क्रिस्टोफ़र नोलन की फिल्म ‘डार्क नाइट राइज़ेज़’ का सन्देश
मानवता के सामने दो ही विकल्पः पूँजीवाद या अराजकता!
सनी
‘डार्क नाइट राइज़ेज़’ हॉलीवुड की पिछले साल की तीसरी सबसे ज़्यादा पैसा कमाने वाली फिल्म है। तमाम बुर्जुआ अखबारों ने इसे जी भर कर सराहा है। कुछ ने इसे अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए खडे़ हुए रोमनी के खिलाफ प्रचार बताया क्योंकि उसकी कम्पनी का नाम बेन कैपिटल था जो इस फिल्म के खलनायक का नाम है। कॉमिक्सों, कार्टून सीरियलों, विडियो गेमों और तमाम खिलौनों के जरिये बैटमैन सरीखे ‘सुपर हीरो’ अमेरिका में (भारत के खाये-पीये वर्ग में भी) काफ़ी चर्चित हैं। फिल्म के डायरेक्टर क्रिस्टोफर नोलन ने फिल्मों की दुनिया में अपना एक विशेष स्थान प्राप्त किया है। ‘सुपर हीरो’ फिल्म होने के बावजूद क्रिस्टोफ़र नोलन की यह फिल्म यथार्थवादी दृष्टिकोण से परिस्थितियों को पेश करती है। ‘बैटमैन बिगिन्स’ से शुरू होकर फिल्म की कहानी कुछ मुख्य किरदारों की जि़न्दगी और उनके आसपास की बदलती परिस्थितियों के ताने-बाने को पेश करती है, साथ ही उनके द्वारा इन परिस्थितियों को बदलते हुए दिखाती है। 70 एमएम (अन्य कैमरों से दुगना) आईएमएक्स कैमरे से बनी यह फिल्म आधुनिक कला का बेहतरीन उदाहरण है। कई जगह फिल्म के दृश्यों को नोलन भव्य रूप देते हैं और ये दृश्य ही फिल्म को नए मोड़ देते हैं (जैसे बैटमैन और बेन के बीच द्वन्द्वयुद्ध, बैटमैन की वापसी)। यह फिल्म मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों और आर्थिक परिस्थितियों का काफी यथार्थवादी चित्रण करने के कारण बेहद आकर्षित करती है। चूँकि हमारा समाज वर्गों में बँटा है, अमीर-ग़रीब में बँटा है इसलिये समाज में कला के किसी भी रूप द्वारा किया जाने वाला हर यथार्थवादी चित्रण इस बँटवारे को दिखायेगा और अपना पक्ष चुनेगा। नोलन किसका पक्ष चुनते हैं? निश्चित तौर पर हम कल्पनालोक में नहीं हैं, पिछले साल की तीसरी सबसे ज़्यादा पैसा कमाने वाली नोलन की फिल्म बुर्जुआ वर्ग के दृष्टिकोण से बनायी गयी है। इसे समझने और इसके मूल पर पहुँचने के लिए हमें फिल्म का एक ज़्यादा वस्तुपरक मूल्यांकन करना होगा। अगर किसी भी समस्या को समझना हो तो हमें उसके भौतिक अवयवों को जान लेना चाहिए। इस फिल्म के अवयव हैं फिल्म के चरित्र और उनको जोड़ती कहानी। फिल्म के चरित्रों को वर्ग के आधार पर बाँटा जा सकता है। खुद क्रिस्टाफेर नोलन ने कहा था कि उनकी यह फिल्म वर्ग संघर्ष को दिखाती है!
