पाठक मंच

पत्रिका को नियमित कीजिये

भाष्कर, दिल्ली

प्रिय सम्पादक महोदय,
मैं दो वर्ष से ‘आह्वान’ का नियमित पाठक हूँ। आह्वान के लेख काफी अच्छे होते हैं। विज्ञान का छात्र होने के नाते विशेष तौर पर मैं आह्वान लिया करता हूँ। लेकिन पिछले वर्ष से अनियमित आह्वान के प्रकाशन के कारण मैं काफी निराश हूँ। आह्वान जैसी क्रान्तिकारी पत्रिका का इस फासीवादी दौर में नियमित तौर पर निकलना ज़रूरी है। हालाँकि नियमित तौर पर पत्रिका का प्रकाशन, खास तौर पर प्रतिक्रिया के इस दौर में, न हो पाना कहीं न कहीं फासीवाद को साँस लेने देना होगा। आशा करता हूँ कि आह्वान पत्रिका नियमित तौर पर प्रकाशित होगी और इसकी भौतिकवादी द्वन्द्वात्मक पद्धति फिर से दुनिया को देखने, समझने, और बदलने का वैज्ञानिक नज़रिया प्रदान करेगी।

फासीवाद के दौर में आवश्यक है आह्वान का निकलना

पंकज, आरा, बिहार

सम्पादक महोदय,
मैं आह्वान का नियमित पाठक रहा हूँ। आह्वान आज के दौर के नौजवानों को एक नयी दिशा देती हुई सामाजिक बदलाव के लिये एक महत्वपूर्ण पत्रिका है।
पर मुझे इस पर एक आलोचना रखनी है कि आह्वान एक द्वैमासिक पत्रिका है और पिछले लम्बे समय से यह प्रकाशित नहीं हो रही है। ऐसे अन्धकारमय दौर में जब निराशा हताशा हर जगह हावी है, फासीवाद का उभार होता जा रहा है, पूँजीवाद अपना वीभत्स रूप धारण करता जा रहा है, ऐसे में नौजवानों को सही विकल्प, सही पक्षधरता देने का काम आह्वान बखूबी कर रहा है। मेरा मानना है कि आज के दौर में यह नौजवानों के लिये सबसे महत्वपूर्ण पत्रिका है।
आप सबसे यही अपील है कि आह्वान का नियमित प्रकाशन शुरू किया जाए और जितने भी ज्वलन्त मुद्दे आज हमारे सामने हैं उस पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण का सूत्रपात्र करते हुए सामजिक बदलाव के लिये सही विकल्प सामने रखें।

मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान,जुलाई-अगस्‍त 2017

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