फ़ादर स्टेन स्वामी की न्यायिक हत्या के ख़िलाफ़ तथा राजनीतिक कैदियों की रिहाई की माँग को लेकर जगह-जगह प्रदर्शन

दिशा छात्र संगठन, नौजवान भारत सभा और स्त्री मुक्ति लीग द्वारा दिल्ली में जन्तर मन्तर पर, लखनऊ में जी पी ओ पर और गोरखपुर में गोरखपुर विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर फ़ासिस्ट सरकार द्वारा फ़ादर स्टेन स्वामी की न्यायिक हत्या के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया गया। इलाहाबाद में बालसन चौराहे पर दिशा छात्र संगठन और नौजवान भारत सभा समेत विभिन्न जनसंगठनों ने विरोध प्रदर्शन और सभा का आयोजन किया। प्रदर्शन में फ़ादर स्टेन स्वामी की न्यायिक हिरासत में हुई हत्या की जाँच कराने और भीमा कोरेगाँव मामले में जेल भेजे गये सभी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की अविलम्ब रिहाई की माँग की गयी।
लखनऊ में स्त्री मुक्ति लीग और नौजवान भारत सभा के कार्यकर्ताओं ने सभा में साहिर लुधियानवी की नज़्म “ये किसका लहू है कौन मरा, ऐ रहबरे मुल्क़ो क़ौम बता” भी गाया।
84 वर्षीय फ़ादर स्टेन स्वामी का जीवन झारखण्ड में आदिवासियों के अधिकारों और फर्ज़ी मुक़दमें लगाकर जेल में डाल दिये गये जाने के ख़िलाफ़ संघर्ष के लिए समर्पित था। उन्हें पिछले साल अक्टूबर में दमनकारी क़ानून यूएपीए के तहत एनआईए द्वारा गिरफ़्तार कर महाराष्ट्र की तलोजा जेल भेजा गया। उन्हें भीमा कोरेगाँव के झूठे मुक़दमे में उन्हें फँसाया गया था। इस मामले में गौतम नौलखा, सुधा भारद्वाज, आनन्द तेलतुम्बडे समेत विभिन्न सामाजिक कार्यकर्ता अभी भी जेल की सलाखों के पीछे हैं। फ़ादर स्टेन पार्किन्सन के मरीज़ थे और स्वयं खाने-पीने व अपने कामों को करने में भी असमर्थ थे। वे पानी का गिलास भी नहीं पकड़ पाते थे जिस वजह से उन्हें सिपर और स्ट्रॉ के लिए कोर्ट में याचिका दायर की गई थी जिसने इस मामूली सी बात के ऑर्डर के लिए 20 दिन लगा दिये। कोविड के ख़तरे के बीच उन्हें भीड़भाड़ वाली जेल में रखा गया जहाँ उनकी स्थिति दिन-प्रतिदिन बिगड़ती गयी। ‌हाईकोर्ट के आदेश के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया जहाँ वे कोविड पाज़िटिव पाये गये।‌ उनके गिरते स्वास्थ्य के बाद भी उनकी ज़मानत याचिका का एनआईए ने विरोध किया। उन्होंने कोर्ट से अपील की थी कि वे अपने जीवन के अन्तिम दिन अपने लोगों के बीच राँची में बिताना चाहते हैं किन्तु उनकी ज़मानत याचिका नामंजूर हो गयी। उनके गिरते स्वास्थ्य को लेकर देश भर के मानवाधिकार संगठनों द्वारा उनको ज़मानत देने की आवाज उठाई गई किन्तु क्रूर व्यवस्था ने सब कुछ अनसुना कर दिया। अन्ततः 5 जुलाई को फ़ादर स्टेन की मृत्यु हो गयी। दरअसल यह सामान्य मृत्यु नहीं है बल्कि इस न्यायिक हत्या के लिए फ़ासिस्ट निज़ाम, असंवेदनशील जाँच एजेंसी व लापरवाह न्यायपालिका जिम्मेदार हैं।

मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान, जुलाई-अगस्त 2021

'आह्वान' की सदस्‍यता लें!

 

ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीआर्डर के लिए पताः बी-100, मुकुन्द विहार, करावल नगर, दिल्ली बैंक खाते का विवरणः प्रति – muktikami chhatron ka aahwan Bank of Baroda, Badli New Delhi Saving Account 21360100010629 IFSC Code: BARB0TRDBAD

आर्थिक सहयोग भी करें!

 

दोस्तों, “आह्वान” सारे देश में चल रहे वैकल्पिक मीडिया के प्रयासों की एक कड़ी है। हम सत्ता प्रतिष्ठानों, फ़ण्डिंग एजेंसियों, पूँजीवादी घरानों एवं चुनावी राजनीतिक दलों से किसी भी रूप में आर्थिक सहयोग लेना घोर अनर्थकारी मानते हैं। हमारी दृढ़ मान्यता है कि जनता का वैकल्पिक मीडिया सिर्फ जन संसाधनों के बूते खड़ा किया जाना चाहिए। एक लम्बे समय से बिना किसी किस्म का समझौता किये “आह्वान” सतत प्रचारित-प्रकाशित हो रही है। आपको मालूम हो कि विगत कई अंकों से पत्रिका आर्थिक संकट का सामना कर रही है। ऐसे में “आह्वान” अपने तमाम पाठकों, सहयोगियों से सहयोग की अपेक्षा करती है। हम आप सभी सहयोगियों, शुभचिन्तकों से अपील करते हैं कि वे अपनी ओर से अधिकतम सम्भव आर्थिक सहयोग भेजकर परिवर्तन के इस हथियार को मज़बूती प्रदान करें। सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग करने के लिए नीचे दिये गए Donate बटन पर क्लिक करें।