हरियाणा में चला जाति तोड़ो अभियान
हरियाणा संवाददाता
आज समाज में फैली कूपमण्डूकता, रूढ़ियों और अन्धविश्वास के खिलाफ सच्चे दार्शनिक सेनापति और सही मायने में जनता के लेखक राहुल सांकृत्यायन के रूढ़िभंजक विचारों को जनता में लाना बेहद ज़रूरी काम है। इसी मकसद से नौजवान भारत सभा, हरियाणा द्वारा 9 अप्रैल (महाविद्रोही राहुल सांकृत्यायन के जन्मदिवस) से लेकर 14 अप्रैल (पुण्यतिथि) के मौके पर ‘जाति-रूढ़ि तोड़ो अभियान’ चलाया गया। जिसके तहत नरवाना और कलायत में विभिन्न स्थानों पर नुक्कड़ सभा, विचार-गोष्ठी, पुस्तक प्रदर्शनी और सांस्कृतिक कार्यक्रम के माध्यम से समाज में मौजूद जातिवाद, रूढ़ियों व अन्धविश्वास पर चोट की गई।
अभियान के चौथे दिन, 12 अप्रैल को नौजवान भारत सभा (कलायत इकाई) द्वारा कलायत के सजूमा रोड स्थित हरिजन धर्मशाला में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मंच संचालन नौभास के बण्टी ने किया। कार्यक्रम की शुरूआत में नौभास के उमेद ने बताया की राहुल सांकृत्यायन का पूरा जीवन जनता की चेतना को जगाने और पुरानी नकारात्मक परम्पराओं, रूढ़ियों, तर्कहीनता के खिलाफ सतत प्रचण्ड प्रहार करते रहे। राहुल जी का जीवन का सूत्र वाक्य था ‘भागो नहीं दुनिया को बदलो’ तभी अपनी अन्तिम साँस तक राहुल की लेखनी और यात्राएँ लगातार जारी रही। लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि आज की युवा पीढ़ी के राहुल के जनपक्षधर और रूढ़िभंजक विद्रोही साहित्य से परिचित नहीं है जिसका मुख्य कारण मौजूद सत्ताधारी भी हैं जिनकी हमेशा यही कोशिश रहती है कि जनता के सच्चे सिपाहियों के परिवर्तनकामी विचारों को दबाया या कुचला जा सके। ताकि जनता की चेतना को कुन्द बनाकर उस पर अपने शासन को मजबूत किया जा सके। लेकिन इतिहास ने भी ये बार-बार साबित किया है कि जनता के सच्चे जननायकों के विचार लम्बे समय नीम-अंधेरे में दबे नहीं रह सकते। इसलिए नौजवान भारत सभा जनता की चेतना जगाने के लिए राहुल सांकृत्यायन के यथास्थिति बदलने वाले विचारों को लेकर जनता तक जाती रहेगी।
कार्यक्रम में ‘देश को आगे बढ़ाओ’ नुक्कड़ नाटक खेला गया। साथ ही विहान सांस्कृतिक टोली द्वारा ‘आ गये यहाँ जवाँ कदम’, ‘अभी लड़ाई जारी है’ और ‘तोड़ो बन्धन तोड़ो’ आदि गीत पेश किये गये। साथ ही शहीद भगतसिंह पुस्तकालय के सदस्य अजय और साक्षी ने भी कविता पाठ किया। कार्यक्रम का अन्त ‘जाति तोड़ो, रूढ़ि तोड़ो! सही लड़ाई से नाता जोड़ो!’, ‘जाति तोड़ो आगे आओ! लड़कर नया समाज बनाओ’ आदि नारों से किया गया।
नौजवान भारत सभा के सुशील ने बताया आज हमें इस बात को समझना ही होगा कि जात-पात और धर्म के तमाम भेदभावों से नुकसान सिर्फ हमारा ही होता है। मेहनत करने वालों की एक ही जाति व एक ही धर्म होता है कि वे मेहनत करते हैं तथा लुटेरों की एक ही जाति व धर्म होता है कि वे लोगों की लूट पर ज़िन्दा रहते हैं। साथ ही हमें यह बात भी समझनी होगी कि बेरोज़गारी, ग़रीबी, भुखमरी और तमाम तरह की अनिश्चितताओं से कोई ‘बाबा’ छुटकारा नहीं दिला देंगे बल्कि इन तमाम समस्याओं के लिए मौजूदा लोभ-लालच और मुनाफे पर टिकी पूँजीवादी व्यवस्था ज़िम्मेदार है। ये बातें न केवल हमें जाननी होंगी बल्कि देश की व्यापक आबादी को भी समझानी होंगी, उसके साथ घुलना-मिलना होगा और रोज़-रोज़ के संघर्षों के असली मुद्दों पर लड़ते हुए जनता से सीखना भी होगा। अब जागने का समय है। हम पहले ही बहुत सो चुके हैं। और यदि आज भी हम लोग नहीं जागते या जानबूझकर रूढ़ियों-अन्धविश्वास के खिलाफ चुप्पी की चादर ओढ़े बैठे रहेंगे तो हमारा इतिहास भी आने वाला समय काले अक्षरों में लिखेगा।
मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, मई-अक्टूबर 2015
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