आह्वान

  • होम पेज
  • आह्वान के बारे में
  • वर्तमान अंक
  • पुराने अंक
  • आह्वान पुस्तिकाएं
  • आह्वान पाठक सम्‍मेलन
  • सदस्‍यता
  • संपर्क

खोजें

Categories

अक्‍टूबर दिसम्‍बर 1999

अक्‍टूबर दिसम्‍बर 1999

  • उम्‍मीदों की चिन्‍गारियां बनके छिटको तुम
  • सत्‍ता की लूट के नये भागीदार गाँव तक
  • न कोई उम्‍मीद, न कोई भ्रम, फिर भी चुनाव-दर-चुनाव
  • सामाजिक डार्विनवाद के घातक परिणाम
  • शहीदे आजम की जेल नोटबुक : एक क्रांतिकारी की वसीयत
  • रोना स्त्रियोचित है?
  • आदि विद्रोही : आजादी एवं स्‍वाभिमान के संघर्ष की गौरवगाथा
  • पाश एवं ब्रेष्‍ट की कविताएं

  • 7-21 अगस्‍त 1991

    7-21 अगस्‍त 1991
  • एक नये सामाजिक परिवर्तन की दिशा में इस नई पहल के हाथ मजबूत करो
  • अब महंगाई की मार सीधे दाल रोटी पर
  • गोरखपुर विश्‍वविद्यालय – प्रवेश परीक्षा से योग्‍यता के तर्क की कलई खुली
  • बिकाऊ माल बन चुकी है प्राथमिक शिक्षा – संजय श्रीवास्‍तव
  • पाठ्य पुस्‍तकों की किल्‍लत और कालाबाजारी से लोग त्रस्‍त हैं
  • बीमार अर्थव्‍यवस्‍था : सरकार के नुस्‍खे कितने कारगर होंगे ? – अरविन्‍द सिंह
  • बच्‍चों को स्‍वाधीन बनाओ – प्रेमचन्‍द (अप्रैल 1930)
  • छात्रों के प्रति – बर्तोल्‍त ब्रेख्‍त 
  • कुछ महत्‍वपूर्ण क्रान्तिकारी पत्र-पत्रिकाएं, वेबसाइट सम्‍बन्धित वेबसाइट पर जाने के लिए फोटो पर क्लिक करें


    Bigul gen small Disha Gen small Fb gen small janchetna_masthead1

    आह्वान के बारे में कुछ महत्त्वपूर्ण विचारबिन्दु

  • ‘आह्वान’ विपर्यय के इस कठिन अँधेरे दौर में क्रान्ति के नये संस्करण की तैयारी के लिए युवा वर्ग का आह्वान करता है। यह एक नूतन क्रान्तिकारी नवजागरण और प्रबोधन का शंखनाद करता है। यह नयी क्रान्ति की नेतृत्वकारी शक्ति के निर्माण के लिए, उसकी मार्गदर्शक वैज्ञानिक जीवनदृष्टि और इतिहासबोध की समझ कायम करने के लिए और भारतीय क्रान्ति के रास्ते की सही समझदारी कायम करने के उद्देश्य से विचार-विनिमय और बहस-मुबाहसे के लिए आम जनता के विवेकशील बहादुर युवा सपूतों को आमन्त्रित करता है। ‘आह्वान’ क्रान्ति की आत्मा को जागृत करने की ज़रूरत का अहसास है। यह एक नयी क्रान्तिकारी स्पिरिट पैदा करने की तड़प की अभिव्यक्ति है। लोग यदि लोहे की दीवारों में कैद नशे की गहरी नींद सो रहे हैं, तब भी हमें लगातार आवाज़ लगानी ही होगी। नींद में घुट रहे लोगों के कानों तक लगातार पहुँचती हमारी आवाज़ कभी न कभी उन्हें जगायेगी ही। भूलना नहीं होगा कि एक चिंगारी सारे जंगल को आग लगा सकती है। ‘आह्वान’ ऐसी ही एक चिंगारी बनने को संकल्पबद्ध है।
  • ‘आह्वान’ ज़िन्दगी के इस दमघोंटू माहौल को बदलने के लिए तमाम ज़िन्दा लोगों का आह्वान करता है। यह उन सभी का आह्वान करता है जो सही मायने में नौजवान हैं। जिनमें व्यक्तिगत स्वार्थ, कायरता, दुनियादारी, धन लिप्सा, कैरियरवाद और पद-ओहदे-हैसियत-मान्यता की गलाकाटू प्रतिस्पर्धा के ख़िलाफ़ लड़ने का माद्दा और ज़िद है, जिनकी रगों में उष्ण रक्त प्रवाहित हो रहा है। जो न्याय, सौन्दर्य, प्रगति और शौर्य के पुजारी हैं। ‘आह्वान’ जनता की सेवा में लग जाने के लिए, मेहनतकश अवाम में घुलमिलकर उसकी मुक्ति का परचम थाम लेने के लिए ऐसे ही नौजवानों का आह्वान करता है। सामाजिक क्रान्तियों की कठिन शुरुआत की चुनौतियों को स्वीकारने के लिए पहले जनता के बहादुर युवा सपूत ही आगे आते हैं। इतिहास के रथ के पहिए नौजवानों के उष्ण रक्त से लथपथ हुआ करते हैं।
  • Tags

    'आप' अजय अन्‍तरा घोष अभिनव अमेरिका अरविंद अविनाश आनन्‍द आशीष उद्धरण कविताऐं कविता कृष्णापल्लवी कहानियां कात्‍यायनी कार्ल मार्क्स गरीबी चुनावी तमाशा जाति प्रश्‍न दिल्‍ली धर्म पटना परजीवी “जनतंत्र” प्रशांत प्रसेन प्रेमप्रकाश बेर्टोल्ट ब्रेष्ट भगतसिंह ने कहा मक्सिम गोर्की योगेश लखनऊ लता विराट विश्‍व पटल पर विश्‍वविद्यालय कैम्‍पस शशिप्रकाश शिवानी शिवार्थ शिशिर संघ सनी सिमरन स्मृति संकल्प यात्रा स्‍त्री मुक्ति स्‍त्री विरोधी अपराध हरियाणा

    फेसबुक़ पर पोस्‍ट पाने के लिए पसंद करें

    Archives

    आह्वान