पत्रिका वैकल्पिक मीडिया के तौर पर महत्वपूर्ण कार्य कर रही है – उम्मीद है इसकी नियमितता बरकरार होगी!

अदिति सिंह
महर्षि दयानन्द विश्विद्यालय, रोहतक, हरियाणा

मैं पिछले एक वर्ष से आह्वान की नियमित पाठिका हूँ। काफी इन्तजार करने के बाद पत्रिका का पिछला अंक प्राप्त हुआ। पत्रिका के पिछले अंक में ‘आम आदमी पार्टी’ की असलियत को बयाँ करता हुआ सम्पादकीय पढ़ने को मिला जिससे ‘आप’ के बारे एक पुख्ता समझ बनाने में मदद मिली। इसके अलावा कई अन्तरराष्ट्रीय स्तर के लेख भी पढ़ने को मिले। ‘सिरिज़ा’, ‘शार्ली एब्दो’, ‘पेशावर काण्ड’ आदि विषयों पर आये लेख महत्वपूर्ण थे। ‘कतर में होने वाला फुटबाल विश्वकप, लूट और हत्या का खेल’ लेख भी अच्छा लगा जो बताता है कि किस तरह दुनियाभर की तमाम सरकारें जनता की बुनियादी ज़रूरतों को दरकिनार रखते हुए खेलों के बाजार पर अन्धाधुन्ध पैसा लुटा रही हैं। कतर में मूलभूत ढांचागत विकास के नाम पर मेहनतकशों की ज़िन्दगियों को मौत के मुँह में धकेला जा रहा है। विभिन्न जगहों पर किये गये कार्यक्रमों की रपटें भी अलग-अलग जगह पर होने वाले आन्दोलनों की अच्छी जानकारी देती हैं। चूंकि मुख्यधारा का मीडिया ऐसी खबरों को तवज्जो नहीं देता, इसलिए इस तरह की रपटें और भी महत्वपूर्ण हो जाती हैं। पत्रिका वैकल्पिक मीडिया के तौर पर महत्वपूर्ण कार्य कर रही है – उम्मीद है इसकी नियमितता बरकरार होगी। विगत अंक में कुछ प्रूफ़ की गलतियों के अलावा लेखों के जारी पृष्ठों की संख्या में भी गड़बड़ियाँ थीं। आशा है इस तरह की दिक्कतों को दुरुस्त किया जायेगा। क्रान्तिकारी अभिवादन के साथ।

 

 

मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, मई-अक्‍टूबर 2015

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