सबसे मुख्य किरदार है फिल्म का नायक, ब्रूस वेन (क्रिस्चियन बेल) जो कि एक पूँजीपति है (वेन इन्टरप्राइज़ेज का मालिक) व बैटमैन यानी विजिलेंटे या संरक्षक भी है। बैटमैन शहर में अपराध के खिलाफ लड़ाई लड़ता है। सेना के शोध की उन्नत तकनीक के दम पर वह अपराधियों से अजेय है। पुलिस से अलग वह अपराधियों और गॉथम के दुश्मनों से लड़ता है। तालिया (मिराण्डा कर) एक पर्यावरण संरक्षक पूँजीपति है और साथ में बैटमैन के दुश्मन रज़ा-उल-गुल की बेटी है। डेगेट पूँजीपति है जो वेन इन्टरप्राइज़ेज़ हथियाना चाहता है। बैटमैन और उसके संरक्षण का साथ देता है कमिश्नर गॉर्डन, जो कि पुलिस अधिकारी है, जो कानून व्यवस्था को चलाता है और पूरी ईमानदारी से व्यवस्था की सेवा में जुटा रहता है। लुसियस फॅाक्स (वेन इन्टरप्राइज़ेज का मैनेजर) टेक्नोक्रेट है जो व्यवस्था का मजबूत स्तम्भ है और बैटमैन की कम्पनी के शोध विभाग के साथ वह बैटमैन को उन्नत हथियार देता है। याद हो कि बैटमैन सीरिज़ की फिल्मों में बैटमैन को वह एक गाड़ी, बाईक और तीसरी फिल्म में एक हवाई जहाज़ देता है। वहीं दूसरी और वेन फाउन्डेशन के शोध से निकले माइक्रोवेव एमिटर, सोनार तकनीक और न्युक्लिअर रिएक्टर भी हैं जो फिल्म सीरिज में निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। कमिश्नर गॉर्डन, लुसियस फॅाक्स और ब्रूस वेन, तीनों मिलकर ही असल में उस परिघटना का निर्माण करते हैं जिसे फिल्म में बैटमैन कहा गया है-यानी, पूँजीपति, पुलिस अधिकारी (नौकरशाह) और तकनोशाह। ब्रूस का नौकर ऐल्फ्रेड मालिक अन्धभक्ति से पीड़ित है और उसको दर्शन देता है। कैटवुमैन, सेलिना काईल निम्न मध्य वर्ग से है और चोरी करती है। बेन एक ख़ास मध्य वर्गीय दृष्टिकोण का प्रतीक है जो इस व्यवस्था के खिलाफ़ है, वह अराजकतावाद का चरम बिन्दु है। वह अपनी राजनीति से लोगों को कैसे साथ लेता है फिल्म इसकी मात्र एक हल्की-सी झलक देती है। एक जगह बेन के समूह में अनाथ बेरोज़गारों को भर्ती होते दिखाया है। उसके समूह से आपसी सम्बन्धों पर फिल्म की शुरुआत में एक दृश्य है जो उसकी नेतृत्व क्षमता को दिखाता है। यहाँ वह अपने समूह के व्यक्ति को हवाई जहाज में मरने को कहता है और वह आग के उठने (प्रतीक) की बात बेन से पूछता है और खुद को कुर्बान कर देता है। वह न पैसे के लिए काम करता है और न ही किसी तरह के विलास के लिए, स्टॉक मार्केट को चोरी करने की जगह मानता है। वह बहुत अनुशासित है और लापरवाही पर अपने आदमियों को भी मार देता है। वह अपनी सोच के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। फिल्म में एक अन्य चरित्र डिटेक्टिव ब्लेक का है जो ईमानदार और बहादुर अफसर है और गॉर्डन का खास आदमी है।
कहानी
