रॉके डॉल्टन की कविताएँ
अनुवाद : प्रियम्वदा
निम्न-पूँजीपति वर्ग
(उसकी एक अभिव्यक्ति के बारे में)
वे जो
सबसे बेहतर स्थितियों में
क्रान्ति करना चाहते हैं
इतिहास के लिये, तर्क के लिये
विज्ञान और प्रकृति के लिये
आगामी वर्ष और भविष्य की क़िताबों के लिये,
बहस-मुबाहिसों के लिये
और अख़बारों में छपने तक के लिये भी
सीधे तौर पर न तो
भूखों की भूख मिटाने के लिये
और शोषितों का शोषण मिटाने के लिये।
इसलिये, यह स्वाभाविक ही है कि
क्रान्तिकारी व्यवहार में
वे अपनी पुस्तकें और पत्रिकाएँ ताक पर रख देते हैं
इतिहास, नैतिकता, मानवतावाद, तर्क
और विज्ञान के फ़ैसले के सामने
और अपने आख़िरी शब्द देने से मुकर जाते हैं
भूखों और शोषितों को
जिनके पास दहशत का अपना इतिहास है
और अपने अटल तर्क
और होंगी जिनके पास
अपनी क़िताबें
उनका अपना विज्ञान,
प्रकृति
और
भविष्य!!
प्रेम की तीसरी कविता
जो भी तुमसे कहता है हमारा प्रेम असाधारण है
क्योंकि यह असाधारण परिस्थितियों में पैदा हुआ
उससे कहो हम अभी संघर्ष कर रहे हैं
ताकि हमारे जैसा प्रेम
(युद्ध में साथियों के बीच का प्रेम)
अल सल्वाडोर में
सबसे साधारण और सहज
सबसे बेमिसाल
बन जाये!
सिरदर्द
कम्युनिस्ट होना सुन्दर है,
हालाँकि यह कई सिरदर्द पैदा करता है।
कम्युनिज़्म का सिरदर्द
तुम देखोगे कि
ऐतिहासिक माना जाता है,
यानी
यह दर्द हरने वाली गोलियों के लिये नहीं
बल्कि सिर्फ़ धरती पर स्वर्ग की प्राप्ति के लिये उपजता है।
तुम्हें पता है, यह बम है!
पूँजीवाद में जब हमारा सिरदर्द होता है
वे हमारा सिर ही कलम कर देते है!!
क्रान्तिकारी संघर्ष में, सिर एक धीमी प्रक्रिया में फटने वाला बम है।
समाजवाद में हम अपने सिरदर्द की योजना बनाते हैं
जो उसे नष्ट नहीं करता
बल्कि इसके विपरीत
कम्युनिज़्म
अन्य चीजों में
सूर्य से बड़ा एक एस्पिरिन होगा!
रॉके डाल्टन
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