीं।
आजाद चैक, बिछिया पीएसी कैम्प, मेडिकल कॉलेज गेट, सूर्य विहार चैक, शाहपुर, कूड़ाघाट, दाउदपुर, सेण्ट एण्ड्रयूज कॉलेज गेट, गोरखपुर विश्वविद्यालय आदि में हुई इन सभाओं में बड़ी संख्या में छात्रों–नौजवानों और मेहनतक़श लोगों ने हिस्सेदारी की। वक्ताओं ने लोगों को भगतसिंह के सन्देश की याद दिलाते हुए कहा कि आजादी के बाद की आधी सदी के दौरान विकास का जो रास्ता चुना गया उसने भगतसिंह की एक–एक बात को सच साबित किया है। जनता की मेहनत को लूटकर मुट्ठी भर मुनाफाखोरों और परवीजी जमातों के ऐशो–आराम का इंतजाम किया गया है और देश को देशी–विदेशी लुटेरों का चरागाह बना दिया गया है। भगतसिंह का जन्मशताब्दी वर्ष हमें याद दिला रहा है इस जालिम हुकूमत को उखाड़ फेंकने के लिए संघर्ष की तैयारी में अब एक दिन भी देर नहीं करनी चाहिए।
इस दौरान मुहल्लों में प्रभात फेरियाँ निकाली गयीं और सड़कों–चैराहों तथा कार्यालयों में व्यापक पर्चा–वितरण किया गया। दस दिन के अभियान का समापन विश्वविद्यालय गेट पर संकल्प सभा के साथ हुआ।
विचारगोष्ठी का आयोजन
स्मृति संकल्प यात्रा के तहत 15 सितम्बर को गोरखपुर विश्वविद्यालय के संवाद भवन में दिशा की ओर से एक विचारगोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी का विषय था ‘आज का समय, युवा और भविष्य का रास्ता’। गोष्ठी के मुख्य वक्ता स्मृति संकल्प यात्रा के संयोजक अरविन्द सिंह ने कहा कि आज बाजार की शक्तियों ने नौजवानों के भविष्य का रास्ता रोक रखा है। इस अवरोध को हटाए बिना और एक नये समाज का निर्माण किये बिना नौजवान भविष्य की राह पर आगे नहीं बढ़ सकते। उन्होंने कहा कि नौजवानों को एक नयी क्रान्ति का सन्देश लेकर मेहनतकशों के बीच जाना होगा और उन्हें क्रान्तिकारी जनसंगठनों में संगठित करते हुए एक व्यापक और लम्बी लड़ाई की तैयारी करनी होगी। इस वक्तव्य के बाद बड़ी संख्या में मौजूद छात्रों–युवाओं के बीच से बहुत से सवाल आये जिनमें ज़्यादातर इस बारे में थे कि भगतसिंह के सपनों का भारत कैसा होगा और उनकी राह पर आगे बढ़ने का आज क्या अर्थ है।
गोष्ठी के अध्यक्ष मण्डल में सुप्रसिद्ध कवयित्री तथा सामाजिक कार्यकर्ता कात्यायनी और वरिष्ठ कहानीकार मदनमोहन शामिल थे। कात्यायनी ने आज के समय की चर्चा करते हुए कहा कि आज देशी–विदेशी पूँजी का गठबन्धन जनता को लूट रहा है। भगतसिंह के समय के साम्राज्यवाद और आज के साम्राज्यवाद के फर्क की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि लुटेरों के तौर–तरीकों में बदलाव आये हैं और भूमण्डलीकरण के दौर में जनता को लूटने, बाँटने और भ्रमित करने के नये–नये तरीके ईजाद किये जा रहे हैं। क्रान्तिकारी शक्तियों को भी अपनी विरासत और जनता की सृजनात्मकता से सीखते हुए लड़ाई के नये हथियार गढ़ने होंगे। उन्होंने कहा कि इतिहास के रथ को आगे ले जाने की जिम्मेदारी आज फिर नौजवानों के कन्धों पर है। नौजवान इस जिम्मेदारी से मुँह नहीं चुरा सकते।
आह्वान कैम्पस टाइम्स, जुलाई-सितम्बर 2006
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