फिल्म अमेरिका के एक उन्नत परन्तु काल्पनिक शहर गॉथम पर आधारित है। यह शहर आम पूँजीवादी शहरों की तरह ग़रीबी, अपराध, ड्रग माफिया और चोरों से ग्रसित है। फिल्म की कहानी को 3 कालखण्डो में बाँट कर देखा जा सकता है। पहला, शान्ति का काल है। यहाँ ब्रूस वेन (वेन फाउण्डेशन का मालिक, जो कि लम्बे समय से शहर की अर्थनीति की मुख्य ताकत है) बैटमैन बनना छोड़ चुका है और महज़ अँधेरे और अकेलेपन में जी रहा है हालाँकि वह वापस बैटमैन बनने के लिए तैयार है। कमिश्नर गॉर्डन भी हमेशा तैयार रहता है कि कब बात बिगडे़ (क्योंकि फिलहाल डेंट ऐक्ट (हार्वी डेंट के नाम पर) के झूठ की बदौलत सैकड़ों अपराधी जेल के पीछे हैं) और बैटमैन मोर्चा सम्भाले! फिल्म के कुछ दृश्यों में बेन को अपनी फौज खड़ी करते दिखाया जाता है जो गॉथम शहर की ओर बढ़ रही है। दूसरे कालखण्ड में बेन गॉथम शहर पर योजनाबद्ध तरीके से हमला करता है। बैटमैन वापसी करता है। कमिश्नर गॉर्डन पर हमला होता है। बेन स्टॉक मार्किट में ब्रूस वेन को बर्बाद कर डेगेट को वेन फाउडेन्शन का अध्यक्ष बनाना चाहता है जिससे कि उसके न्युक्लिअर रिएक्टर पर कब्ज़ा कर सके, परन्तु ब्रूस वेन पर्यावरण संरक्षक पूँजीपति मिराण्डा को अध्यक्ष बना देता है। बैटमैन और बेन का टकराव होता है जिसमें बेन बैटमैन की कमर तोड़ देता है, उसके हथियारों पर कब्ज़ा कर लेता है और उसे सेण्टा प्रिस्का की एक जेल में डाल देता है (इस जेल के नियम बेन बनाता है)। यह प्रसंग फ़ालतू लगता है और महज पात्र के हिसाब से फिल्म में डाला गया हिस्सा लगता है। यहीं से ही फिल्म में रज़ा-उल-गुल और बेन के सम्बन्धों को दिखाने की कोशिश की गयी है परन्तु यह सब भी काल्पनिक ज़्यादा लगता है। बेन शहर में जगह-जगह विस्फोट करता है और पूरे शहर का दूसरे शहरों से आने-जाने का रास्ता काट देता है तथा वेन फाउन्डेशन के तीन बोर्ड सदस्यों को बेन से बचाने आ रही गॉथम की सारी पुलिस को भूमिगत सीवर में फँसा लेता है। (यह बात ग़ौर करने लायक है कि फिल्म के अनुसार महज़ तीन पूँजीपतियों के लिए पूँजीवादी राज्य अपनी समस्त पुलिस को उन्हें रिहा कराने भेजता है) वह वेन फाउण्डेशन के नाभिकीय रिएक्टर को बम में तब्दील कर किसी भी तरह के बाहरी हस्तक्षेप या किसी के भागने की कोशिश पर पूरे शहर को उड़ाने की धमकी देता है। गॉथम में नयी “व्यवस्था” लागू की जाती है जिसे बेन “आज़ादी” कहता है। तीसरे खण्ड में बैटमैन जेल में अपनी कमर जोड़कर जेल से बाहर आता है और बेन को चुनौती देने के लिए पुलिस को आज़ाद कराता है।
बेन और अपराधियों की फौज से बैटमैन और पुलिस लड़ती है जिसमे बैटमैन बेन को हरा देता है। मिराण्डा यहाँ अपनी असलियत उजागर करती है कि वह रज़ा-उल-गुल की बेटी है और बेन के साथ मिली हुयी थी, बैटमैन उसे भी नाकामयाब कर देता है, गॉर्डन और कैटवुमेन की मदद से। फिल्म के अन्त में बैटमैन रिटायर हो जाता है, उसकी जगह लेने के लिए ब्लेक आता है जिसके नाम ब्रूस अपनी सम्पत्ति का एक हिस्सा कर जाता है (क्योंकि बैटमैन सिर्फ एक अमीर आदमी ही हो सकता है!)।
