साम्राज्यवादी लुटेरे युद्धों का खामियाज़ा भुगत रहे आम लोग
नमिता
साम्राज्यवाद के युग में कच्चे माल, सस्ते श्रम और बाज़ार पर कब्ज़े के लिए सभी साम्राज्यवादी मुल्कों के बीच होड़ चलती रहती है जो अवश्यम्भावी रूप से युद्ध को जन्म देती है। युद्ध का सहारा साम्राज्यवादी इसलिए भी लेता है ताकि अति-उत्पादन से पैदा हुए आर्थिक संकट से भी निजात मिल सके। क्योंकि उत्पादक शक्तियों की तबाही पूँजीवाद के अति-उत्पादन के संकट के लिए संजीवनी का काम करती है। साम्राज्यवादी ताकतों की यही घृणित राजनीति वर्षों से मध्यपूर्व में हज़ारों-हज़ार लोगों की जान ले चुकी है, लाखों ज़िन्दगी तबाह कर चुकी है और उन्हें उनके जगह ज़मीन से उजाड़कर दर-दर भटकने को मजबूर कर चुकी है। यह प्रक्रिया अभी तक जारी है।
दुनिया को जनतंत्र और मानवता का पाठ पढ़ाने वाला अमरिका सीरिया में भी वही युद्ध-अपराध दोहरा रहा है जो उसने 1990 में इराक में किया था, जिसमें पाँच लाख बच्चे सिर्फ भूख से मर गए थे। एक रिपोर्ट के अनुसार इराक़ पर लगे प्रतिबंधों की वजह से 5,76,000 बच्चे मर गए थे। इज़राइल की हिफ़ा यूनिवर्सिटी के इराक़ मामलों के विशेषज्ञ अमितज़्यार बरम के अनुसार 1991 से 1997 के बीच 5 लाख इराक़ी कुपोषण, बचाव योग्य बीमारियों, दवाओं की कमी और प्रतिबन्धों की वजह से पैदा हुए अन्य कारणों के कारण मारे गए थे। इनमें से अधिकतर बूढ़े और बच्चे थे।
यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार उस दौरान इराक़ की 2 करोड़ 30 लाख की आबादी में से 10 लाख लोग मारे गए थे। सयुंक्त राष्ट्र संघ की इजाज़त के बिना इराक़ किसी चीज़ का आयात नहीं कर सकता था। वहाँ कोई निवेश नहीं हो सकता था। इराक़ के अन्दर पैसे का लेन-देन प्रतिबन्धित कर दिया गया, जिससे इराक़ की पूरी अर्थव्यवस्था बर्बाद हो गयी। वही अपराध अब अमेरिका द्वारा सीरिया में शुरू हो गया है जिसमें 5 लाख बच्चों को भूखा मारकर उनकी हत्या कर दी गयी।
सीरिया में लगातार हवाई हमले, खतरनाक गैसों, क्रूज़ मिसाइलों, प्रीसिजन गाइडेड बमों की वर्षा के कारण अमेरिका यह बताता है कि सीरिया से आतंकवाद को ख़त्म करना है, बेगुनाहों की रक्षा करनी है । अमेरिका ने यह दावा किया कि सीरिया की बशर अल-असद सरकार ने गृहयुद्ध में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया जबकि सच्चाई यह थी कि रासायनिक हथियारों का प्रयोग सीरिया के विद्रोहियों ने किया था, जिसे अमेरिका तथा दूसरे साम्राज्यवादी देश सैन्य और वित्तीय मदद दे रहे थे।
मीडिया द्वारा लगातार लोगों में यह भ्रम फैलाने की कोशिश की जाती है कि दुनिया के लोगों की रक्षा के लिए अमेरिका इस्लामी आतंकवादियों से लड़ रहा है। गौरतलब है कि अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा तेल आयातक देश है। यहाँ पूरे विश्व की तेल आपूर्ति का लगभग 25 फीसदी तेल खपत होता है। इसीलिए उसकी निगाह मध्यपूर्व के तेल भण्डार पर लगी रहती है। पश्चिमी एशिया के कई तेल उत्पादक देशों को इसने अपनी जेब में क़ैद कर रखा है । कुवैत पर भी इसकी चौकीदारी है। अब इसकी नज़र ईरान के तेल भण्डार पर है, क्योंकि ईरान ने अपना स्वतंत्र तेल बाज़ार बना लिया है, जिसमें वह डालर के अलावा अन्य मुद्राओं में भी व्यापार करता है । इसने अमेरिकी डालर को ज़बरदस्त चुनौती दी है, इसीलिए अमेरिका ईरान पर हमला करने की तैयारी में है। लेकिन सीरिया, जो कि ईरान को सैन्य, आर्थिक और सामरिक रूप में सहयोग करता रहा है, वह अमेरिका के राह का रोड़ा बन गया है। अमेरिका का तात्कालिक मकसद सीरिया में आई.एस. (इस्लामिक स्टेट) का भय दिखाकर असद सरकार का तख्ता पलटना और ईरान को घेरना, जिसमें वह कामयाब नहीं हो पा रहा है। यही वजह है कि वह लगातार बम वर्षा, हवाई हमले करके आम सीरियाई लोगों की ज़िन्दगियों उजाड़ रहा है। कई वर्षों से लगातार युद्ध के साये में जीने वाले मध्यपूर्व के लोग लगातार मानसिक परेशानी से घिरे रहते हैं। हर वक़्त मारे जाने का डर सताता रहता है। लोग अपने बच्चों को स्कूल भेजने में, यहाँ तक कि अस्पताल भेजने में भी डरते हैं, क्योंकि आतंकवादियों के छिपे होने की आड़ लेकर साम्राज्यवादी स्कूलों तथा अस्पतालों पर भी हवाई हमले करते हैं। इसमें सबसे ज़्यादा बुजुर्ग और बच्चे प्रभावित होते हैं ।
सभी साम्राज्यवादी-पूँजीवादी हुक्मरान मानवता के दुश्मन और अपराधी हैं । साम्राज्यवाद का मतलब ही युद्ध है। साम्राज्यवाद का मतलब एकाधिकारी पूँजीपति घरानों द्वारा पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था और वहाँ की जनता को अपने पैरों तले रखना है। साम्राज्यवाद-पूँजीवाद वह परजीवी लुटेरा है जो कम्प्यूटर के एक बटन को दबाकर किसी देश की पूरी अर्थव्यवस्था को तबाह कर सकता है और लाखों लोगों की ज़िन्दगी बर्बाद कर सकता है । यह मानवता को भयंकर तबाही-बर्बादी के दहाने में झोंक देने की क्षमता रखता है ।
लेकिन जनता यह सब चुपचाप बर्दाश्त नहीं करेगी। मध्यपूर्व की जनता में साम्राज्यवादियों और अपने देश की सरकारों के प्रति गहरी नफरत सुलग रही है। वह मानवता के दुश्मन पूँजीपति, साम्राज्यवादी अपराधियों को एक दिन सज़ा जरूर सुनायेगी।
मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान,जनवरी-फरवरी 2018
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