…उस दिन भले लोगों की आँखों में हमारे लिए गर्म आँसू होंगे…
“पेशे का चुनाव करने के सम्‍बन्‍ध में एक नौजवान के विचार” नामक लेख से

कार्ल मार्क्‍स

कार्ल मार्क्स

कार्ल मार्क्स

…हमारी जीवन-परिस्थितियां यदि हमें अपने मन का पेशा चुनने का अवसर दें तो हम एक ऐसा पेशा अपने लिए चुनेंगे जिससे हमें अधिकतम गौरव प्राप्‍त हो सकेगा, ऐसा पेशा जिसके विचारों की सच्‍चाई के सम्‍बन्‍ध में हमें पूरा विश्‍वास है। तब हम ऐसा पेशा चुनेंगे जिसमें मानवजाति की सेवा करने का हमें अधिक से अधिक अवसर प्राप्‍त होगा और हम स्‍वयं भी सामान्‍य लक्ष्‍य के और निकट पहुँच सकेंगे जिससे अधिक से अधिक समीप पहुँचने का प्रत्‍येक पेशा मात्र एक साधन होता है।

गौरव उसी चीज को कहते हैं जो मनुष्‍य को सबसे अधिक ऊँचा उठाये, जो उसके काम को और उसकी इच्‍छा-आकांक्षाओं को सर्वोच्‍च औदार्य प्रदान करे, उसे भीड़ से दृढ़तापूर्वक ऊपर उठने और उसके विस्‍मय को जागृत करने का सुअवसर प्रदान करे।

किन्‍तु गौरव हमें केवल वही पेशा प्रदान कर सकता है जिसमें हम गुलामों की तरह मात्र औज़ार नहीं होते, बल्कि अपने कार्यक्षेत्र के अन्‍दर स्‍वतन्‍त्र रूप से स्‍वयं सर्जन करते हैं; केवल वही पेशा हमें गौरव प्रदान कर सकता है जो हमसे गर्हित कार्य करने की मांग नहीं करता-फिर चाहे वे बाहरी तौर से ही गर्हित क्‍यों न हों और जो ऐसा होता है जिसका श्रेष्‍ठतम व्‍यक्ति भी उदात्‍त अभिमान के साथ अनुशीलन कर सकते हैं। जिस पेशे में इन समस्‍त चीजों की उच्‍चतम मात्रा में गुंजाइश रहती है वह सदा उच्‍चतम ही नहीं होता, किन्‍तु श्रेयस्‍कर सदा उसी को समझा जाना चाहिए।

कोई व्‍यक्ति यदि केवल अपने लिए काम करता है तो हो सकता है कि, वह एक प्रसिद्ध विज्ञान-वेत्‍ता बन जाय, एक महान सिद्ध पुरूष बन जाय, एक उत्‍त्‍म कवि बन जाय, किन्‍तु वह ऐसा मानव कभी नहीं बन सकता जो वास्‍तव में पूर्ण और महान है।

इतिहास उन्‍हें ही महान मनुष्‍य मानता है जो सामान्‍य लक्ष्‍य के लिए काम करके स्‍वयं उदात्‍त बन जाते हैं: अनुभव सर्वाधिक सुखी मनुष्‍य के रूप में उसी व्‍यक्ति की स्‍तुति करता है जिसने लोगों को अधिक से अधिक संख्‍या के लिए सुख की सृष्टि की है।

हमने यदि ऐसा पेशा चुना है जिसके माध्यम से मानवता की हम अधिक सेवा कर सकते हैं तो उसके नीचे हम दबेंगे नहीं-क्योंकि यह ऐसा होता है जो सबके हित में किया जाता है । ऐसी स्थिति में हमें किसी तुच्छ, सीमित अहम्वादी उल्लास की अनुभूति नहीं होगी, वरन तब हमारा व्यक्तिगत सुख जनगण का भी सुख होगा, हमारे कार्य तब एक शान्तिमय किन्तु सतत् रूप से सक्रिय जीवन का रूप धारण कर लेंगे, और जिस दिन हमारी अर्थी उठेगी, उस दिन भले लोगों की आँखों में हमारे लिए गर्म आँसू होंगे।

….. Over our ashes will be shed the hot tears of noble people …..
From the Article “Reflections of a Young Man on The Choice of a Profession”

Karl Marx

…….. if the conditions of our life permit us to choose any profession we like, we may adopt the one that assures us the greatest worth, one which is based on ideas of whose truth we are thoroughly convinced, which offers us the widest scope to work for mankind, and for ourselves to approach closer to the general aim for which every profession is but a means – perfection.

Worth is that which most of all uplifts a man, which imparts a higher nobility to his actions and all his endeavours, which makes him invulnerable, admired by the crowd and raised above it.

But worth can be assured only by a profession in which we are not servile tools, but in which we act independently in our own sphere. It can be assured only by a profession that does not demand reprehensible acts, even if reprehensible only in outward appearance, a profession which the best can follow with noble pride. A profession which assures this in the greatest degree is not always the highest, but is always the most to be preferred.

If he works only for himself, he may perhaps become a famous man of learning, a great sage, an excellent poet, but he can never be a perfect, truly great man.

History calls those men the greatest who have ennobled themselves by working for the common good; experience acclaims as happiest the man who has made the greatest number of people happy; religion itself teaches us that the ideal being whom all strive to copy sacrificed himself for the sake of mankind, and who would dare to set at nought such judgments?

If we have chosen the position in life in which we can most of all work for mankind, no burdens can bow us down, because they are sacrifices for the benefit of all; then we shall experience no petty, limited, selfish joy, but our happiness will belong to millions, our deeds will live on quietly but perpetually at work, and over our ashes will be shed the hot tears of noble people.

 

'आह्वान' की सदस्‍यता लें!

 

ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीआर्डर के लिए पताः बी-100, मुकुन्द विहार, करावल नगर, दिल्ली बैंक खाते का विवरणः प्रति – muktikami chhatron ka aahwan Bank of Baroda, Badli New Delhi Saving Account 21360100010629 IFSC Code: BARB0TRDBAD

आर्थिक सहयोग भी करें!

 

दोस्तों, “आह्वान” सारे देश में चल रहे वैकल्पिक मीडिया के प्रयासों की एक कड़ी है। हम सत्ता प्रतिष्ठानों, फ़ण्डिंग एजेंसियों, पूँजीवादी घरानों एवं चुनावी राजनीतिक दलों से किसी भी रूप में आर्थिक सहयोग लेना घोर अनर्थकारी मानते हैं। हमारी दृढ़ मान्यता है कि जनता का वैकल्पिक मीडिया सिर्फ जन संसाधनों के बूते खड़ा किया जाना चाहिए। एक लम्बे समय से बिना किसी किस्म का समझौता किये “आह्वान” सतत प्रचारित-प्रकाशित हो रही है। आपको मालूम हो कि विगत कई अंकों से पत्रिका आर्थिक संकट का सामना कर रही है। ऐसे में “आह्वान” अपने तमाम पाठकों, सहयोगियों से सहयोग की अपेक्षा करती है। हम आप सभी सहयोगियों, शुभचिन्तकों से अपील करते हैं कि वे अपनी ओर से अधिकतम सम्भव आर्थिक सहयोग भेजकर परिवर्तन के इस हथियार को मज़बूती प्रदान करें। सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग करने के लिए नीचे दिये गए Donate बटन पर क्लिक करें।