अब हमारे लिए फिल्म के दार्शनिक और राजनीतिक सन्देश को समझना आसान होगा। फिल्म मुख्यतः दो काम करती है। पहला यह अराजकतावाद की आलोचना करती है व ‘विजीलाण्टे’ यानी संरक्षक का समर्थन करती है।
अराजकतावाद की आलोचना
यह फिल्म पिछले साल अमरीका के हर शहर में स्वतःस्फूर्त रूप से खडे़ हुए पूँजीवाद-विरोधी आन्दोलन ‘वॅाल स्ट्रीट कब्ज़ा करो’ आन्दोलन के बाद बनी है जिसका नेतृत्व मुख्यतः अराजकतावादियों के हाथों में था। यही कारण है कि फिल्म की सबसे अधिक आलोचना ‘वाल स्ट्रीट कब्ज़ा करो आन्दोलन’ के सदस्यों ने की है। यह फिल्म बेन के जरिये अराजकतावाद को चित्रित करती है। कैसे? आइये फिल्म के कुछ दृश्य को देखते हैं। बेन शहर पर कब्ज़ा करके जिस नयी व्यवस्था को लागू करता है उसका चित्रण भयावह है। बेन अपना पदार्पण रग्बी के खेल के दौरान स्टेडियम में करता है और वहीं वह कहता है कि कल से शहर पर लोगों का अधिकार होगा।
अगले दिन वह ब्लैकगेट जेल के आगे खड़ा होकर एक भाषण देता है, “हम गॉथम को भ्रष्ट लोगों से छीनकर अपने हाथों में लेते हैं। अमीरज़ादों से, वे जो पीढ़ियों से हमें अवसर के मिथकों के नीचे दबाते हुए आ रहे हैं और हम इस शहर को तुम्हे सौंपते हैं, जनता को! गॉथम तुम्हारा है! कोई बाधा नहीं डालेगा, तुम्हे जो करना है वो करो! पर शुरुआत ब्लैकगेट जेल पर हमला कर उत्पीड़ितों को आज़ाद कर होगी। (दृश्य परिवर्तन-कैदी जोश में बन्दूकें लेकर निकलते हैं) आगे बढ़ो, जो सेवा करना चाहते हैं उनकी एक सेना खड़ी की जाएगी। शक्तिशाली अपने पतनोन्मुख घोसलों से खदेड़े जायेंगे और बाहर की अँधेरी ठण्डी दुनिया जिसे हम जानते हैं और जीते हैं उसमें लाये जायेंगे। न्यायालय चलाये जायेंगे, लूट का जश्न मनाया जायेगा, और खून बहेगा!” इस वाक्य के साथ कुछ दृश्य दिखाये जाते हैं जिनमें प्रतीत होता है कि ग़रीब और अपराधी सब मिलकर निर्ममता से अमीरों, अफसरों और प्रशासनिक अधिकारियों को घरों से घसीट कर बाहर निकालते हैं, उनके खिलाफ कोर्ट में सज़ा सुनाते रहे हैं, जिसका आम तौर पर फैसला मौत होता है। यह दृश्य अपने आप में भयावह है और नफ़रत पैदा करता है। खुद सेलिना काइल (जो केटवुमेन है) भी इसे ठीक नहीं मानती जो एक दृश्य में ब्रुस वेन को अमीरों के प्रति घृणा से आ रहे तूफान की चेतावनी देती है। यहाँ यह बात ध्यान देने लायक है कि फिल्म पूँजीवाद की बुराइयों और उसके कारण मजदूर वर्ग पर हो रहे शोषण को भी बेहद साधारण शब्दों में समेट देती है। फिल्म इस बात को छिपाने का प्रयास नहीं करती कि पूँजीवादी समाज में ग़रीबी, पतन, अपराध नैसर्गिक रूप से पैदा होते हैं। लेकिन साथ ही यह सन्देश भी देती है कि इसका कोई विकल्प नहीं है। अगर इसका विकल्प पेश करने की कोई कोशिश की