कवि का दायित्व
पाब्लो नेरुदा (चिले के महान कवि)
(अनुवाद: कुमार अंबुज)
उसके लिये जो कोई भी इस शुक्रवार की सुबह
समुद्र को नहीं सुन रहा है, उसके लिये जो भी घर या दफ्तर के
दड़बे में कैद है, कारखाने या स्त्री में
या गली या खदान में या सख्त जेल की कोठरी में:
उसके लिये मैं आता हूँ, और, बिना कुछ कहे या देखे,
मैं पहुँचता हूँ और खोलता हूँ उसके कैदखाने के दरवाज़े,
और शुरू होता है एक कम्पन, अनिश्चित और जिद्दी,
शुरू होता है बिजली का कड़कना
ग्रह की गड़गड़ाहट और उसका झाग,
समुद्री बाढ़ से गरजती नदियाँ,
तारा अपने परिमंडल में डोलता है तेजी से,
और समुद्र पछाड़ें खाता है, नि:शेष होता हुआ और लगातार।
इस तरह, अपनी नियति से खिंचा आया हूँ,
मुझे निरंतर सुनना होगा समुद्र का विलाप
और उसे रखना होगा अपनी चेतना में,
मुझे महसूस करनी होगी कठोर पानी की गरज
और उसे भर लेना होगा एक अनश्वर प्याले में
ताकि, जहाँ भी जो कैदखाने में हैं,
जहाँ कहीं वे पतझड़ की सजा भुगतते हैं,
मैं वहाँ हो सकूँ बिगड़ैल लहर पर सवार होकर,
मैं हिला-डुला सकूँ, खिड़कियों से आरपार गुजरते,
और मुझे सुनते हुए, आँखें ऊपर निगाह फेंकेंगी
कहते हुए ‘मैं किस तरह पहुँच सकता हूँ समुद्र तक’?
और मैं प्रसारित करूँगा, बिना कुछ कहे,
लहर की तारों भरी प्रतिध्वनियाँ,
फेन और रेतीले दलदल का टूटना,
नमक के सिमटने की सरसराहट,
समुद्र तट पर समुद्री-पक्षियों की धीमी चीख।
ताकि, स्वतन्त्रता और समुद्र, मेरे जरिये,
कपाट लगे हृदयों को उनके जवाब बन जायेंगे।
The Poet’s Duty
Pablo Neruda
To all those who hear not the crashing of waves
this Friday morning, who being bound
to a home or office, factory or mineshaft,
romance or roadway or dry prison cell: to them
unspeaking and blind the poet attends,
opening the door that has shut them in
where endlessness can be heard vaguely insisting,
a long fragmented thunder adding its weight
to the planet and the foam
hoarse rivers emerging from the ocean
a star breakneck vibrating amid thorns
while the sea pulses and dies and goes on.
And so, driven by destiny, living no truce
one must listen to and hold in mind the sea’s lament
one must feel the crush of hard water
then coax from it a cupful of immortality
so that, wherever the imprisoned are held,
wherever they suffer the torments of autumn
one can be there in the borderless wave
in dialogue with any window
so they can hear and lift their gaze and ask
how will I get to the ocean?
Without saying anything, the poet must
transmit the star-strewn echoes of the wave,
the breaking up of foam in the undertow,
whispers of salt retreating,
and the gray squall of gulls at the edge.
All this so that with freedom the sea
can answer the heart caught in darkness.
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