मार्क्‍सवाद-लेनिनवाद के बुनियादी सिद्धान्‍तों के बारे में ‘प्रतिबद्ध-ललकार’ ग्रुप के नेतृत्‍व की ”समझदारी”: एक आलोचना (दूसरा भाग)

ऐसे विचारधारात्‍मक टकरावों से आन्‍दोलन का विकास ही होता है। इसलिए एकता की तमाम कोशिशों के बावजूद यदि विचलनों को दुरुस्‍त नहीं किया जा सकता तो कार्यदिशा की शुद्धता को बरकरार रखने के लिए राहों का अलग हो जाना ही एकमात्र विकल्‍प बचता है। लेनिन ने इसीलिए संगठन की राजनीतिक व विचारधारात्‍मक कार्यदिशा की शुद्धता को बरकरार रखने को क्रान्तिकारी कम्‍युनिस्‍टों की पहली प्राथमिकता बताया है।