जायेगी तो वह अन्त में बेन की “आज़ादी” जैसी किसी बर्बर अराजक व्यवस्था में समाप्त होगी। इसलिए आप ज़्यादा से ज़्यादा यह कर सकते हैं कि ग़रीबी, अपराध और ग़ैर-बराबरी से ग्रस्त पूँजीवादी समाज में ही सुधार और कानून-व्यवस्था कायम रखने का प्रयास करें और इसी के लिए सिर्फ पुलिस और फ़ौज काफ़ी नहीं है, बल्कि बैटमैन जैसे एक विजिलाण्टे की ज़रूरत है। पूँजीवाद की सभी आलोचनाएँ और सभी भविष्य के रास्ते बेन और उसकी “क्रान्ति” में समाहित हो जाते हैं। इस “क्रान्ति” की तुलना डिटेक्टिव ब्लैक एक ‘असफल राज्य’ से करता है। हमारे सामने विकल्प रखा जाता है- पूँजीवाद या बर्बरता! अंत में फटे हुए अमरीकी झण्डों के नीचे गॉथम के पुलिस वाले, बैटमैन उस झण्डे की सलामती के लिए लड़ते हैं और जीतते हैं।
विजीलाण्टे, यानी बैटमैन की ज़रुरत
यह व्यवस्था की कमियों को पेश कर उसके हल के तौर पर विजीलाण्टे यानी संरक्षक को स्थापित करती है। कैसे? आइये देखते हैं। फिल्म हमें व्यवस्था के कुछ अन्तरविरोधों से परिचित कराती है, राज्य मशीनरी के कुछ अँधेरे पहलू दिखाती है। परन्तु यह सब हमें उस सन्दर्भ के चौखटे से दिखाती है जैसा शासक वर्ग चाहता है। यह बुर्जुआ वर्ग का वर्ग दृष्टिकोण हम पर थोपती है, उसके साथ हमें सहानुभूति महसूस कराती है। शहर को भ्रष्टाचार और अपराध में लिप्त दिखाया जाता है वहीं वेन फाउन्डेशन के सामाजिक सुधार कार्यों का व्याख्यान आता है। बैटमैन भी अपना दुश्मन भ्रष्टाचार और अपराधियों को बनाता है। परन्तु भ्रष्टाचार और अपराध का सवाल शासन प्रणाली में बदलाव, किसी मसीहा या व्यक्तिगत सदाचार का प्रश्न नहीं है। यह समाज विज्ञान का प्रश्न है। भ्रष्टाचार और अपराध पूँजीवाद की कढ़ाई और बुनाई है, ये इससे अलग नहीं हो सकता है। आखिर बैटमैन ने कभी यह सवाल क्यों नहीं उठाया कि क्यों अमरीका में ऊपर के 20 प्रतिशत लोगों के पास कुल देश का 89 प्रतिशत सम्पत्ति है और नीचे के 80 प्रतिशत लोगों के पास महज 11 प्रतिशत! बैटमैन को यह भ्रष्टाचार नहीं लगता! लगेगा भी कैसे? बैटमैन यानी ब्रूस वेन स्वयं ऊपर के 20 प्रतिशत अमीरों की आबादी का हिस्सा जो है! ख़ैर, हम वापस फिल्म पर आते हैं। एक दृश्य में कमिश्नर गॉर्डन और डिटेक्टिव जॉन ब्लेक के बीच संवाद में कमिश्नर कहता है कि “एक ऐसा समय आता है जब ढाँचा आपको असफल करने लगता है, जब नियम हथियार नहीं रह जाते हैं, वे बेड़ियाँ बन जाते हैं और ग़लत आदमियों को आगे बढने का मौका देते हैं….”। यह पूरा कथन पूँजीवाद के अधःपतन में गिरने के कारण पैदा हुए संकट का एक रूपक है, जिसमें पूरा का पूरा शासक वर्ग भयंकर नैतिक-भौतिक पतन, सड़ाँध, भ्रष्टाचार, और अनाचार का शिकार हो चुका है और जनता के बीच इसके खिलाफ़ नफ़रत पनप रही होती है। इस संकट का हल कमिश्नर गॉर्डन एक ऐसे संरक्षक की ज़रूरत के रूप में देता है -”जो अपने हाथों को गन्दा करके, तुम्हारे हाथों को साफ रख सके!” यह बात बैटमैन के होने की ज़रूरत को बयान करती है। इस पूरे कथन का इस्तेमाल आज विजिलाण्टे की विचारधारा से प्रेरित फासीवादी समूह भी कर सकते हैं, अतिमानव की नीत्शे की विचारधारा पर पनपने वाले तमाम संगठन कर सकते हैं। मिसाल के तौर पर, यूनान में ‘गोल्डेन डॉन’ के नवनात्सी समूह जो प्रवासी मज़दूरों की हत्या करने का काम करते हैं, जिन्होंने लोगों के बीच एक सीटी बाँट रखी है, जिसे बजाने पर वे तुरन्त उपस्थित हो जाते हैं और आपके प्रवासी लोगों के ख़तरे से संरक्षण के काम को अंजाम देते हैं! ज़ाहिरा तौर पर इस काम में हाथ तो गन्दे होते ही हैं! लेकिन विजिलाण्टे की सोच पर निर्भर रहने वाले सम्पत्तिधारी उच्च मध्यवर्ग के हाथ साफ़ ही रहते हैं।
बैटमैन श्रृंखला की तीनों फिल्मों (बैटमैन बिगिन्स, डार्क नाईट, डार्क नाईट राइि़जज) के जरिये नोलन ने बैटमैन रुपी संरक्षक की ज़रुरत के उद्गम और उसके स्थापत्य को दर्शाया है। यह अरबपति अनाथ के दुःख-दर्द को बयान करती हुई उसके व्यक्तिगत संघर्षों से उसके इस संरक्षक में तब्दील होते हुए दिखाती है। बैटमैन व्यवस्था के नियमों, राज्य व्यवस्था के आम नियमों से ऊपर उठता है और “जब ढांचा आपको असफल करने लगता है, जब नियम हथियार नहीं रह जाते हैं, वे बेड़ियाँ बन जाते हैं और ग़लत आदमियों को आगे बढ़़ने का मौका देते हैं” तब बैटमैन नियमों को तोड़कर, बेड़ियों को तोड़कर ग़लत आदमियों को बढ़ने से रोकता है! फिल्म में ये गलत आदमी दर्शाए गए हैं- ड्रग माफिया, भ्रष्टाचारी, अराजकतावादी(जोकर), चरम अराजकतावादी बेन और खुद को विश्व का संरक्षक (बैटमैन के अंतर्राष्ट्रीय संस्करण) कहने वाले राज़-उल-गुल का समूह ‘लीग ऑफ़ शैडोज़’। यहाँ यह भी ग़ौरतलब है कि बैटमैन को प्रशिक्षित करने का काम इसी ‘लीग ऑफ़ शैडोज़’ में ही हुआ था और बेन का प्रशिक्षण भी इसी में हुआ था। बैटमैन श्रंखला की दूसरी फिल्म में बैटमैन गॉथम में मौजूद हर व्यक्ति के फोन पर निगरानी करता है जिससे कि जोकर को रोक सके। यह वही तर्क है जो तमाम सुरक्षा संस्थाएँ आम नागरिकों की सर्विलिएंस करके अपने को न्यायोचित ठहराने में करती हैं, ग़लत आदमी (व्यवस्था विरोधी, जो कि नोलन के नज़रिये से केवल अराजकतावादी हो सकते हैं, क्रान्तिकारी नहीं, जो कि संगठित जनता के बल पर पूँजीवाद को न सिर्फ नष्ट करें, बल्कि उसके विकल्प के तौर पर एक ज़्यादा तार्किक और वैज्ञानिक व्यवस्था का निर्माण करें) को रोकने के लिए। हालाँकि बैटमैन खुद नियम से बँधा नहीं है, अराजक है, परन्तु यह ऐसी अराजकता है जो व्यवस्था की ज़रुरत है और व्यवस्था की सेवा करती है। अगर अपने देश में जरा नज़र दौडाएं तो रालेगाँव सिद्धि का बैटमैन (!) भी ऐसा ही कर रहा था! वह भी पूँजीवाद की सारी बीमारियों और दिक्कतों की जड़ भ्रष्टाचार को बता रहा था। अण्णा हज़ारे ने जो प्रयोग रालेगाँव सिद्धि में किया है धर्म और सुधार के नाम पर, बैटमैन गॉथम में उसे अपनी पूँजी की ताकत पर करता है। तमाम सुरक्षा संस्थाएँ (संरक्षक!) भी सुरक्षा के नाम पर लम्बे समय से संवैधानिक अधिकारों को ताक पर रखकर काम करती हैं। फिल्म बेन की “क्रांति” के खिलाफ़ बैटमैन की ज़रुरत को आम ज़रूरत बना देती है। फिल्म का दृष्टिकोण हमें बैटमैन के साथ सहानुभूति पैदा कराता है। यह फिल्म भ्रष्ट पूँजी और पूँजीवाद के हर संकट के खिलाफ़ सदाचारी पूँजीवाद के समर्थक और उसके संरक्षक बैटमैन की ज़रूरत को स्थापित करती है। यह बुर्जुआ नायक की ज़रूरत को आम जनता की ज़रूरत के रूप में पेश करती है।
असल में ये दोनों आपस में जुडे़ हुए हैं। यह मौजूदा समय में पूँजीवाद के मौजूदा संकट के कारण ही एकीकृत हैं। क्रिस्टाफेर नोलन व्यवस्था के कुछ अँधेरे कोनों को दिखाते हुए पूँजीवाद की समालोचना रखते हैं और बताते हैं कि तमाम संकटों के कारण बेन सरीखे सिरफिरे व्यवस्था पर कब्ज़ा कर अराजकता फैला सकते हैं। बढ़ते आर्थिक संकट के कारण जो जन दबाव सड़कों पर फूट पड़ा है, नोलन उसका चित्रण बेन के अराजकतावाद में समाहित करते हैं और दूसरी तरफ इन ख़तरों से निपटने के लिए वर्ग सचेत पूँजीपति राज्य व्यवस्था के विजीलाण्टे की ज़रुरत को स्थापित करते हैं। फिल्म व्यवस्था को उस ‘रेफ्रेन्स फ्रेम’ से खडे़ होकर प्रदर्शित करती है जो बुर्जुआ वर्ग का है। यह बुर्जुआज़ी की हीरो की ज़रूरत को (शासन चलाने के लिये) हमारी ज़रूरत के रूप में पेश करती है। यह फिल्म पूँजीवाद की समालोचना कर उसे और अधिक स्थापित करती है। बेन या जोकर के रूप में यह पूँजीवाद का एकमात्र विकल्प बर्बरता दिखाती है। इसलिए अन्त में पूँजीवाद के प्रति समस्त नफ़रत के बावजूद आपको यह मानने के लिए प्रेरित किया जाता है कि समाज में ग़ैर-बराबरी और अपराध तो रहेगा ही, लेकिन यह सब कम-से-कम एक व्यवस्था का अंग है! अगर आप पूँजीवाद के विकल्प की बात करेंगे तो उसका अर्थ होगा हर प्रकार की व्यवस्था का नकार, जैसा कि मौजूद जनान्दोलनों में अराजकतावादियों के बारे में कहा भी जा सकता है। लेकिन फिल्म इस सम्भावना को जिक्र तक नहीं करती है कि पूँजीवादी व्यवस्था और समाज का विकल्प एक समाजवादी व्यवस्था और विकल्प हो सकते हैं। वास्तव में, जन अदालतों का रूपक फिल्म में कम्युनिज़्म की ओर ही इशारा करता है और यह दिखलाने का प्रयास करता है कि कम्युनिज़्म अवास्तविक और अयथार्थवादी है और वह अन्ततः बर्बर किस्म की अराजकता में ख़त्म हो सकता है। कहने की ज़रूरत नहीं कि कम्युनिज़्म की यह तस्वीर साम्राज्यवादी मीडिया का कुत्साप्रचार है।
मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, जनवरी-जून 2013
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